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Anita Chandrakar

Inspirational

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Anita Chandrakar

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हमारा भारत

हमारा भारत

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किसी बड़े शहर के एक कॉलोनी में विभिन्न प्रान्तों के लोग मिलजुल रहते थे। वे सभी एक दूसरे के सुख दुख में साथ निभाते थे। वे जातपात ,धर्म ,सम्प्रदाय के भेदभाव से कोसों दूर थे, और एक दूसरे के त्यौहारों में भी शामिल होते थे। नवरात्रि, दीवाली, होली, ईद, गुरुनानक जयंती, गणेश पूजा, मकर संक्रांति, पोंगल

बैशाखी, लोहड़ी, ओणम ,क्रिसमस जैसे अनेक त्यौहार वे धूमधाम से मनाते थे।

अनेकता में एकता की मिसाल थे वे लोग। देशभक्ति और राष्ट्रसेवा ही उनका पहला धर्म था। सम्पूर्ण भारत की संस्कृति उस कॉलोनी में झलकती थी, इसीलिए पूरे शहर में उसकी अलग पहचान थी।

स्वतंत्रता दिवस आने वाला था। वहाँ आजादी का यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता था। सभी लोग तैयारी में जुटे हुए थे। महिलाएँ पुरुष और बच्चे अपनी अपनी जिम्मेदारी तन मन से निभा रहे थे। चारों तरफ देशभक्ति का माहौल था। रोज शाम को वे इकट्ठा होते और अपने अपने गतिविधियों की चर्चा करते थे। गुरप्रीत आंटी, सीमा आंटी, नगमा आपा और मैरी दीदी बच्चों को डांस सिखा रही थी। सजावट की जिम्मेदारी रौशन अंकल और शकील भाई जान लिए थे। कार्यक्रम का संचालन शाह अंकल करने वाले थे।

इस साल झंडा कौन फहराएगा, इसी पर चर्चा चल रही थी। हर साल किसी नेता को बुलवाकर वे लोग झंडारोहण करवा देते थे। इस बार वे अपने बीच के किसी व्यक्ति से झंडारोहण करवाना चाहते थे।

अंत में सबकी सहमति से निर्णय हुआ कि वहाँ के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति रामू काका इस बार झंडारोहण का कार्यक्रम सम्पन्न करेंगे।

स्वतंत्रता दिवस की सुबह सभी लोग वहाँ इकट्ठे हुए और धूमधाम से आजादी का यह पर्व मनाकर सिद्ध कर दिए कि हमारा भारत एक है और हम सब भारतवासी भी एक हैं।


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