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Rishabh Tomar

Drama

4  

Rishabh Tomar

Drama

हमारी अधूरी कहानी

हमारी अधूरी कहानी

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349

गौतम(बदला हुआ नाम) पढ़ने में ठीक ठाक था। जब वो 8 वी में पढ़ता था तो शैतानी में सब का गुरु था। जब वो 8 वी पास कर शहर गया तो उसकी बोल चाल बिल्कुल गांव जैसी थी। जो दबंगई गांव में थी शहर में भी वही थी। न किसी का डर न फिक्र बिल्कुल मस्त मोला।

जब वो पहले दिन कोचिंग पर गया तो वहाँ उसका एक दोस्त बना देवेश। देवेश पढ़ने में कमजोर था। कुछ दिनों पहले उसे एक लड़की ने मारा भी था। उसने बताया तो गौतम हँसने लगा। पहला दिन कोचिंग पर ठीक ठाक बीता। लेकिन दूसरे दिन गौतम की जिंदगी में उस शख्स का आगमन हुआ जिसनें उसकी सारी जिंदगी बदल दी। जब वो कोचिंग पर पहुँचा तो वहाँ वो एक लड़की से टकरा गया। वो उल्टा सीधा बोलने लगी तभी गौतम ने खींच कर एक चाँटा उस लड़की के जड़ दिया। जिसे देख वहाँ मैथ्स के सर आ गये। वो बोले क्या बात है तो लड़की के बोलने से पहले गौतम ने बोल दिया कि सर ये मुझसे I Love U बोल रही थी।

इसलिए मैंने इसके चांटा मारा है। सर हँसे औऱ चले गये। तथा वो लड़की भी शर्मा कर वहां से भाग लेकिन इस तरह गौतम औऱ उस लड़की में पक्की दुश्मनी हो गई। वो एक दूसरे के अपोजिट बोलते रहते। कभी वो गवाँर कह कर ताना देती तो कभी गौतम बात बात पर उसे ताना देता। गौतम बार बार उसकी साइकिल की हवा निकल देता या फिर दोस्तो से कह कर निकलवा देता। ये सिलसिला चलता रहा। आगे गौतम को एक प्रोजेक्ट पर काम करना था। जिसमे उसके साथ उस लड़की की सहेली सेजल थी। गौतम के साथ काम करने का मौका मिला। वो लड़की भी खुश थी कि चलो कोई कुछ बोलेगा भी नही क्योकि गौतम दबंग है। वही इससे दूसरी ओर गौतम का उस लड़की से मिलना कम हो गया। अब गौतम ज्यादातर से उसी लड़की के बारे में सोचता और सब कुछ अपनी डायरी में लिखता। एक दिन बातों ही बातो में सेजल से गौतम ने पूछा कि उसका नाम क्या है तो सेजल ने कहा क्यो बताऊँ। लेकिन गौतम धीरे धीरे उसके बारे में पूछने लगा। तभी एक दिन गौतम की डायरी खो गई। वो परेशान हो गया। उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करें क्योंकि उसमें उसने अपने ख्यालो को लिखा था।

लेकिन कुदरत ने ये तरीका उन दोनों को अपने पास लाने के लिये अपनाया था। कुछ दिनों बाद उसे डायरी मिल गई। उसमे एक लेटर भी रखा था। उसमें लिखा मैं महक ! मैंने हीतुम्हारी डायरी उठाई थी इसके लिये सॉरी वैसे तुम बहुत नटखट रहे हो तुम्हारी ज़िन्दगी हँसी ख़ुशी से भरी है रोशनी जैसी क्लासमेट रह चुकी है तुम्हारी। लेकिन मैं ज़िन्दगी से हारी हुई हूँ ,मुझे कुछ भी नही मिला जिंदगी से में बहुत परेशान रहती हूँ। तुम्हारी किरदार जीवन में बिल्कुल राधे जैसा रहा है। इसके लिये माफ करना मैं तुम्हें आज से राधे कहूँगी। अगर कुछ भेजना हो तो जहाँ डायरी मिली वहीँ पर रख देना।

तब राधे ने लिखा ,अगर चाहा हुआ आसानी से मिल जाता तो चाहत भी एक मामूली बात होती?अगर ख्वाहिशें आसानी से पूरी हो जाये तो वे ख्याहिशे किसी मतलब की नही होती है?

