Harish Sharma

Drama

5.0  

Harish Sharma

Drama

हर पल

हर पल

5 mins
377


सर्दियों की ये दोपहर जैसे बहुत खुशगंवार लग रही है,पतझड़ है पर फिर भी फूलों पर बहार है । हरी घास से ढका मैदान और उसके किनारे पर खिले गुलाब और गेंदा के फूल,मानो कोई प्रेमिका रंग बिरंगे फूलों की कढ़ाई वाला हरा शाल लिए अलसाई सी पड़ी हो । बीचो बीच लगे एक बेंच पर एक लड़का और लड़की दिख रहे है । दोपहर का ये समय इस पार्क में ज्यादा भीड़ भाड़ वाला नही है । बस इधर उधर कुछ प्रेमी प्रेमिकाएं हंसते खिलखिलाते,छुपते छिपाते जैसे अपनी ही दुनिया मे खोए हैं ।


"तुम्हारी खुशबू मुझे पागल कर देती है, जैसे किसी नए पैदा हुए बच्चे से आती है, कौन सा परफ्यूम है ये ?"

"परफ्यूम....वो तो मैंने कभी नही लगाया, तुम्हे तो बस ऐसे ही डायलाग मारने की आदत है।"

"लो डायलाग कैसा, जो है सो है, बाकी पता तो हिरन को भी नही होता कि कस्तूरी की जो महक उसे महसूस होती है वो उसके अंदर ही है।"

"अच्छा तो अब तुम मुझे जानवर बना डालो।"

"जानवर नही, हिरनी, मस्त आंखों वाली, जिसके पीछे ये प्रेमी हर पल पागल रहता है।"

"हा हा, तुम्हे तो फ़िल्म लाइन में जाना चाहिए, रोमांटिक फिल्मों के डायलॉग बहुत अच्छे लिखोगे।"

"अच्छा, और ये जो फ़िल्म हम दोनों के बीच चल रही है, उसके डायलाग फिर कौन लिखेगा, मुझे तो यही फ़िल्म हिट करनी है, हम दोनों की सुपर डुपर हिट।"

शमा और मयंक दोनों खिलखिलाकर हंसते हैं। शहर के ये पार्क पिछले दो सालों से उनके लिए मिलन स्थल बना हुआ है । वेलेंटाइन डे था तो रौनक थोड़ी और बढ़ गई थी।शमा का मासूम चेहरा मयंक की गोद मे था और वो धीरे धीरे शमा के मुलायम बालों में अपनी उंगलियां घुमा रहा था, बीच बीच मे वो शमा का माथा चूम लेता। शमा के गालों पर लाली उभर आती। आज दोनों के बीच प्यार पूरे वेग से उमड़ रहा था। पार्क के पीछे ही कही गीत बज रहा था...दिल दीया गल्ला....करांगे नाल नाल बहके....अख नाल अख जी मिलाके..... । जैसे इस गीत के बोल एक लहर की तरह मयंक के शरीर मे दौड़ गए । वो भी साथ में गुनगुनाने लगा । वो शमा की आंखों में जैसे कही दूर खोता जा रहा था ।


"खट खट खट.....।" जैसे इस आवाज ने पूरे दृश्य पर कट बोल दिया हो ।

पार्क का एक चौंकी दार पार्क के बीच लगे खंबे पर डंडा खटखटाता हुए आया। शमा और मयंक एक दूसरे में डूबे हुए थे। दोनों को पता ही नही चला कि कब वो चौंकी दार उनके नजदीक आ पहुँचा।

"अरे भाई लोगो, जरा आराम से बैठो, पहलवानी मत करो।" चौंकी दार बड़ी बेबाकी से बोला।

शमा ने एकदम अपने आपको व्यवस्थित किया और सहम सी गई।

"अरे वाह, भाई साहब, वेलेंटाइन डे मुबारक, आप भी मनाइए, हमे भी मनाने दीजिए"। मयंक ने कहते हुए चौंकी दार को अपने पर्स से पचास रुपये का नोट निकाल कर दे दिया।

"शुक्रिया, आप दोनों की मुहब्बत खूब तरक्की करे, पर जरा ध्यान से , आजकल पार्क में कुछ लोग आशिको की धर पकड़ कर रहे हैं, आप बच के रहिए, हमारी तो ड्यूटी है।" चौंकी दार मयंक को टुच्ची सी आंख मार कर खिसक लिया।

"मयंक चलो , हमे चलना चाहिए।"शमा थोड़ा भयभीत थी।

"अरे यार....क्या हुआ, इतना जल्दी घबरा जाती हो। वो चला गया है, उसे भी आज का दिन मनाना है, समझो।" मयंक ने हंसते हुए कहा और शमा को बांहों में ले लिया।

"अच्छा अब ये पहलवानी करना छोड़ो, चौकीदार भी बेशर्म है पूरा।" शमा ने मयंक की बाहों से खुद को छुड़ाते हुए कहा।

