Ruchi Singh

Inspirational

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Ruchi Singh

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हिंदी हमारी आत्मा में बसती

हिंदी हमारी आत्मा में बसती

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सालों पहले अपने परिवार के साथ सिंगापुर घूमने गई थी। मैं और मेरा भाई हम दोनो स्कूल में पढ़ते थे। पापा ऑफिस जाते थे और मम्मी एक गृहणी थी। हम लोग जाने के लिए बहुत ही उत्साहित थे। जाने के समय भी आ गया। तय समय पर पहली बार हवाई जहाज में बैठ हम सिंगापुर पहुंचे। बहुत ही सुंदर जगह, बड़ी-बड़ी गगनचुम्बी इमारतें, बहुत ज्यादा साफ सफाई, सुंदर उद्यान, खुला आसमान। जैसे लगता था किसी सुंदर पेंटिंग में हम घुस गए हो। इतनी अच्छी अनुभूति हो रही थी जिसका हम व्याख्या नहीं कर सकते। हमारा होटल भी बहुत ही ऊँचा और साफ सुथरा था। पहली बार हम लिफ्ट में चढ़े थे, चमचमाती लिफ्ट फर्राटे से ऊपर गई और हम अपने कमरे में पहुंच गए। सब कुछ स्वप्निल सा प्रतीत हो रहा था।


 पहले दिन हम "मरीना बे सैंड्स" नाम की प्रसिद्ध जगह गए। वहां पर एक आकाश को छूता मल्टी स्टोरी होटल था जो बोट की आकार में था। उसके ऊपर ही लम्बा तरणताल था जो तीन बिल्डिंग को आपस में जोड़ रहा था और रहने की व्यवस्था भी थी।


 अगले दिन हम "मर लॉयन" और "सेंटोसा आईलैंड" गए। सेंटोसा में बहुत मस्ती की। जाते समय वहां हम लोग मोनोरेल से गए। लौटते समय देर शाम हो गई थी और हमें कहीं और से रेल पकड़नी थी। हमें समझ में नहीं आ रहा था। वहां पर सब इंग्लिश भाषा में व वहां की लोकल भाषा में ही बोलते थे। पूछते पूछते रात हो गई। आखिरी मोनोरेल बंद होने वाली थी। पापा इंग्लिश में बात तो कर रहे थे पर हमें कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। लौटना बहुत ही मुश्किल लग रहा था। भगवान याद आने लगे थे। सारे घूमने की मस्ती फुर्र होने लगी। हमारी बेचैन आंखें आसपास हिंदी के लगे बोर्डो को ढूंढ रही थी, पर कहीं भी कुछ हिंदी में लिखा हो, ऐसा तो मुमकिन नहीं था। लग रहा था कि हम अपनी आत्मा भारत में ही छोड़ आए हैं।


 तभी एक भारतीय लड़का हमारे स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने आया। उसने हमको परेशान देख हमारे पास आया। पापा इंग्लिश में उस से मदद मांगने की कोशिश करने लगे। उसने प्रणाम अंकल कहकर सारी बातें हिंदी में समझाई। उसके मुंह से निकले हिंदी के शब्द कानो में अमृत घोल रहे थे। वह भारतीय रुककर हमें ट्रेन पर बैठा कर ही अपनी ट्रेन पकड़ा। मेरे पापा ने उसे खुशी से गले लगा लिया और मम्मी ने भी खूब आशीर्वाद दिया तथा शुक्रिया अदा किया। कितना भी विदेश घूम लो। पैसे खर्च कर लो। बड़ा बेगाना सा सब लगता है दूसरा देश और दूसरी भाषा।


 वहां से जब फ्लाइट पर बैठे तब भारतीय एयर होस्टेस को हिंदी में बोलता देख बहुत ही गौरवान्वित महसूस हुआ। वह एयर होस्टेस पहली बार दिल से अपनी लगी। अपने हिंदुस्तान आकर हिंदी बोलने में बहुत ही मजा आया। वहां घूमे तो बहुत पर हम किसी से दिल खोल कर बात नहीं कर पा रहे थे । अपनी मातृभाषा हिंदी को हमने वहां बहुत मिस किया और साथ में अपने हिंदुस्तान को भी। आखिर यूँ ही नही कहते सारे जहाँ से अच्छा।


 


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