सागर किनारे बैठ कर कभी मोती नही मिलता। मोती ढूढ़ने को समंदर की गहराई में जाना पड़ता है। मैडम रात जब गहरी हो तो समझ लेना सबेरा होने वाला है। तुम भी चिंता मत कर तुम्हें तुम्हारा मोती मिलने वाला है।

तब दो दिन बाद उसका पत्र आया उसमें लिखा था।

राधे तुम किसी लेखक से कम नही हो। कुछ लोग होते है जिन्हें सबका प्यार मिलता हैं। जैसे कि तुम्हें हर किसी का प्यार मिला। घर परिवार दोस्त रिस्तेदार आदि।

शायद तुम्हे तुम्हारा मोती भी मिल गया तभी तुम ये लिख सकते हो। लेकिन सब तुम्हारे जैसे नही होते कुछ मेरे जैसे भी होते है,जिनका सारा बचपन निकल जाता है वो प्यार पाने को।

तब गौतम ने लिखा कि हमेशा खुश रहो। ज़िन्दगी को भी रोशन रखो। आकर्षण का नियम प्रकृति का नैसर्गिक नियम है जिसजे अनुसार हम जो सोचते है हमे वो ही प्राप्त होता है

तब कुछ दिनों बाद उसका खत आया उसने कहा गौतम तुम्हारे जीवन में रोशनी ही रोशनी है वो रोशनी जैसी क्लासमेट जिससे तुम कई विश्व युद्ध कर चुके हो। तुम्हारी लाइफ वास्तव में मजेदार है। लेकिन मेरी लाइफ में सिर्फ अंधेरा है,में तरसती हूँ हँसने को। लोगो के तो मां बाप भी होते है, उनका परिवार भी होता है लेकिन मेरे तो वो भी नही है। मैं तरस जाती हूँ दो पल हँसने के लिये, किसी से शिकायत करने के लिये। शायद इसीलिये मैं सारी शिकायते अपने ईश्वर से करती हूँ। विचारे वो भी चुपचाप सुनते रहते है।

मेरी बात अलग है मैं हँसती भी हूँ तो सिर्फ अपने आप पर।

तब गौतम ने लिखा कि मुझे मेरा प्यार नही मिला। मैं भी उसे ढूढ रहा हूँ। मैं तुमसे एक बात कहूँगा दुनिया मे हर कोई तन्हा होता है। रही बात शिकायत करने की तो न मुझे खुद से शिकायत है औऱ न ही दुनिया से वल्कि में तो खुश रहता हूँ हर पल सभी को हँसता हुआ देखना चाहता हूँ लेकिन अभी कुछ दिन पहले मुझसे गलती हो गई और एक लड़की को मैने हल्की सी चपाट मार दी। बाद में मुझे बहुत अफसोस हुआ। उससे मैंने माफी भी मांगी मगर कमबख्त ने दिल से लगा लिया औऱ मेरा मजाक बनाने लगी। लेकिन ऐसी मस्ती से मुझे खुशी मिलती है। लेकिन वो hurt हो गई। मुझे बिल्कुल अच्छा नही लगा। मैं हमेशा postive रहता हूँ जो मेरे सामने है वो सब अच्छा है। तुम भी मेरी बात मान लो और मुझसे दोस्ती कर लो।

उसने 3-4 दिन बाद डायरी में खत लिखकर भेजा। चलो हम दोस्ती कर लेते है। इस तरह से वो दोनों बातें करने लगे खतों के जरिये उन खतों का डाकिया सेजल थी।

एक दिन सेजल ने उसे एक खत दिया जिसमें लिखा था माफ करना राधे मेरा नाम महक नही बल्कि आयत है। और तुम्हारी डायरी मुझे सेजल के पास मिली थी और उसी ने मुझे बताया कि तुम जितने बुरे दिखते हो उतने हो नहीं लेकिन इससे राधे को कोई फर्क नही पड़ा और ये रिश्ता धर्म मजहब से दूर जाकर खूब फलने फूलने लगा

