ग़लतफहमी
ग़लतफहमी
नंदा जिसके होठों पर हर वक्त हँसी की लाली रहती थी, आज वो खून के आँसू रो रही है। पति मनुज ने उसके साथ विश्वाशघात किया था। कितना प्यार था दोनो में। शादी के बाद न जाने कितनी बार लड़कियाँ अपने मायके जाती रहती है किसी न किसी बहाने से जिसकी कोई गिनती नहीं। पर ये इन 7 सालों में 7 बार ही मुश्किल से गई होगी मायके। एक तो 8,10 घंटे का सफर तय करना पड़ता था, दूसरे मनुज ने प्यार इतना दे दिया कि मायके की याद भी कम आती थी, और फिर नंदा के मायके जाने से मनुज को खाने पीने की दिक्कत हो जाती थी पिछे से उसके, दोनो अकेले जो रहते थे दिल्ली में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, इसी बीच नंदा को एक बेटी हुई। वो अब अपनी गृहस्थी में और भी रच बस गई थी। बड़े मजे से उसकी गृहस्थी की गाड़ी चल रही थी, न ही सास ससुर की चिक चिक न ही किसी और रिश्तेदार की। ससुराल उसकी मायके के पास ही थी, तो वो तभी एक साथ दोनो जगह पर मिल आती थी। जब कभी भी उसे किसी की मदद चाहिए होती तो पास ही की गली में उसकी सहेली दामिनी रहती थी वो उसके पास चली जाती थी। आज भी नंदा दामिनी के पास आई है, रोए जा रही है, रोए जा रही है, चुप होने का नाम ही नहीं ले रही है...
दामिनी के लाख पुछने पर भी नंदा बता नहीं पा रही थी जबकि दोनो अपना सुख दुख खुल कर बाँटती थी, दोनो के बीच कोई पर्दा नहीं था। आखिर बताती भी तो कैसे, नंदा मनुज पर अंधा विश्वास करती थी। थोड़ा रो कर जब मन हल्का हुआ तो कुछ शब्द निकल कर बाहर आए मुहँ से।
कहने लगी तू ठीक कहती थी मर्दों पर इतना विश्वास अच्छा नहीं होता है। मैं ही पागल थी जो उसके प्यार में डुबी रही। नंदा की बेटी आहना बहुत छोटी है, पर इतनी भी नहीं कि वो ये न समझ पाए की कुछ हुआ है। वो ये तो समझ रही थी कि कुछ हुआ है मम्मी रो रही थी और पापा सुबह गुस्सा हो रहे थे, पर क्यों ये समझ नहीं पाई, आखिर वो 5 साल की ही तो थी। बच्चे कुछ और समझे या ना पर प्यार गुस्सा और नफरत की भाषा बखूबी समझते है। बस नंदा को देखे जा रही थी और उदास थी। दामिनी ने धीरज बंधाते हुए कहा...तूने अंकल आंटी को फोन कर दिया क्या ? नहीं... नंदा ने ना में गर्दन हिलाई। हूँ ... कहते हुए दामिनी ने लम्बी साँस ली। वो उठ कर रसोई की ओर गई। दो कप चाय के साथ कुछ खाने का भी लाई। और आहना के लिए नूडल्स भी। नूडल्स देखते ही आहना सब भूल गई थी कि उसकी मम्मी पापा के बीच झगड़ा है उसकी मम्मी रो रही है।...