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bela puniwala

Comedy Horror

3  

bela puniwala

Comedy Horror

डर एवम् हास्य

डर एवम् हास्य

3 mins
140


   " उफ्फ ! बहुत देर हो गई.. पार्टी से कोई आने ही नहीं दे रहा था, ऊपर से तेज़ मूसलाधार बारिश.. गाड़ी चलाने में ही कितनी मुश्किल हो रही है.. राजीव बड़बड़ा ही रहा था कि ,स्ट्रीट लाइट बंद हो गई, घुप्प अंधेरा झींगुरों की आवाजें, पत्तों की सरसराहट मेढकों की कर्कश टर्र टर्र माहौल को भयभीत कर रहा था, कार स्टार्ट होने का नाम ले नहीं रही... घनघोर अंधकार सूनी रोड बारिश की महा प्रलय.... राजीव के शरीर का खून जम सा गया... दूर कहीं हल्की सी रौशनी दिखाई दे गई, मन को सहारा सा मिला "...... 

  राजीव उस रौशनी की तरफ़ कार लेकर जाता है, तभी उसकी कार की खिड़की की तरफ लाल टेन लिए एक औरत अचानक से उस के सामने आई, जिसने लाल साड़ी पहनी हुई थी और माथे पे लाल रंग की बड़ी सी बिंदी लगाई थी। उस औरत ने राजीव से पूछा, कहाँ जाना है आपको साहब ?

   राजीव ने कहा, " जी बाहर बहुत बारिश हो रही है और मैं रास्ता भटक गया हूँ, यहाँ थोड़ी रौशनी दिखाई दी, इसलिए इस तरफ आ गया।" 

   औरत ने कहा, " ये घर मेरा ही है, आप अंदर आ जाओ, बारिश रुके तब चले जाना। " 

  राजीव कार से उतरा और उस औरत के पीछे-पीछे चलने लगा, जैसे ही वह गेट के अंदर गया, गेट का दरवाज़ा अपने आप बंद हो गया, राजीव ने घबराते हुए पीछे देखा और उस औरत से पूछा, " क्या आप यहाँ अकेले रहते हो ? आपको डर नहीं लगता ? "

   उस औरत ने कहा, " भूतों को डर किस बात का ? " राजीव डर के मारे बड़बड़ाया, " भूत ? " तभी घर का दरवाज़ा भी अचानक से अपने आप खुल गया और वह औरत अचानक से आसमान में जैसे झूला-झूलने लगी। राजीव और घबराया वह पीछे गेट की और भागा, लेकिन गेट का दरवाज़ा नहीं खुला। उस औरत ने कहा, " यहाँ कोई अपनी मर्ज़ी से आ तो सकता है, लेकिन यहाँ से कोई अपनी मर्ज़ी से जा नहीं सकता। " और वह औरत ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।

    तभी राजीव की पत्नी आरती ने उसे आवाज़ लगाई, "चलो उठो, आज कब तक सोते रहोगे ? ऑफिस नहीं जाना क्या ? " 

  राजीव हड़बड़ाया हुआ, बिस्तर से खड़ा हुआ, उसका पूरा शरीर पसीने से लथपथ था, एक नज़र सामने देखा, तो आरती वैसी ही लाल साड़ी और माथे पे बड़ी लाल बिंदी लगाए उसकी और देख मुस्कुरा रही थी, जैसे वह सपने में औरत दिखाई दी थी। राजीव ने डरते हुए आरती से धीरे से पूछा, " आज ये लाल साड़ी पहन कर सवेरे-सवेरे कहाँ जा रही हो ? "

   आरती ने कहा, " कल ही तो बताया था, आज व्रत सावित्री पूनम है, इसलिए मैंने तुम्हारे लिए व्रत रखा है, मंदिर जा रही हूँ, और तो क्या ? आप भी है ना, सब भूल जाते हो, किसी दिन मुझे भी भूल मत जाना। "

  राजीव ने कहा, "अरे नहीं, अब याद रखूँगा, सॉरी बाबा। " राजीव ने ऊपर आसमान की तरफ़ हाथ जोड़ते हुए कहा, कि " है भगवान् ! चाहे कुछ भी हो जाए, मैं आरती के साथ जैसे-तैसे कर के रह लूँगा, उस के सारे नख़रे भी जेल लूँगा, तेज़ बारिश में तो घर से बाहर कभी नहीं निकलूँगा। लेकिन आज रात का सपना कभी सच मत होने देना। " सोचते हुए राजीव घबराता हुआ आरती के गले लग गया। आरती ने राजीव को धक्का देते हुए कहा, " अभी आज मेरा व्रत है, आज आप मुझ से दूर ही रहो, मुझे मंदिर जाना है। "



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