Neeru Nigam

Abstract Inspirational

4.6  

Neeru Nigam

Abstract Inspirational

हैप्पी टीचर्स डे

हैप्पी टीचर्स डे

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अपजिता का फोन बार -बार बज रहा था। 15 मिस्ड काॅल पड़ी थी। आखिर अपराजिता ने फोन उठाया, तो दूसरी तरफ से आवाज आई

मैम आप तैयार हो ना ? मै अपना ड्राइवर भेज दूं आपके घर, आपको लेने के लिए। 

अपराजिता चुप खड़ी थी। उधर से फिर से आवाज आई

मैम, आप तैयार हो ना ? 

अपराजिता - मुझे 15 मिनट दो तैयार होने के लिए दो, फिर ड्राइवर को भेज देना। 

ठीक है मैम, अच्छे से तैयार होईयेगा मैम। मै 15 मिनट बाद अपने ड्राइवर अतुल को भेजती हूं। उसका नंबर भी भेज रही हूं आपको। जल्दी से तैयार हो जाइये आप। 

अपराजिता को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर यह कौन लड़की है,जो पिछले 15 दिन से उससे बात कर रही है, और आज के दिन के लिए वह पिछले 7 दिन से जिद कर रही है। वह समझ नहीं पा रही थी कि तैयार हो कि नही। फिर जाने क्या सोच, अलमारी खोल, साड़ी पसंद करने लगी। 

20 मिनट बाद, अपराजिता का फोन फिर बजा, अपराजिता ने फोन उठाया -

हैलो - जी मैम मै अतुल, आपका नीचे सफेद रंग की गाड़ी में, गेट के सामने इन्तजार कर रहा हूँ ।

अपराजिता - जी, मै आती हूं। 

थोड़ी देर बाद अपराजिता नीचे आ गई, सामने एक सफेद रंग की गाड़ी खड़ी थी, वह जैसे ही गाड़ी के पास पहुंची, ड्राइवर ने पीछे वाला दरवाजा खोल बैठने को कहा। अपराजिता को बहुत अजीब लग रहा था, मगर फिर भी वह बैठ गई। 

लगभग 20 मिनट बाद, गाड़ी ताज होटल जा कर रुक गई। 

अतुल ने कहा - मैम आप यहीं उतर जाइये, मै गाड़ी पार्क कर के आता हूँ। 

अपराजिता जैसे ही गाड़ी से उतर कर खड़ी हुई, तीन चार लड़कियों, जो करीब 6-7 साल की रही होगी, ने आकर उसे घेर लिया। 

गुड इवनिंग मैम, सबसे एक साथ बोला, और उसको गुलाब के फूल देने लगी। सभी के हाथ में एक एक गुलाब का फूल था। 

अपराजिता को बहुत अच्छा लगा, वह सब बच्चिया बहुत प्यारी लग रही थी। अपराजिता ने सबको बारी बारी से पास बुला कर उनका माथा चूम लिया। और फिर बोली - थैंक्यू। 

तभी एक बच्ची जो लाल रंग की फ्राक मे थी, अपराजिता का हाथ पकड़,अन्दर को ले जाने लगी। बाकी सब बच्चिया भी साथ साथ अन्दर चल दी। 

थोड़ी देर बाद, वो सब एक हॉल मे पहुँच गए, जैसे ही अपराजिता हॉल के दरवाजे के पास पहुंची, दरवाजा अपने आप खुल गया और अपराजिता पर फूलो की बारिश होने लगी। अपराजिता कुछ देख नहीं पा रही थी क्योंकि हाल में अंधेरा था। मगर उसको एक गाना सुनाई दिया - बार बार दिन यह आए, बार बार दिल यह गाए, हैप्पी बर्थ डे टू यू… ……..

अपराजिता को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या है और कौन है यह सब। इन्हें कैसे पता कि आज उसका जन्मदिन है। अपराजिता अभी यह सब सोच ही रही थी कि किसी ने उसका हाथ पकड़ा और अपने साथ ले चला। 

थोड़ी देर बाद, हॉल की रोशनी वापस आई और अपराजिता के सामने कम से कम 15-20 लोग खड़े थे, सामने एक बड़ा सा केक रखा था। और पीछे बैनर लगा था किसी पुस्तक के विमोचन का। 

वहां खड़े सब एक साथ बोले - जन्मदिन की शुभकामनाएं मैम। हैप्पी बर्थ डे मैम। फिर उस भीड़ में से एक युवक आगे आया और अपराजिता के पैर छू कर बोला - मैम पहचाना मुझे?? मै पलाश, जिसने आपको या कह लीजिए सारे टीचर्स को परेशान कर दिया था, मगर एक आप ही थी जिसने मुझे हमेशा सही रास्ता दिखाया, खुद पर विश्वास करना सिखाया। 

देखिए आज यहां वही सब हैं जिनको बाकी सब टीचर्स ने नकार दिया था, सब हमको बुरा इन्सान मानते थे, और एक आप ही अकेली थी जो हमको हमेशा प्यार करती थी। कभी हार नहीं मानी आपने, धैर्य नहीं खोया आपने, हम पर हमेशा विश्वास रखा। यह देखिए, अंकिता, जिसकी दो साल की फीस भी आपने भरी थी, जब उसके पापा का देहान्त हो गया था, और आपने ही 12वी के बाद सारे फार्म भी भरे थे, अंकिता ने कम्प्यूटर सांईस से मोती लाल नेहरू, इलाहाबाद से इन्जीनियरिंग की और आज यह टी.सी.एस में बहुत ऊंचे पद पर है। अंकिता अपने पति के साथ आई है, और यह छोटी बच्ची जो आपको यहां तक लाई है, यह अंकिता की ही बेटी हैं ।

अपराजिता को तो सब सपना सा लग रहा था। इतने सालो बाद, यह सब बच्चे, आज अचानक, क्यो, कैसे?? 