काश हम भी हमेशा बच्चे ही बने रहते तो ग़म किधर जाता पता ही नहीं चलता। बस वो आता दिखाई देता फिर पलक झपकते ही जाता नजर आता। जैसे अभी आहना भूल गई नूडल्स में उलझ कर। काश हमें भी कोई ऐसा नूडल्स रुपी चीज मिल जाती, जिसमे उलझ कर सब गिले शिकवे नफरत गुस्सा धोखा सब भूल जाते। सोचते सोचते उसकी चाय कब खत्म हुई पता चला तब जब कप खाली गया मुँह में। अब विस्तार से नंदा सब बता रही थी। कि क्या हुआ...। सुन, कल जब मैं अपनी साड़ी की मेचिंग एससिरिज लाने गई थी तब रास्ते में मैने मनुज को देखा एक लड़की के साथ, मैने इससे पहले कभी नहीं देखा था उसे इनके साथ। वो गर्भवती लग रही थी। मनुज उसे पकड़ कर हस्पताल ले जा रहा था। ये देख मुझसे रहा नहीं गया, और मैं उनके पिछे पिछे वही पहुँच गई। देखा वो उसे जच्चा बच्चा वार्ड में ले जा रहा था, फिर मैं सब समझ गई। और मैं वहाँ से चली आई। अब तू ही बता ये सब देखने के बाद क्या बाकी रह गया। जब रात को वो घर आए तो मैने उन्हे खाना खिलाने के बाद पूछा इस बारे में तो वो बात को टालने लगे। मैने दबाव डाला तो भड़क उठे....कहने लगे, मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं।
मैं भी तुनक कर बोली....हाँ नहीं है, जब तुम साफ साफ नहीं बता सकते तो मैं तो तुम्हें गलत ही समझूंगी न। बात बात में बात बिगड़ गई, न वो बताना चाहते थे , न मैं जाने बिना रह पा रही थी।
दोनो ही ज़िद पर अड़ गए। ऐसे हमारे बीच बहस व नोक झोंक तो कई बार होती। पर बात इस हद तक कभी नहीं गई। और मैने उन्हे तलाक के लिए कह दिया। कहते कहते वो फफक पड़ी।
दामिनी बोली...तो क्या मनुज भी यही चाहता है। हाँ यही तो चाहता है वो भी...वरना तभी न कह देता। तलाक की जरुरत नहीं, तुम थोड़ा सब्र करो मैं सब ठीक कर दूँगा।
हूँ तो बात यहाँ तक आ पहुँची। सुन तू एक काम कर....पहले आंटी को सब बता दे। फिर देख वो क्या कहते है । हाँ तू ठीक कह रही है। तभी नंदा ने फोन कर अपनी माँ को सब बता दिया ।
माँ ने नंदा के पापा को भी सब बात बताई।
अगले दिन तलाक का नोटिस भिजवा दिया मनुज को। और नंदा को अपने साथ ले गए।
मनुज को बहुत दुख हुआ। कि नंदा उसे समझ नहीं पाई, उसने उसे सब क्लियर करने का मौका तक नहीं दिया। उसका जी चाह रहा था वो ज़ोर ज़ोर से रोए , चीखे चिल्लाए, पर किसके आगे। कोई तो नहीं है अब यहाँ, आहना को भी साथ ले गई थी वो अपने। ज़रा भी समय नहीं दिया था नंदा ने उसे खुद को बेगुनाह साबित करने का। उसके साथ जो हुआ था ये तो वो ही जानता था , उसकी मजबूरी थी कि किसी को कुछ नहीं बता सकता था ।
रात भर मनुज बिस्तर पर करवट बदलता रहा। नींद उससे कोसों दूर भाग गई थी, वो आहना और नंदा को बहुत याद कर रहा था । सुबह 3 बजे के बाद उसकी आँख लग गई। फिर देर से आँख खुली।
वो अपने वकील से मिलने गया। सब बात बताई , कि कैसे उसके उस लड़की की मदद करनी पड़ी। और वो ग़लतफहमी का शिकार हो गया और उसकी बीबी उसे छोड़ कर चली गई। और तलाक का नोटिस भिजवा दिया।
