हिन्दी भारत की बिन्दी
हिन्दी भारत की बिन्दी
"माँ देखो आज मुझे हिन्दी कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान मिला!" ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ने वाली राधा स्कूल से आते ही माँ से लिपट कर बोली तो वही बैठा भाई मुँह चिढ़ा कर बोला-
"हुँह ! आपको तो बस हिन्दी से ही प्यार है । आजकल हिन्दी बोलने वालों की कोई कद्र नहीँ करता!"
"बिलकुल गलत सोच है तुम्हारी मेरे भाई! आज पूरे स्कूल में मेरी हिन्दी कविता को सराहा गया और पता है स्वयं मुख्य अतिथि जी ने अपने हाथों से मुझे ये मेडल पहनाया और मेरी कविता की भूरि भूरि प्रशंसा भी की।"
"क्या दी! आज के जमाने में आप हिन्दी हिन्दी की रट लगाए रहते हो । जरा बाहर निकल कर देखो, सब इंग्लिश ही बोलते हैं और जो नहीं बोल पाते उन्हें सब बुद्धू समझते हैं।"
"बुद्धू मैं नहीं मेरे भाई वे सब हैं जो हिन्दी के महत्व को नहीं समझते । हर देश को अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए ।"
"हाँ बेटा राधा बिलकुल सही कह रही है । पूरे विश्व में हर देश की एक अपनी भाषा और अपनी एक संस्कृति होती है जिसकी छाँव तले उस देश के लोग पले बड़े होते है यदि कोई देश अपनी मूल भाषा को छोड़कर दूसरे देश की भाषा पर आश्रित होता है उसे सांस्कृतिक रूप से गुलाम ही माना जाता है ।" माँ ने दीपू के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा तो भला पिताजी कहाँ पीछे रहने वाले थे-
"बेटा जी, विश्वभर में चीनी भाषा के बाद दूसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा हिन्दी ही है और तुम्हें शायद पता नहीं होगा कि हिंदी भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान, फिजी, मारिसस, सूरीनाम और नेपाल में सबसे अधिक हिंदी भाषा बोली जाती है ।"
"मेरे नन्हें प्यारे भाई, आज के समय में तो हिंदी भाषा की इतना अधिक मांग है कि दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने भी वर्ष 2009 में हिंदी भाषा को अपना लिया । आज इन्टरनेट पर लाखो सजाल ( Website) चिट्ठे (Blogs), गपशप (Chats), विपत्र (Email), वेबखोज (Search Engine), मोबाइल सन्देश (SMS) व अनेक प्रकार के हिंदी मोबाइल एप्प मौजूद है ।" राधा ने दार्शनिक अंदाज में कहा तो सब हँस पड़े तब पिताजी ने मुस्कराते हुए कहा-
"हाँ ये सच है कि एक समय ऐसा सोचा जाता था कि कंप्यूटर और इन्टरनेट केवल अंग्रेजी भाषाओ के लिए है लेकिन हिंदी भाषा की इतनी अधिक मांग है की अब हर जगह इन्टरनेट पर हिंदी भाषा के रूप में कुछ भी खोज कर सकते है और कोई भी जानकरी हिंदी में भी प्राप्त कर सकते है ।"
"और जो तू हिन्दी सिनेमा का दीवाना! तुझे ये भी नही पता कि पूरे भारत ही नहीं विश्वभर में हिंदी सिनेमा लोगो के दिलों की धड़कन है और हिंदी गाने तो लोगो के दिलों में बसते हैं ।" माँ का वाक्य पूरा भी न हुआ था कि दीपू अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ और दीदी के मेडल को हाथ में लेते हुए हर्षित स्वर में बोला-
"मम्मी पापा दीदी ! आज आपकी बातों ने मेरी आँखे खोल दी । आज ही तो अध्यापिका ने कक्षा में पढ़ाया था पर उसका अर्थ मुझे अब समझ आया ।"
"निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।
विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार।
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।।"
