गुमशुदा भाग 4

गुमशुदा भाग 4

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भाग 4


कल दोपहर को ये मेरे सामने ही तो टैक्सी में बैठकर रवाना हो गया साहब, दुकानदार बोला, स्कूल का बस्ता भी लिया था इसने! मुझे थोड़ा अजीब लगा लेकिन मुझे लगा कहीं गया होगा।
टैक्सी में कोई था क्या? मगन ने पूछा
वो मालूम नहीं साहब, अंदर कोई था कि नहीं, पर वो बहुत जल्दबाजी में टैक्सी पकड़ कर निकल गया इतना मालूम है।
वहाँ और कुछ देर पूछताछ चली लेकिन और कुछ नया मालूम नहीं पड़ा तो दोनों अधिकारी लौट आये और विचार विमर्श में लग गए।
देशमुख बोला, क्या ऐसा हो सकता है कि यह तस्वीर उसी दिन की हो जब सलाहुद्दीन टैक्सी में बैठा था, और उसी ने सियान का अपहरण कर लिया हो?
-होने को कुछ भी हो सकता है, मगन बोला, लेकिन एक बात काबिले गौर है कि गुजराती सेठ ने बताया कि सियान अपनी मर्जी से टैक्सी में बैठ कर गया था, अगर किसी ने जबरदस्ती उसे टैक्सी में बैठाया होता तो सेठ जरूर वैसा बताता।
हां, मगन! अगर तस्वीर में टैक्सी का नम्बर दिखाई पड़ गया होता तो उसे ढूंढना आसान होता, लेकिन यह आम प्रीमियर पद्मिनी फिएट टैक्सी है, जैसी मुम्बई में हज़ारों हैं इसे कैसे ढूंढा जाए, यह कहते हुए देशमुख के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई पड़ रही थीं।
इतनी देर में मगन फोटो को हाथ में लेकर ध्यान से देख रहा था वह बोला, देखो देशमुख! इस टैक्सी के पीछे की स्क्रीन पर कुछ लिखा हुआ है जिसका सिर्फ आखिरी अक्षर 'र' दिखाई पड़ रहा है। इसका मतलब क्या है?
अरे! बहुत सी टैक्सियों पर लिखा होता है कि वो कहाँ-कहाँ जा सकती हैं, अब इस र के आगे पता नहीं कौन सा शब्द है। वह पालघर, नवघर, भाईंदर कुछ भी हो सकता है न! इसके आधार पर इसे ढूंढना भूसे के ढेर से सुई ढूंढने से भी कठिन है। देशमुख बोला।
वैसे एक बात तो साफ है कि सलाहुद्दीन शहर में मौजूद हो सकता है तो हमें चाहिए कि सबको अलर्ट करें और सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद की जाए।
सही बात, मगन बोला। फिर दोनों अधिकारियों ने हेडक्वार्टर में सूचना देकर जरूरी सन्देश प्रसारित करवाये और इस केस पर मिलकर काम करने का निश्चय करके विदा ली। देशमुख अपने थाने में आकर जरूरी कामों में लग गया लेकिन उसे नहीं पता था कि जिस टैक्सी की खोज में वह इतना परेशान था वह आज रात ही उसे और बड़े रहस्य के दलदल में धकेलने वाली थी। उसी रात टैक्सी की खबर आ गई।


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