गीता का ज्ञान
गीता का ज्ञान
गीता भगवान कृष्ण द्वारा उनके शिष्य अर्जुन को दी गई शिक्षाओं का संग्रह है। गीता में निहित दर्शन का जुड़ाव हमारे आंतरिक विश्वासों के साथ है। गीता हमें अपने उद्देश्य को खोजने और इसे पूरी तरह से जीने के लिए पवित्रता, शक्ति, ईमानदारी, अनुशासन, दया और अखंडता के साथ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करती है। गीता के माध्यम से हमें जीवन जीने की सीख प्राप्त होती है । गीता के अध्ययन से हम भौतिक जीवन से परे वास्तविक जीवन जीने की सीख मिलती है। गीता पढ़ने वाले व्यक्ति को सच और झूठ, ईश्वर और जीव का ज्ञान हो जाता है। उसे अच्छे और बुरे की समझ आ जाती है। गीता पढ़ने से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और व्यक्ति साहसी और निडर बनकर अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता है। रोजाना गीता पढ़ने से शरीर और दिमाग में सकारात्मक ऊर्जा विकसित होती है। भगवद गीता का पाठ करने से जीवन की कई समस्याओं का हल मिलता है। गीता का पाठ करने से ज्ञान के साथ साथ मन की शांति की भी प्राप्ति होती है। गीता का पाठ रोजाना करने से जीवन की परेशानियों के हल मिल जाते हैं। गीता के पाठ को नियमित रूप से करने से कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। गीता का पाठ आपको सफलता की ओर ले जा सकता है। गीता का पाठ करने से व्यक्ति में किसी भी परिस्थिति से लड़ने की काबिलियत आती है। गीता का अध्ययन करने से हमें जीवन की वास्तविक सीख का अनुभव होता है। इसके द्वारा हमें मानव जीवन के वास्तविक लक्ष्य की सीख मिलती है। हमें पता चलता है कि मानव जीवन का परम लक्ष्य श्री भगवान परमब्रह्म की प्राप्ति है। इस भौतिक जगत के भौतिक बंधनों और माया में उलझ कर हम इस जीवन को व्यर्थ कर रहे हैं जो मानव जीवन चौरासी लाख योनियों के बाद मिलता है। हमें भक्ति योग ध्यान योग और कर्म योग के प्रति जागरूक होकर कर्म करना चाहिए। गीता अध्ययन के उपरांत हमें इस भौतिक जगत के सुखों की लालसा नहीं रह जाती क्योंकि भगवान की भक्ति में ही परम आनंद का सुख निहित है। आज के इस युग जहां लोग भगवान के अस्तित्व को नकार रहे हैं हमें लोगों को इसके प्रति जागरूक करना चाहिए। भगवान का ये दिव्य ज्ञान सभी प्राणियों तक पहुंचना चाहिए ताकि इसके अध्ययन से सभी का कल्याण हो सके।