"अब चौकीदार है, इतना बेशर्म होना तो बनता है...।"मयंक चुहल के मूड में था।

"पिछले साल ऐसे ही वो मार्किट वाले पार्क में संस्कृति दल वालों ने ऐसे ही लड़का लड़की को पकड़ा था, सारे शहर में वीडियो वायरल हुई, याद है तो जरा सीरियस हो लिया करो।"

"अब भई संस्कृति दल वालो से वो डरे जिनके रिश्ते कच्चे हैं, हमे कोई पकड़ेगा तो कह देंगे कि शादी पक्की है, ज्यादा समस्या है तो यही फेरे दिलवा दो।"

"तुम्हे न बस बाते बनानी आती हैं, इतना आसान नही होता सब कुछ, आफिस में अभी तक सब छुपते छुपाते हो रहा है, डर लगता है हर पल।"

"क्यो डर किस बात का, दोनों प्यार करते हैं, खाते कमाते हैं, हां छुप के मिलने वाली बात ठीक है, कहो तो कल सामूहिक घोषणा करवा देते हैं।"

मयंक शमा की हर बात को सहजता से ले रहा था।

शमा ने अपने पर्स की डोरी को अपनी कलाई पर लपेटते हुए कहा, "घोषणा करवाओगे, अखबार में निकलोगे...तुम बस डायलाग मारते रहा करो। अभी बहुत टाइम है ये सब करने के लिए, जरा सब्र रखो। वो आफिस वाली प्रियंका जो तुम्हारी टेबल के इर्द गिर्द घूमती रहती है न, पूरी खोज खबर निकालती है।"

"अरे तुम उस भोली लड़की पर ऐसे ही शक न किया करो, उसके भी दिन हैं चुहल मचाने के।"

"इतनी ही भोली है तो उसे भी यहीं बुला लेते, मना लेते वेलेंटाइन।" शमा ने जैसे नाराजगी जताने के अभिनय किया।

"ओहो, ... अच्छा क्या खोज खबर निकाली उसने।"

"परसों ही मैन आज के दिन के लिए छुट्टी अप्लाई की, तो पूछने लगी कि घर मे सब ठीक ठाक है, सोचा था वेलेंटाइन डे वाले दिन इकट्ठे बाजार की रौनक़ देखने चलेगें। अब तुम उस दिन छुट्टी ले रही हो।"

"फिर...तुमने क्या कहा।"

"कहना क्या था, मैं उसकी नीयत समझती हूँ , कह दिया कि कोई रिश्ते वाले देखने आ रहे हैं, अगर बात न जमी, तो तुमहारे घर का पता दे दूंगी, ब्याहने लायक तो तुम भी हो ही।"

"हा हा, ...फिर ...।"

"फिर क्या, जलती भुनभुनाती अपनी सीट पर भाग गई।" शमा का मूड अब सही हो गया था।

"अच्छा किया, मैंने भी जब आज हॉफ डे लिया, तो पूछने लगी कि वेलेंटाइन डे मनाने जा रहे हो।"

"अच्छा, बड़ी बदतमीज है, गले ही पड़ रही है।"

"अरे यार गुस्सा नही करते, मैंने भी नही किया बस यही कहा कि हमारी किस्मत में कहाँ वेलेंटाइन, मुझे तो लड़की देखने जाना है, घर वाले पीछे पड़े है। "मयंक ने कहकर शमा को चूम लिया।

"हे भगवान तुम भी हद करते हो, अब उसे पक्का शक हो जाएगा हम दोनो पर।"

"होता रहे, हू केयर्स। जिंदगी इतनी भी शर्मा कर नही जी जाती।"

"अच्छा छोड़ो, अब कही और चलते हैं।"शमा ने मयंक का हाथ पकड़ते हुए कहा।

"हां चलो, साढ़े तीन बज रहे हैं, लंच करने चलते हैं, पांच बजे तक तो साथ रहोगी न।"

"हां बाबा, पांच बजे तक हूँ, ममा से मैने तुमहारे बारे में बात की थी। छह बजे तक भी एडजस्ट हो जाएगा। तुम चलो अब।"

"अरे वाह, ये तुमने अच्छा किया, मैंने भी माँ से बात की थी। माँ ने शायद फोन पर हमारी बात चीत सुनी, पूछा तो मैंने कहा, लड़की अच्छी है, अभी मन बना रहा हूँ।माँ कहने लगी शादी का कुछ फाइनल हो तो बता देना, कही कोर्ट मैरिज करके घर लौटे, एक बेटा है, धूमधाम से शादी करेंगे।"

मयंक ने सामने खड़ी शमा को बांहों से पकड़ कर उठा लिया।

शमा की मुस्कुराहट पूरे पार्क में फैल गई थी जैसे। आस पास के पेड़ों पर बैठे तोते जोर जोर से चियाँ चियाँ करते शोर करने लगे, मानो वो भी मयंक और शमा के इस प्यार की खुशी मना रहे हो।


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