Nikita Vishnoi

Inspirational

4.6  

Nikita Vishnoi

Inspirational

हार नही प्रतिकार सही

हार नही प्रतिकार सही

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जज़्बा और विश्वास हो तो कोई भी अपनी मंज़िल पा सकता है।

हक़ीक़त और गरीबी से जुड़ी इस सच्ची कहानी से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है।

एक बच्चा जो महज़ 7 साल की उम्र में अपने माँ बाप को खो देता है जिसने कभी इतनी भयावह स्थिति का तकाजा भी नहीं लगाया होगा। अपने दो और छोटे भाई बहन की परवरिश में उसने जी तोड़ मेहनत करनी शुरू कर दी यहाँ मेहनत उसकी उम्र की मोहताज़ नहीं थी घर वालों ने ही ठुकरा दिया, घर से बेघर भी कर दिया गया। फुटपाथ के दोनों किनारों पर फैंके हुए कचरे में से खाने का निवाला ढूंढते बहन की हालत बहुत खराब हो चुकी थी।

पैसे नहीं होने के कारण वो अपनी बहन के स्वास्थ्य के लिए लोगों से भीख मांगने लगा। लोगों के सामने हाथ फैलाकर उन्हें दुहाई देता रहा (पर वाह रे कलयुग) किसी ने उस बच्चे पर ध्यान नहीं दिया। वो रोता रहा, लोगों के सामने पर किसी ने भी आगे बढ़कर उसकी मदद नहीं की। तब वो अगले दिन से अखबार बेचने लगा। स्थिति अब भी सामान्य नहीं थी जैसे तैसे पैसों को जुटाकर वो डॉक्टर के पास गया पर शायद कुछ देर हो चुकी थी। बहन के हाथ ठंडे पड़ चुके थे। साँस भी थम गई थी। अपनी आखिरी शब्दों में बस भाई भाई बोल कर रह गई।

तेजस के चेहरे से रंग उड़ चुका था। उसका छोटा भाई रवि (३वर्ष ) रोने लगा। उसे तो शायद इसकी भनक भी नहीं थी वो अपनी भूख का अनुमान लगवाना चाहता था। बहन के क्रियाकर्म के बाद तेजस अब और अकेला महसूस करने लगा और सोचते सोचते वो अपनी नन्ही सी आंखों से विश्व के मायने को समझने लगा। वाह रे दुनिया वाह ओ कुदरत, मोती जैसे आंसू उसकी हथेली पर एक आब के रूप में दिख रहा था। आहिस्ते से कुछ आवाज आयी। तेजस ने पीछे देखा तो उसे किसी भिखारी के आवाज देने जैसा आभास हुआ, क्या हुआ रे लड़के (एक मोटी सी खरखराती आवाज ) भिखारी ने दी।

आजा मेरे साथ चल कुछ खाले, तेजस मूक अवस्था मे बस भिखारी को देखता रहा। छोटा भाई भूख से व्याकुल होकर सो गया था। दो रोटी और आचार उस भिखारी ने तेजस को दिया, तेजस संकोच के कारण न सहमति प्रकट कर रहा था। नहीं मनाही समुद्र के टापू के पास ऊँची लहरों को देख वो रोटी को खाने लगा। भिखारी की परोपकारिता से वो बहुत प्रभावित था छोटे भाई को भी रोटी के निवाले से आश्वस्त किया सोच रहा था कि में दुनिया में क्यूं आया।

