हादसों को टालना है तो ...
हादसों को टालना है तो ...
जब भी मेरे अंदर का रावण जागने लगता है
श्री रामजी की पूजा आराधना करने लगती हूँ
अपने अंदर के रावण का अंत खुद ही मैं कर देती हूँ
ऐसा करने से मैं पापी नही बन जाती हूँ क्योंकि
बुराई पर अच्छाई की विजय पाना है तो
बुराई का अंत हमे खुद करना होगा।
किसी और को बुरा बोलने से पहले
हमको खुद के अंदर भी झांकना होगा
किसी के अंदर के रावण को मारना है
तो कुछ गलत होने ही ना दो अपने संग
आवाज़ करो बुलंद उसी वक्त उस हादसे
को होने ही ना दो।
कल क्या हुआ था संग किसी के ये तो
बस चर्चा का विषय बन जाता है
दुर्गा शेरनी बन कर अपना मुकाबला
खुद करने की आदत डल लो
मीटू के साथ है हम भी पर बरसों तक
ना चुप बैठो
आवाज़ अपनी उठाओ और कोई हाथ
ना अपने दामन को मैला करने दो।
जिंदगी रुक तो नहीं जाती
हादसों से अगले पल चल पड़ती है
जो शिकार होते उन हादसों के
उनके घर वालों का क्या हाल होता
अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
बरसों तक उस हादसों को भूलना
उनके लिए मुश्किल होता है
गलती किसकी थी ये बस
चन्द दिनों के लिए सवाल होते हैं
लोग भूल जाते हैं, प्रसाशन भूल जाता है
यह गलतियो से कुछ तो सीखो
ताकि दोबारा कोई हादसा ना हो
एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगा कर क्या फायदा
कितनी जानें चली गई किस की गलती थी।।
