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Lokanath Rath

Inspirational

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Lokanath Rath

Inspirational

हिम्मत.....

हिम्मत.....

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ज़िन्दगी के सफर मे तरह तरह की आफत आती है, पर हिम्मत करके उसका सामना करने से सब टल जाती है. आज उसको साबित करके दिखाया सुरेंद्र.

सुरेंद्र शर्मा ने, आज शहर का बड़ा चर्चित नाम. एक समय था जब सुरेंद्र को कोई जानता नहीं था सिवा उनकी आस पास की लोग या पडोसी. उनकी पैदाइश एक साधारण ब्राम्हण परिवार मे हुआ. पिता सरकारी नौकरी करते थे और माँ गृहिणी थी. उनकी परिवार माता पिता के साथ और एक भाई और दो बहेन के साथ ठीक ठाक चल रहा था. सुरेंद्र सबसे बड़े थे. जब वो दसवीं कक्षा मे पढ़ते थे तब अचानज एक दुर्घटना मे उनकी पिता माता की निधन हो गया. अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनकी ऊपर आगया. अपनेनी गांव मे भी कुछ जमीन जायदाद भी नहीं था. अभी छोटे भाई और बहेनो की पढ़ाई और देखभाल करना बड़े होने के नाते वो अपने कन्धे मे लिए एक फैसला लिए. अपनी पिताजी के एक मित्र के जरिये एक किराना दुकान मे नौकरी करने लगे.अपनी पढ़ाई को छोड़ के भाई और बहेन को पढ़ाने लगे. देखते देखते पांच साल गुजर गए. सारे भाई बहेन अब पढ़ाई मे जोर दे रहे थे. एक बहन महाबिद्यालय मे और भाई मेट्रिक ख़तम करके अभी महाविद्यालय जायेगा. छोटी बहेन अभी नवीं कक्षा मे है.

अपनी कुछ बचा हुआ पैसो से सुरेंद्र अपनी घर के सामने एक खुदकी चाय की दुकान खोल दिए. ईश्वर की कृपा से दुकान अच्छा चलने लगा. कमाई भी अच्छा होने लगा. देखते देखते कुछ और साल बीत गया. अब उनके नीचे वाली बहेन स्नातक के बाद प्रशासनिक सेवा परीक्षा मे पास हो गयी. छोटा भाई इंजिनिरिंग पढ़ रहा है और सबसे छोटी बहेन स्नातक पढ़ रही है. अब वो अपनी एक बहेन की शादी अभी अभी करदिये और दामाद भी सरकार के प्रशासनिक सेवा मे काम कर रहे हैं.

दो साल बाद छोटे भाई की पढ़ाई ख़तम हुई और सरकारी नौकरी भी मिलगई. अभी बाकी था सबसे छोटी की शादी करवाने की. वो भी स्नातक कर चुकी थी. उपरवाले के कृपा से उसकी शादी भी एक पुलिस अधिकारी से हो गई.

अब घर मे वो अकेला रह गया. दुकान की भीड़ को देखते देखते कभी कभी खाना बनाने को भी समय नहीं मिलता था. तब सुरेंद्र के चाचा ने उसको शादी करने की सलहा दी और उसके और छोटे भाई के दोनों की शादी करवा दिये.

सारे भाई बहेन अपने अपने घर संसार के साथ ख़ुश थे. सुरेंद्र भी अपनी संसार खुशी खुशी चला रहा था. उनके एक बेटा और बेटी उनकी खुशी को और बढ़ा दिए. दोनों बच्चे पढ़ने लगे. अब सुरेंद्र अपनी जीबन की एक सपने अपने बच्चों के जरिये पूरा करने की सपने देख रहे थे. उनकी डॉक्टर बनने की अधूरे सपने वो अपनी बच्चों को बनाकर पूरा करेंगे. उनकी पढ़ाई के लिए जितने अच्छे से अच्छे जरूरते सब पूरा करने की कोशिश करते रहे. इस बीच शहर के कुछ दूर मे एक बड़ा जमीन सस्ते मे भी ले लिए. ये सोच के की वहाँ एक अस्पताल होगा और गरीबों की इलाज मुफ्त होगा.

देखते देखते सुरेंद्र के दोनों बच्चे डाक्टरी पढ़ने लगे. इधर उनकी भाई और बहेन इस बीच काफ़ी बार बोले की अब उनको चाय की दुकान बंद करदेना चाहिए. जो कुछ उनकी जरूरते है सब वो लोग पूरा करेंगे. किन्तु सुरेंद्र बड़े स्वाभिमानी थे. वो बोले की चाय की दुकान बंद नहीं करेंगे. अभीतक उनकी हिम्मत उन्हें सब कुछ करने का साथ दिया. जब उनके पास कुछ नहीं था तब ये चाय की दुकान और हिम्मत, दोनों साथ दिए सबको बड़ा करके इतने दूर लाने के लिए.

फिर धीरे धीरे सारे भाई बहन उनसे दूर हो गये. इस बीच उनकी पत्नी बीमारी के चलते उनको छोड़ के चल बसी. फिर भी वो हिम्मत नहीं हारे. बच्चों को पढ़ाते रहे. जब उनकी दोनों बच्चे पढ़ाई ख़तम किये तो सुरेंद्र उनको पूछे की अब वो क्या करना चाहते. दोनों ने बोले की, "आप की आदेश की इंतजार है ".

ये सुनके उनके आँखों से आंसू आने लगा. फिर उन्होंने बोले तुम दोनों की शादी कर दूँ और एक जमीन ले रखा है, वहाँ एक अस्पताल तुम्हारी माँ के नाम पे खोलना है. जहाँ गरीबो की इलाज मुफ्त होगा. बच्चों ने खुशी खुशी बोले, पहेले अस्पताल खोलेंगे और बाद मे शादी जहाँ आप कहेँगे. सुरेंद्र भी खुशी खुशी राजी हो गये. एक साल मे अस्पताल खुल गया. नाम " मानसी सेवा केंद्र ". वहाँ गरीबो के लिए पचास सज्या है मुफ्त इलाज के लिए और बाकि के पचास दुसरो के लिए. सारा शहर मे उनकी अस्पताल की चर्चा बढ़ने लगा. सभी लोग सुरेंद्र के हिम्मत और मेहनत की प्रशंसा की.

आज उनकी ये विशेष सेवा के लिए सरकार ने उन्हें सम्मानित करने बुलाया है. वो अपने बच्चों के साथ आये हैं. बहुत खुशी है की उनके अधूरे सपनो को उनकी बच्चों ने पूरा किया. उपरवाला सदा उनकी हिम्मत बढ़ाता रहा. सारे दुख दर्द को छुपाने की हिम्मत तब भी था अब भी हैं शायद ये साथ रहेगा. जब उसने तालियों की आवाज सुनी तो उनको लगा की एक साधारण परिबार से पैदा होनेके बाबाजूद उनके ये कैसे हिम्मत हुई इतने बड़े सपने देखने को और पूरा करने को?, शायद इसी हिम्मत के लिए आज इतनी तालियों की आवाज गूंज रही है. एक मुस्कान के साथ सुरेंद्र मेडल की ओर बढ़ने लगे!


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