न माँ है न बाप है बहन थी उसे भी मैंने मार डाला अब रवि की देखरेख क्या में कर पाऊंगा (यदि 7 वर्ष के बच्चे के मन मे ये प्रश्न उठने लगे तो निश्चित ही स्थिति ने उसे बहुत सिखाया है और मानसिकता भी अब उसकी विकसित होने लगी थी। अगले दिन से तेजस ऑटो गेरेज में काम करने लगा उसकी निष्ठा लगन ने सभी को बहुत प्रभावित किया अब भिखारी (जिसने तेजस और रवि को शरण दी)उसे तेजस अब्बू चाचा कहने लगा था और अब दोनोंवक़्त का खाना भी उन्हें मिलने लगा था ,जब तेजस को उसका सेठ कुछ पैसे देता तो वो बहुत खुश होकर पाई पाई जोड़ने लगता (पैसे जोड़ना भी अलग विषय था वो अपने भाई के लिए एक छोटी मोटर गाड़ी लेना चाहता था आज वो दिन आ गया जब वो रवि के लिए सुंदर सी गाड़ी लेकर जा रहा था उसे कितनी खुशी होगी वो खुशी से झूमने लगेगा और उसे ध्यान आया अब्बू के लिए भी कुछ ले लेता हूं पर उसे पता था कि अब्बू की तबियत अब ठीक नहीं रहती है उनके लिए दवाइयों का प्रबंध करना होगा तमाम एक के बाद एक ख्याल उसके दिमाग मे दस्तक दे रहे थे घर पहुँचते ही रवि बाहर आओ देखो तुम्हारे लिए में कुछ लाया हूंआवाज देते देते तेजस थक गया उसका भाई भी नहीं दिखा न ही अब्बू तब ही नुक्कड़ वाले सेठ के ड्राइवर ने बोला मैंने रवि और अब्बू चाचा को किसी गुंडों की टोलियो के बीच देखा। मैंने आवाज भी दी पर उन गुंडों ने मुझे जान से मारने की धमकी दी तब मैं भाग आया अब तेजस की ज़िंदगी रुआँसा की ओर बढ़ चुकी थी रवि, अब्बू चाचा चिल्ला चिल्लाकर उसका गला भी अवरुद्ध हो गया था वो पुलिस के पास गया पर पुलिस ने ये कह कर मामला टाल दिया कि तुम गंदगी में पड़ने वालो के साथ ऐसा ही होगा, भिखारी साले भाग यहाँ से  रोता हुआ।

तेजस यहाँ वहाँ भागा सब जगह ढूंढा पर नहीं ढूंढ पाया अपने अब्बु को और भाई को अंततः वो थक गया था। उसने हार ही मान ली थी अब वो खोया खोया सा रहने लगा अब भूख की व्याकुलता और परिस्थिति की विवशता ने उसे खोखला बना दिया था वो गैरेज पर फिर से जाने लगा कई सालों बाद (6 वर्ष) के बाद वो एक गाड़ी की रिपेरिंग कर रहा था कुछ दे दो।

भैया आवाज में दर्द और मार्मिक आकर्षण था। एक बच्चा लगभग 9 साल का जो शरीर से अपाहिज़ और गरीबी से परेशान था तेजस ने उसे बैठाया, उसे खाने के लिए कुछ दिया फिर पूछा तुम्हारा नाम क्या है उसने कहा रवि, तेजस रवि को देख रहा था और रवि खाना इतना जल्दी खा रहा था मानो हफ़्तों का भूखा हो उसकी फ़टी शर्ट के अंदर उसने हूबहू वही निशान देखा जो रवि को था। रवि तुम बोल कर गले लगा लगा कर रोने लगा कहा चला गया था तू अपने भाई को छोड़कर और जोर जोर से रोने लगा तुझे अपाहिज़ किसने बना दिया तू तो चल सकता था।

रवि रवि कुछ समझते हुए मुझे कुछ पैसे दे दो नहीं तो मुझे मार पड़ेगी। आवाज में खौफ था। कैसी मार और कौन तुझे मारेगा। वो सरनि भाई मुझे मारेगा। मुझे यदि दिन भर में 40 रुपये नहीं मिले तो तेजस स्थिति को भाप गया कि भीख मंगवाने के लिए मेरे भाई की ये हालत की है। अब्बु चाचा कहा है तेजस ने पूछा वो तो अल्लाह को प्यारे हो गए। उनकी तबीयत बहुत खराब थी। उन्होंने मुझसे बोला तुम्हारा कोई भाई है जिसका नाम तेजस है तो क्या आप तेजस भैया हो मेरे वाले तेजस ने कहा हा पगले मैं ही हूँ तेरा भाई और आज से तुझे डरने की जरूरत नहीं। तेरा भाई तेरे साथ है तेजस ने अपने ऑटो गेरेज के सेठ की मदद से सरनि ग्रुप के दलालों को पकड़वाया और सभी बच्चो को उनके माता पिता सगे सम्बन्धी तक पहुँचाया और जो अनाथ बच्चे थे उनको तेजस ने ही आश्रय दिया और सेठ की मदद से उन्हें अच्छी शिक्षा और तकनीकी ज्ञान उपलब्ध कराया।

ये थी वास्तविक कहानी तेजस की।


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