वकील ने बताया ज्यादा पेचीदा केस नहीं है आपका, आपने किन हालातों में उसकी मदद की है। ये सब साफ है, इसके लिए ज्यादा कोट कचहरी के चक्कर नहीं लगेंगे। ये केस तो दोनो पक्षों को आमने सामने बैठा कर सबूतों को सामने रख सुलझाया जा सकता है, क्यों कि आपके केस में आप पर कोई झुठे सच्चे लांक्षण नहीं लगाए गए है। साफ और सीधी बात की गई है। और जैसा की आपने बताया कि कभी कोई मनमुटाव या कोई गलत बात नहीं थी आप दोनो के बीच। आपकी खुशहाल गृहस्थी चल रही थी।
वकील की बात ने मनुज को थोड़ा आश्वस्त किया। और वो थोड़ा आरामदायक महसूस कर रहा था। घर आकर कुछ नमकीन-बिस्किटस खाकर लेट गया, वो उन दोनो के बिना खुद को असहाय व फीका फीका महसूस करने लगा। कई बार कोई आहट होती तो उसे लगता आहना आई है। मनुज नंदा को फोन करता तो वो उसका कॉल नहीं उठाती, लेकिन बार बार करने पर वो आहना के हाथ में मोबाइल दे देती, आहना अपने पापा से बात कर बहुत खुश हो जाती । और कहती पापा आपके बिना मन नहीं लगता, कब लेने आओगे। तब मनुज का भी मन भर आता , और कहता मैं अभी थोड़ा बीजी हूँ बेटे जल्दी आऊँगा, ‘ लव यू हन्नु’ (प्यार का नाम) और कॉल कट कर देता। मन तो नंदा का भी बहुत करता था बात करने को पर उसने जो धोखा किया इस वजह से नहीं करती थी।
कुछ दिन गुजरने के बाद जल्द ही दोनो के फैसले का दिन आया। दोनो की ओर से लोग आये थे। वो लड़की त्रिसा को भी बुलाया गया जिसकी वजह से ये सब हुआ। जब सारी बात सामने आई कि मनुज के हाथों उसके पति का एक्सिडेंट हो गया था इसकी वजह से वो अपनी पत्नी त्रिसा का इलाज नहीं करा पा रहा था। वो एक हस्पताल में भर्ती है। ये गर्भवती है, उनका इस देश में कोई नहीं है, ये लोग कनाडा से यहाँ अपनी नौकरी के लिए आकर रह रहे है। जब मनुज से ये दुर्घटना हुई तब मनुज को जेल भी हो सकती थी इस जुर्म में, पर त्रिसा ने पुलिस में ये कह दिया कि मनुज की कोई ग़लती नहीं है। उसके पति ही गाड़ी गलत चला रहे थे और इसे बचा लिया। नहीं तो मनुज को सजा हो सकती थी। अब जब वो इसके साथ अच्छा व्यवहार कर रहे है ग़लती के बावजूद तो फिर मनुज का भी तो कोई फर्ज़ बनता है कि उनकी ऐसी परिस्थिती में मदद करें उनकी।
बस नंदा ने साथ में त्रिसा को देख मतलब गलत निकाल लिया। तब नंदा ने कहा कि तुम मुझे ये सब बता भी तो सकते थे। हाँ बता सकता था पर उस वक्त एक समस्या थी। कि ये बात किसी के भी सामने न आए कि ग़लती मेरी थी, पुलिस को ज़रा भी भनक लग जाती तो मुझे जेल हो जाती।
इसलिए मैने किसी को भी बताना ठीक नहीं समझा और तुम में इतना सब्र नहीं था। कि सब ठीक होने का ठंडे दिल और दिमाग से इंतजार करो।
अब सब ठीक हो चुका है, तलाक का भी केस खारिज कर दिया गया है। दोनो फिर से एक हो गए। इन सब के बीच सबसे अच्छा ये हुआ की दोनो के बीच प्यार और विश्वास दोगुना हो गया ।
आहना भी पहले जैसी खुश और खिली खिली हो गई। टूटा घर फिर से जुड़ गया ।