उनके लिये हिन्दू मुस्लिम बस इतना था। जैसे हम सपने देखते है वो ख्याब। इस तरह उनकी दोस्ती बढ़ने लगी तभी एक दिन गौतम को एक खत मिला,वो खत सेजल लेकर नही आई बल्कि वो पढ़ता था उसे वो उस टेबल पर मिला। जिसमे लिखा था, धन्यवाद राधे,

मेरा हौसला बढ़ाने को। मैं वही लड़की हूँ जिसमें तुमने चपाट लगाई। मैंने तुम्हें माफ किया। मगर तुम मुझे कभी धोखा मत देना। वैसे भी मेरी माँ नही है। मेरी सौतले माँ है..........

इसके बाद दोनों का मिलना मिलाना रोज चलने लगा। वो दोनों क्लास छोड़कर छत पर बैठे गप्प सड़का मारने लगे। राधे ने उसे वही नाम दिया 'महक'। वो बातों ही बातों में इतने बड़ गये कि उन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया। वो मजहब की दीवार को भूल गये। औऱ अपनी दुनिया मे मस्त रहने लगे। उन्हें दुनिया की फिक्र नही थी कि दुनिया इस मोहबत को किस नजर से देखेंगी। दोनों की प्रेम कहानी अच्छी तरह से आगे बड़ रही थी। तभी किसी ने महक के घर बोल दिया। देवेश ने बताया कि गौतम तुम आयत से कम मिलो लोग तुम पर शक कर रहे है। हालांकि दोनों ने मिलना कम कर दिया लेकिन मोहबत करने वाले एक दूसरे के बिन नही रह सकते। वो फिर से मिलने लगे।

और फिर इस रिश्ते में कुछ परेशानियों का आगमन हुआ सब कुछ सहकर भी आयत नही मानी तो घर वालों ने धर्म की सीमा के ऊपर जाकर भी ये रिश्ता मान्य कर लिया लेकिन ये सब दिखावा था हमेशा की तरह इस समाज ने मोहबत से दुश्मनी निभाई। और आयत के चाचा ने उसका एक्सीडेंट करवा दिया। बाद में ये खबर राधे तक पहुँची तो वो वहाँ पहुँचा उसे देखने। तो महक ने कहा राधे मुझसे एक वादा करोगे। तो राधे ने बोला क्या?तो महक ने कहा कि मेरे जाने की बाद तुम अत्महत्या मत करना। और न ही कभी मेरे वारे में उन लोगो को बताना जो मुझे या मेरे घर वालो को जानते है ,और तुम जिंदगी हँसकर गुजर लेना। वैसे हमारे मजहब में पुर्नजन्म नही होते है लेकिन मैंने तुमसे सच्चा प्यार किया है मैं ऊपर तुम्हारा इंतजार करूँगी लेकिन इससे पहले अगर ये सारे वादे टूट गये तो मैं तुम्हे कभी नही मिलूँगी औऱ जो  शराब तुम पीकर आये हो मुझे भुलाने के लिये तुम कोई नशा भी नही करोगे

ये सब सुनकर राधे का प्यार आयत के लिये कई गुना बढ़ गया उसके बाद राधे ने आत्महत्या तो नही की लेकिन वो घुट घुट कर जीने लगा। जब उससे जुदाई का दर्द सहा न गया तो उसने कविता लिखना प्रारंभ कर दिया। लेकिन वो फिर भी पागल सा हो गया। खामोश तन्हाई में रहने लगा। वो नही मिली फिर भी उसे पास मान कर उसमें खोने लगा। दुनिया के लिए

उसकी कहानी अधूरी हो गई लेकिन उसके लिये उसकी कहानी पूरी थी

गर पूरी हो जाती तो खत्म भी होना पड़ता एक दिन, अधूरी है तो कम से कम ये जारी तो रहेगी हर दिन।


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