ग्यारहवाँ दिन
ग्यारहवाँ दिन


'21days' लॉक डाउन के लगभग आधे पड़ाव तक हम पहुँच गए अब उल्टी गिनती शुरू
ग्यारहवाँ दिन भी अपने अंजाम तक पहुँच गयाबढ़ते आँकड़ो और बढ़ती कोशिशों के साथ
हर न्यूज़ चैनल पर बस 'तब्लीगी जमात' ही छाया हुआ है । मुझे नहीं पता कि उनकी मंशा क्या है या कितनी सच्चाई इन खबरों में हैं।
बस एक विश्वास है
उस रब पर
और हम सब पर
अन्ततः जीत तो हमारी होगी बस समय कितना लगेगा ,पतानहीं
इस समय बहुत सारे मेसज / वीडियो आते रहते है , सारे तो नहीं देख पाते, कभी समयाभाव के कारण तो कभी मन न होने से
बहरहाल आज एक ऐसे ही वीडियो पर मेरी नज़र अटक गईथा कुछ यूँ की यदि 'अच्छा समय' और 'बुरा समय' में से चुनने को दिया जाए तो आप किसे चुनेगें
ज़ाहिर है सबका ज़वाब 'अच्छा समय' ही था
हो भी क्यों न
अच्छा समय लाता है
खुशियाँ प्रेमसफलता समृद्
धि आत्मविश्वास अच्छे रिश्ते
पर हम ये नहीं जानते कि ये खुशियाँ हमें आलसीसफलता हमें दंभीआत्मविश्वास हमें अहंकारी बना देता है ,साथ हम रिश्तों की अहमियत भूलने लगते हैं
जबकि बुरे समय में हम
ईश्वर के ज्यादा निकट होते हैं,
ज्यादा अनुशासित होते हैं,
ज्यादा विनम्र होते हैं,
ज्यादा प्रयासरत रहते हैं,
अपना शत प्रतिशत देते हैं
सार ये है कि बुरे समय में हम अपने सबसे परिष्कृत रूप में होते है।
खैर चुनने को कहा जाए तो सभीमैं भी अच्छा समय ही चुनेंगे बस प्रश्न ये है कि जो काम हम बुरे समय में करते है, उसे अच्छे समय में भी अपना ले तो बुरा समय आये ही क्यों
कुछ वैसा ही कि --- जो सुख में सुमिरन करे
अभी भी हम बुरे समय से गुजर रहे हैं।
हौसला बनाये रखें
कोशिशें जारी रखें
कोशिशें ही तो होती हैं कामयाब।