गलियाँ भाग-2
गलियाँ भाग-2
गलियाँ ( Part-2 )
वो गलियाँ जिसे हम छोड़ चुके थे बरसों पहले, वहीं न जाने क्यों, फ़िर से आज कदम चल पड़े थे हमारे ? जिन गलियों से हम ने बरसों पहले नाता तोड़ दिया था, आज फ़िर से ना जाने क्यों कदम बढ़ रहे थे उन ही गलियों में।
वही चोराहा, वहीं झरोका, वहीं टूटी हुई मेज, वहीं वो फूल वाला और वहीं रुके-रुके से कदम हमारे। अचानक से तेज हवा चलने लगी, हवाओं में से जैसे वही खुशबू आ रही हो और अचानक से हवाओं में से लहराता हुआ पीला दुपट्टा ना जाने कहाँ से हमारे ऊपर आ गिरा। हमने दुपट्टे को जरा सा अपने चेहरे से हटाया तो, सामने से वही हमारी धड़कन, झुकी हुई पलकें लेकर हमारी ओर आ रही थी, एक पल तो हमने सोचा की कहीं हम सपना तो नहीं देख रहे।
फ़िर थोड़ी देर बाद सामने से सुरीली सी आवाज़ आई, हमारा दुपट्टा ..! बस वही एक पल के लिए जैसे वक्त थम गया। मौसम भी महकने लगा, खुदा ने जैसे मंज़ूरी दे दी हो हमारे मिलन की। खुद का कोई होश न रहा, दो पल के लिए बस देखे जा रहे थे उनको। उनकी तस्वीर आँखों में बसा लेते। फिर थोड़ी देर बाद वो जरा मुस्कुराई और बोली कहा थे आप इतने साल ? हमारे जाने के बाद आपने मुड़कर देखा तक नहीं, कि हम कैसे हैं, किस हाल में है ?
मैंने कहा, कैसे आता मैं इन गलियों में, जिन गलियों में से हमारी यादें शुरू हुई थी और हमारा दिल भी यही टूटा था। आज न जाने क्यों और कैसे कदम चल पड़े यहाँ और आप का दीदार हो गया। हमने सोचा आपके निकाह के बाद मेरा यहाँ इन गलियों में कोई काम नहीं और आते भी क्यों ? जहाँ आपका दीदार ना हो, हमें उस गली, उस चौराहे पर जाना ही नहीं। हमें उस आईने में देखना भी नहीं जिसमें आपका दीदार न हो, बस जीए जा रहे थे हम तो आज तक बस आपकी यादों के सहारे।
ये सुनकर हमारी आँखों से आँसू बहने लगे। फ़िर हम ने उनसे कहा, कि " हमारे भी हालात कुछ ऐसे ही थे, निकाह के कुछ दिनों बाद ही हमारे सोहर का एक्सीडेंट हो गया और उनका इंटकाल हो गया था। हम तो टुट चुके थे। मेरी अम्मी हमें फिर से यहांँ लेकर चली आई, तब से हम इस गलियों में है और बच्चों को पढ़ा रहा है और अपना क्या है, गुज़ारा चल जाता है। "
ये सुनकर हमें और भी ताज्जुब हुआ, वक्त ने ये कैसा सीतम किया हम पे, हमारे दिल के सरताज इतने सालों से तकलीफ में है और हमको पता भी ना चला ? हम अपने आप से ही बहुत शमिँदा हुए।
फ़िर मैंने कहा, " अब हम आपको यहांँ नहीं रहने देंगे, अगर आपकी हाँ हो, तो आज भी हम आपसे निकाह करने को राज़ी है। जो बात हम बरसों पहले ना केह सके वो बात आज केहते हैं, हमको बेपनाह महोब्बत है आप से, आज भी आपकी तस्बीर हमारी आंँखों में है, आपकी यादें हमारे पलको में है, आप की खुशबू हमारी सांँसो में है, आपके लिए दिल तो क्या जान...."
मेरे अल्फांजों को रोकते हुए उन्होंने अपनी उँगलीयाँ हमारे होंठों पे रख दी और इशारे से चुप रहने को कहा, उनकी तेज़ धड़कन की आवाज़ हमें सुनाई देती थी और हमारा हाथ पकड़कर वो बोले, हमें आपके साथ निकाह मंजूर है, पर आप फ़िर से कभी मरने के बारे में सोचना भी मत, वरना हमसे बुरा कोई नहीं होगा। हमें भी आपका बरसों से इंतजार था। " बस उसी पल हमको जैसे जन्नत मिल गई।
दिल से माँगी दुआ और दिल से की हुई मोहब्बत एक ना एक दिन सबको मिल ही जाती है।