अपराजिता, यह सब सोच ही रही थी कि तभी आवाज आई- आप सबसे निवेदन है कि सब बैठ जाइये। हम अपना कार्यक्रम शुरू करते हैं। मै, तान्या आप सबको बता दूं कि आज हमारी प्यारी मैम, अपराजिता की कविताओ के संग्रह का विमोचन, उनके पसंदीदा हीरो आमिर खान जी, के हाथो, थोड़ी ही देर में होगा। 

आमिर सर हमारे बीच आने वाले हैं। आप सब अपनी अपनी जगह पर बैठ जाइये। 

अपराजिता को तो कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, काव्य संग्रह, आमिर खान। क्या है यह सब, उसने अंकिता को बुलाया और पूछा, कौन सा काव्य संग्रह ? 

अंकिता -.मैम हम लोग जब स्कूल मे थे, तब फेसबुक पर आपकी कविताये पोस्ट होती थी, हम सबने उनका संग्रह कर, छपवा लिया। हम सब जानते थे कि आप आमिर सर को बहुत पसंद करती हैं, और यह संदीप, फिल्मी दुनिया से जुड़ा है, इसकी वजह से यह भी मुमकिन हो गया। 

अंकिता यह सब बता रही थी कि तभी तान्या बोली - सब दिल थाम कर बैठे, क्योंकि हमारे बीच हमारी मैम के प्रिय हीरो, आमिर खान, हाल मे आ चुके हैं। तभी तालियाँ बजने लगी और अपराजिता के सामने उसका फैवरेट हीरो आमिर खान खड़ा था। 

सबसे आमिर खान का स्वागत किया, इतने में तान्या ने माईक पर बोलना शुरू किया - सर आपका बहुत बहुत स्वागत है, हम बता ही नहीं सकते कि हम सबको कितनी खुशी हो रही है आपको अपने बीच देख कर, उससे भी कहीं ज्यादा खुशी है कि जिनकी वजह से हम बने खुद पर विश्वास करना सीखा, अपने सपने पूरे किए, आज हम सब इस काबिल हो पाये कि अपनी मैम का एक सपना उनके काव्य संग्रह के रूप में पूरा कर पाये, और यह विमोचन आपके हाथों हो, शायद इससे ज्यादा अच्छा कुछ हो ही नहीं सकता। 

तान्या - मै गुजारिश करती हूं, आकाश से कि वो मैम को यहां तक ले कर आए। 

आकाश तभी अपराजिता के पास पहुँचता है, उसके पैर छू कर बोला - मैम आइये। 

अपराजिता को सब कुछ एक सपना सा लग रहा था। आकाश ने अपना हाथ आगे बढा रखा था, अपराजिता आकाश के साथ चल दी। 

हॉल मे सब लोग अपराजिता के सम्मान में खड़े हों कर ताली बजाने लगे। 

अपराजिता के वहां पहुंचने पर, तान्या ने बोला - मैम हम सबकी तरफ से आपका बर्थ डे गिफ्ट, यह किताब। आमिर सर यह कविताये मैम फेसबुक पर पोस्ट करती थी, या हममे से किसी को वाहटसप पर भेजती थी। हम लोग जानते थे कि मैम एक किताब छपवाना चाहती थी, मगर इन्होने अपने लिए कभी जिया ही नहीं। इनका जीवन हमेशा से दूसरो के लिए ही था। अपने लिए तो सब जीते है, दूसरे को खुशी देना, इन्होने ने ही सिखाया हमे। शायद इसीलिए आज हम सब मैम का यह सपना उनके जन्मदिन पर पूरा कर सके। 

आमिर खान ने पुस्तक का विमोचन किया, जिसका नाम भी अपराजिता ही था। अपराजिता की आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। वह अपनी कविताये पढने में व्यस्त हो गई। कि तभी उसने सुना। आप सबने हमारी मैम का बर्थ डे गिफ्ट तो देख ही लिया, अब बारी है एक और गिफ्ट की। वह है बेस्ट टीचर्स अवार्ड। 

हमारा एक साथी पार्थ, अपना एक स्कूल शुरू करने जा रहा है, और वह अपने स्कूल के लिए हमारी अपनी मैम को प्रिंसिपल नियुक्त करना चाहता है। 

मैम,हम सब हमेशा से,आपको इस ओहदे पर देखना चाहते थे। आज हमारा भी एक सपना पूरा हुआ। आज से दो दिन बाद 5 सितम्बर है, सो हैप्पी टीचर्स डे मैम । हैप्पी टीचर्स डे, मैम 

इस आवाज से पूरा हॉल गूंजने लगा और अपराजिता की आंखों से प्यार और गर्व के आंसू नहीं थम रहे थे . आज खुद को शायद दुनिया की सबसे धनवान इन्सान समझ रही थी अपराजिता और हॉल तालियो की गडगडाहट से गूंज रहा था और सब एक साथ बोल रहे थे हैप्पी टीचर्स डे।


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