हम भी ऐसा काम करे
हम भी ऐसा काम करे
एक दुर्घटना के चलते वंदिता का पैर कट गया मगर उसकी ऐवरेस्ट पर चढ़ने की इच्छा प्रबल थी। हमेशा लोग नकारात्मक बातें करते हैं, नर्वस हो जाती धीरे धीरेउसे किताबों का साथ लिया जब भी समय मिलता।
किताबों में खोई रहती और उसने किताबों के रूप में एक नई दुनिया पाई अपना आत्मविश्वास बढ़ाया और धीरे-धीरे लोगों को फेस करना सीखा। मतलब उनकी बातों से इतना प्रभावित नहीं होती जब नकारात्मक कहते-
लगातार मेहनत करती रही आखिर फतेह मिल गई। एवरेस्ट पर चढ़ते ही भारत माता की जय कहा तिरंगा लहराया और देश के नाम एक इतिहास रचा।
26 जनवरी को सम्मानित किया गया से सफलता का राज पूछा गया और उसने कहा- संकल्प, जुनून मेरे सपने देखने की आदत और उन्हें पूरा करने की चाहत नहीं मेरे जयकार हुई है और आप सब भी जीवन में सपने देखें और अपने जयकार चाहते तो पूरे संकल्प और जुनून के साथ इस काम को करें जरुर सफलता मिलेगी।
सुनकर विद्यार्थियों में एक नया जोश आ गया और मन ही मन सब ने संकल्प ही ले लिया कि हम भी देश की जय जयकार हो ऐसा काम करेंगे। एक और बात कहना चाहूंगी उसने कहा कि हमें हमेशा किताबों से दोस्ती करनी चाहिए वही सच्चे मित्र हैं हमारे मार्गदर्शक हैं रोज सुबह उठकर और रोज सोते समय या जब भी आपको समय मिले जरूर किताब पढ़ना बच्चों को यह बात समझी और बच्चों ने मोटिवेशन गुरु में किताब लेकर अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए जी जान लगा दी और मन ही मन सोचने लगे हम भी ऐसा काम करें कि हमारा भी नाम हो।
