STORYMIRROR

bela puniwala

Inspirational

4  

bela puniwala

Inspirational

छोटा मुंह बड़ी बात #छोटा मुंह बड़ी बात

छोटा मुंह बड़ी बात #छोटा मुंह बड़ी बात

4 mins
18

   

 सुनीता की कामवाली बाई का नाम कल्पना था, कल्पना सुनीता के घर 12 साल से काम करती थी, इसलिए सुनीता कल्पना को घर की हर बात कहती, सुनीता की सास वैसे तो अच्छी ही थी, मगर ना जाने क्यों, उसका उसकी बहू के साथ जमता नहीं, बार बार झगड़ा होता रहता, अपनी सास के साथ झगड़ा होने पर सुनीता बैग में अपना सामान भर बार बार अपने मायके चली जाती, फिर सुनीता का पति सुमेध उसे समझाकर घर ले आता, यह सब बातें कल्पना को भी पता थी, कल्पना बड़ी समझदार औरत थी, उम्र और तजुर्बे में भले ही वह सुनीता से छोटी, मगर बात वह बड़ी कर जाती, कल्पना भी सुनीता को बार बार समझाया करती, कि चाहे कुछ भी हो, ऐसे घर छोड़कर ना जाया करे, तब सुनीता उसकी बात सुन लेती।

लेकिन एक दिन क्या हुआ, कि सुनीता का अपनी सास के साथ झगड़ा इतना बढ़ गया, कि इस बार तो वह स्टेशन चली गई और ट्रेन की पटरी के नीचे आकर मरना उसे सही लगा, तभी अचानक कल्पना वहां से गुज़र रही थी, कल्पना ने स्टेशन पर बैठ कर रोती हुई, अपनी मालकिन सुनीता को देखा, वह उसके पास गई और पूछा, कि ," क्या हुआ मालकिन, आप इस वक्त यहां क्या कर रहे हो ? "  

तब सुनीता ने बताया, कि " अब तो मुझे जीने का भी मन नहीं करता, मम्मीजी के लिए कितना भी मैं कर लूं, उनको कम ही पड़ता हैं, अब तो मैं यह थान के निकली हूं, कि घर जाना ही नहीं हैं, मन करता हैं, अभी जो ट्रेन आए उसके नीचे आकर मर जाऊं, तब जाकर मम्मी जी को शांति मिलेगी।"

कल्पना ने सुनीता को समझाते हुए कहा, कि " मालकिन ऐसा नहीं करते, आप तो समझो चले जाएंगे, लेकिन आपके पीछे आपके दोनों बच्चों का क्या होगा ? उनका कौन खयाल रखेगा ? माना की आपकी सास को इस से कोई फ़र्क नही पड़ेगा, लेकिन आपके पति और आपके बच्चें इस दुनिया में अकेले पड़ जाएंगे, उसके बारे में कभी सोचा हैं, मम्मी जी की बातों को दिल पर मत लगाया करो, ऐसा सिर्फ़ आपके घर में नहीं होता, ऐसा तो कई घर में होता होगा, मगर इसका मतलब यह थोड़े ना हैं, कि आप जिंदगी ही छोड़ दो, आप अपनी सास के साथ हैं ना, पंगा ही मत लो, अगर वह कुछ बोले आप चुप रहो और अपने काम में लगे रहो या तो एक कमरें में बैठ जाओ, वह अपने आप चुप हो जाएंगे, मैं भी ऐसा ही करती हूं, फिर मेरी सास खुद ब खुद चुप हो जाती हैं और अभी आपकी सास 72 साल के तो हो ही गए हैं, अभी उनको कितना जीना हैं, आप उनके साथ अच्छा ही व्यवहार करो, वह भी आपके साथ अच्छे से ही रहेंगे।"

कल्पना की बातों से सुनीता के मन को फिर से तसल्ली मिली, सुनीता घर जाने के लिए तैयार हो गई, कल्पना खुद सुनीता मालकिन को घर तक छोड़ आती हैं। दूसरे दिन जब कल्पना काम पर आती हैं, तो सुनीता मालकिन को थोड़ा खुश देखकर कहा, कि " छोटा मुंह बड़ी बात " मालकिन, कल रात को अगर मैंने कुछ गलत कहा हो, तो माफ कर देना। "

 इस बात को एक साल बीत गया, कल्पना के घर आते ही सुनीता ने उस से कहा, कि " उस दिन तुमने अगर मुझे समझा बुझा कर घर वापस नहीं लेकर आई होती, तो आज मेरे पति और मेरे बच्चों का क्या होता ? रही बात मम्मी जी की तो अब उनसे में निपट ही लेटी हूं, वह कुछ कहे तो मैं सिर्फ़ सुन लेती हुं, वह खुद चुप हो जाते हैं, ऐसे करते अब वह भी मुझ से पहला जितना चिल्लाते नहीं हैं, जिंदगी थोड़ी आसान सी हो गई हैं, मुझे नहीं समझ आता, तुम्हारा धन्यवाद मैं कैसे करू ? कभी कभी हम से छोटे भी हम से बड़ी बात कर जाते हैं। "

      कल्पना ने कहा, " ऐसा मत कहो, आप अपने परिवार के साथ खुश हो और खुश रहो, मुझे और कुछ नही चाहिए। "


       


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational