गन्दी नजर
गन्दी नजर
कमली उम्र मात्र 15 सालऔर उसका भाई रामू उम्र मात्र 10 साल। इस कोरोना आपदा ने दोनों को अनाथ बना दिया। शहर में कोई और रिश्ते दार भी नहीं था। सब दैनिक आय वालों पर अपना और अपने परिवार को ही पालने की समस्या आगयी थी। ऐसे में कमली और रामू को कौन सहारा देता। दोनों भाई बहन बिलकुल असहाय से महसूस कर रहे थे। पड़ोस की बुढ़िया दादी रामो भी बिलकुल अकेली थी।
पहले वह सब्जी की टोकरी फुट पाथ पर रख कर थोड़ा बहुत कमा लेती थी पर अब तो वह भी सब खत्म। रामों ने दोनों भाई बहनों अपने आश्रय में ले लिया। धीरे धीरे लाक डाउन भी खुलने लगा रामो ने सब्जी का टोकरा लगाना शुरू कर दिया। वह कमली को किसी के यहाँ काम करने भेजना नहीं चाहती थी। कमली बहुत प्यारी सी थी और उम्र का दौर भी नाजुक था। कमली को ये अच्छा नहीं लग रहा था कि वह कोई काम ना करे। उसे दो चार घरों में काम मिल रहा था उसने अपने और रामू के शरीर पर काला रंग लगाया और दोनों भाई बहन एक दूसरे को इस हालत में देख कर खिलखिला कर हंसने लगे। जब रामों ने अन्दर आकर देखा तो हंसने लगी बोली बिटिया दुनिया बहुत स्वार्थी। दुनिया पल पल रंग बदलती है। चल तूने तो अपने जीवन यापन के लिये अपना रंग बदला है जिससे गन्दी नजरों से बच सके।
