होलिका दहन
होलिका दहन
"बच्चो,शुभ होली।आज हम होलिका दहन से जुड़ी कुछ बातों की जानकारी हासिल करने का प्रयास करेंगे।"
"चाचाजी,होली के त्योहार को लेकर होलिका,प्रहलाद और हिरण्यकश्यप की कहानी के अतिरिक्त भी कोई कथा है ?"
"बच्चों, होली के दिन मनु का जन्म हुआ था।मनु कौन थे,क्या आप जानते हैं ?"
"मनु संसार के प्रथम पुरुष थे। प्रथम मनु का नाम स्वयंभुव मनु था, जिनके संग प्रथम स्त्री थी शतरूपा।"श्वेतांक ने बताया।
"वाह,श्वेतांक ,बिल्कुल सही। मनु को हिन्दू धर्म के अनुसार ब्रह्मा का पुत्र और धरती का पहला व्यक्ति माना जाता है। इन्ही से मानव जाति का जन्म माना जाता है। जिसे आज मनुष्य कहते हैं।। मनुष्य मनु के वंशज हैं।
होली को मनवादितिथि भी बोलते हैं। रंग से इसका कोई सरोकार नहीं है, बल्कि रंग वाले दिन को दुल्हॉडी कहते हैं। रंग खेलने की प्रथा बाद में बनी। जिस दिन होली जलाई जाती है, वह दिन विशेष माना जाता है। पुराने समय में इसका सीधा संबंध यज्ञ से माना जाता था।
"चाचाजी, आज ही होली कब से मनाई जाने लगी ?"
"होली ऋग्वेद काल से मनाई जाती है, लेकिन तब इस प्रकार से नहीं मनाई जाती थी। रंगो का प्रयोग उस समय नहीं होता था। उस समय इस दिन यज्ञ किया जाता था। जिसे नवायेष्टि यज्ञ कहा जाता था यानि ‘नये अन्न’ से पूजा की जाती थी। सबसे पहले यह अन्न देवताओं को अर्पित किया जाता था। यह जलाया नहीं जाता था सिर्फ़ भूना जाता था।"
"आजकल हम यज्ञ क्यों नहीं करते?यज्ञ से कई विषेले जीवाणुओं का नाश होता है,वातावरण शुद्ध होता है।"विशाल बोला।
"यह सच है, यज्ञ समाप्त ही हो गया है। इसकी जगह लोग मोटी-मोटी लकड़ियों को जलाने लगे हैं। आजकल तो होली भी फूहड़ ढंग से खेली जाती है। कभी -कभी रासायनिक रंगों के प्रयोग से त्वचा और आंखों को भी नुकसान हो जाता है।"
"त्योहार पूर्ण श्रद्धा भाव से मनाने चाहिए।
इसलिए हमें चाहिए कि हम आज से ही यज्ञ प्रारंभ करें और उसमें लौंग, कपूर, देसी घी, गाय के गोबर के कंडे, इलाइची और जावित्री के फूल डालें
, ताकि हमारा वातावरण प्रदूषण मुक्त हो सके। चाचाजी, इससे कोरोना वायरस में भी कमी आ सकती है।"ईशान ने कहा।
"बहुत समझदारी की बात कही, ईशान।चलिए अब होलिका दहन की तैयारियों में जुटें।
होली की सभी को बहुत सारी शुभकामनाएँ। कल सब मिलकर होली खेलें, मगर सावधानी से।"
"आपको भी होली की अनेक शुभकामनाएं। होली है।"(कहते हुए सभी बच्चों ने चाचाजी को गुलाल से रंग दिया)।