हाईटेक ओल्ड एज होम
हाईटेक ओल्ड एज होम
संदीप "नीलू आज शनिवार है कल सुबह जल्दी तैयार हो जाना हम तुम्हारी मम्मी से मिलने चलेंगे । "
नीलू "अरे संदीप क्या बात है मेरे घर में जाने की इतनी उत्सुकता मैंने पहली बार देखी। ठीक है आज मैं मम्मी के लिए एक अच्छा उपहार लेकर आऊंगी बहुत दिनों से वह एक शाल का कह रही है वह भी दे दूंगी। "
अगले दिन संदीप व नीलू , मम्मी से मिलने के लिए घर से निकले रास्ते में एक हाईटेक ओल्ड एज होम में पहले रुके।
संदीप "नीलू तुम गाड़ी में बैठो मैं 10-15 मिनट में मां पिताजी से मिलकर आता हूं उनको यहां कोई तकलीफ तो नहीं ,उनका मन तो लग रहा है ना? यह हाईटेक लिखा तो है पर हाईटेक जैसी इस ओल्ड एज होम में सुविधा है कि नहीं यह तो पता कर लूं। और फिर हम इसमे मां पिताजी के रहने की अच्छी खासी रकम भी तो इनको डोनेट कर रहे हैं।
। नीलू ने सिर हिला दिया।
संदीप अपने माता-पिता से मिलने गया । नीलू कार में बैठी यह सोच रही थी कि ग्रीन कलर का शॉल उसकी मां पर कितना सुंदर लगेगा।
अचानक उसने देखा उसकी कार के पास एक और कार आ रुकी ,गाड़ी का दरवाजा खुला नीलू की मां उस गाड़ी से उसके भाई के साथ उतर रही थी।
नीलू ने अपनी मां से कहा "मम्मी तुम यहां ?
नीलू की मां मुस्कुराई और उन्होंने कहा" हां तुम्हारे भैया मेरा हाईटेक ओल्ड एज होम में एडमिशन कराने आए हैं।
कल जब संदीप से अचानक हमारी मुलाकात हुई तब संदीप ने बताया कि "अपने शहर में एक हाईटेक ओल्ड एज होम खुला है जिसमें बुड्ढों की सभी जरूरतों को का ध्यान रखा जाता है और भजन-कीर्तन भी समय-समय पर होते हैं। बाहर से लोग वृद्धों के साथ मिलने आते हैं कोई जन्मदिन मनाता है कोई दीपावली इसलिए नीलू का यह मानना है की वृद्धजनों को ऐसी जगह ही रहना चाहिए भले ही उनके बच्चों के जेब से कितने ही पैसे लग जाओ"।
पहले तो हमें संदीप की कही ये बात बुरी लगी फिर मैंने हीं तुम्हारे भाइयों से कहा "जब ऐसे हाईटेक ओल्ड एज होम बूढ़ों के लिए खुल गए हैं तब बच्चों को चिंता की क्या जरूरत है मैंने ही तुम्हारे भाइयों से कहा की मैं भी तो बुड्ढी हूं मुझे भी हाईटेक जमाने में अपने बच्चों पर बोझ ना बन कर ओल्ड एज होम चले जाना चाहिए। "
नीलू की आंख में आंसुओं की धार बहने लगी वह अपनी गलती में पछता ऱही थी। संस्कारों की बलि जो वह 7 दिन पहले अपने सास ससुर को हाईटेक ओल्ड एज होम भेज कर दे चुकी थी । उस गलती पर उसे आत्मग्लानि हो रही थी।
वह ओल्ड एज होम के अंदर गई और अपने सास ससुर को वापस घर लौटने का आग्रह करने लगी । "मैं अपनी गलती में शर्मिंदा हूं। "माफ़ी मांगने लगी।
सास ससुर ने उसकी आंखों में पछतावे के आंसू देखें और उसे माफ कर गले लगा लिया।
नीलू की मां ने संदीप और उसके माता पिता की तरफ देखा व अपनी बेटी की गलती की शर्मिंदगी के साथ हाथ जोड़कर माफी मांगी।
