।।घुॅ॑घरू वाली भूतनी।।
।।घुॅ॑घरू वाली भूतनी।।


बात ज्यादा पुरानी नहीं है,मेरा दोस्त फग्गू जब लगभग सोलह बरस का रहा होगा,उस समय भी गाॅ॑व के तालाबों में सिंघाड़े की खेती हुआ करती थी,अक्टूबर माह में सभी तालाबों में सिघाड़े की आखिरी तुड़ाई हो जाती है,और फिर ढेर सारे सिंघाड़ों को सूखने के लिए धूप में डालना होता है ताकि वह अच्छी तरह सूख जाएॅ॑,सूखने के बाद मशीन से उनका छिलका निकाल कर फिर उन्हें बाज़ार में बेंच दिया जाता है।
ऐसे ही समय में जब अक्टूबर के महीने में सिंघाड़ों की तुड़ाई करने के बाद उन्हें सूखने ये लिए गाॅ॑व के बाहर खलिहान में फैलाए गए थे,अक्टूबर नवंबर में धूप में गर्मी काफी कम हो जाती है जिससे सिंघाड़ों को सूखने में कई कई दिन लग जाते हैं,इसलिए उनकी रखवाली के लिए दिन रात वहीं रहना होता है।
मेरा दोस्त फग्गू भी अपने सिंघाड़ों की रखवाली कर रहा था।एक रात की बात है, रात में हल्की ठंड महसूस हो रही थी,इसलिए फग्गू ने डोंगी(छोटी नाव) के अंदर बिस्तर लगा कर और दूसरी डोंगी को उसके ऊपर से ढक लिया था ताकि ठंडी हवा का प्रकोप परेशान न करे और कहीं जंगली जानवर आए तो उससे बचाव भी हो जाए ।
सोलह साल की उम्र अपरिपक्व ही होती है,रात के अंधेरे में होने वाली हर आहट और आवाज मन में एक डर पैदा कर जाता है।वैसे भी रात को हर जंगली जीव, रात्रिचर प्राणी कई तरह की आवाजों से वातावरण को बहुत ही डरावना बना देते हैं। जिसमें उल्लू तो कई तरह की डरावनी आवाजे निकालता है, इन डरावनी आवाज को सुन कर बच्चा तो बच्चा, बड़ा आदमी भी डर जाता है,फिर बेचारा फग्गू तो सोलह बरस का बच्चा ही था,फिर भी अपनी हिम्मत को समेटे हुए,अपनी डोंगी में आॅ॑खे बंद करके आसपास होने वाली हरकतों और आहट को महसूस कर रहा था।
लेटे लेटे काफी समय बीत गया था,रात के लगभग बारह बजे होंगे, तभी फग्गू को घुॅ॑घरूओं के बजनें की आवाजें सुनाई दी,फग्गू की दिल की धड़कन मानो बेकाबू हो गई, डर की वजह से दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि मानो वह छाती को फ़ाड़ कर बाहर ही निकल आएगा,करता क्या न करता,फग्गू अपनी सांसों की संयामित करते हुए लेटा रहा,दोबारा फिर घुॅ॑घुरूओं की जोर से आवाज आने लगी,इस बार तो ऐसा लगा जैसे किसी ने बहुत ही पास आकर घुॅ॑घरू बजाए हैं,फिर घुॅ॑घरू बजते हुए दूर चले गए,अब तो फग्गू का सब्र भी जवाब दे चुका था,डर की वजह से पसीना पसीना हो चुका था,, बाहर निकल नहीं सकता था,क्या पता भूतनी कहीं बाहर पास में ही न खड़ी हो ,ये सब अभी दिमाग में चल ही रहा था कि अचानक से ऐसा लगा कि बहुत सारे घुॅ॑घुरू एक साथ बज रहे हैं,जैसे दो तीन भूतनी नृत्य कर रहीं हो,अब तो घुॅ॑घरुओं की आवाज के साथ साथ ऐसा लगा जैसे साथ ने कोई गा भी रहा है।
अब तक तो फग्गू की हालत काफी पतली हो चुकी थी, डर की वजह से शरीर में कम्पन सी महसूस हो रही थी।बस गनीमत अभी तक इतनी थी कि पैंट गीला नहीं हुआ था।अब तो घुॅ॑घरुओं की आवाजें लगातार आने लगी कभी पास आती कभी दूर चली जाती कभी जोर कि आवाज आती कभी धीमे हो जाती।बीच बीच में लोमड़ी और सियार की हुआ, हुआ की डरावनी आवाजे भी दिल को दहला जाती थी।फग्गू की नींद तो अब पूरी तरह से गायब ही हो चुकी थी।अब तो बस ईश्वर से मन ही मन यही प्रार्थना कर रहा था कि किसी तरह सवेरा हो जाए और हमारी जान बचे।
अब घुॅ॑घरुओं की आवाज़ों और डरावनी आवाज़ों के बीच चिड़ियों की आवाजे भी आनी शुरू हो गई थी।चिड़ियों की आवाज सुन कर फग्गू के दिल को थोड़ी तसल्ली हुई की शायद अब सवेरा होने वाला है।फग्गू ने दोनों डोंगी के बीच की दरार से हिम्मत करके बाहर के वातावरण का जायजा लिया,पूर्व दिशा में आसमान में कुछ लालिमा सी महसूस हो रही थी,इसका मतलब था कि अब सवेरा होने ही वाला है।फग्गू की जान में जान अाई।
अब तक घुॅ॑घरुओं की आवाजें आनी बंद हो चुकी थी लगता था शायद भूतनियाॅ॑ भी रात भर नाच कर थक कर आराम करने अपने विश्राम गृह में चली गई थी।थोड़ी ही देर में सारे पंछियों की आवाजें आने लगी,जाहिर सी बात थी कि अब सवेरा हो चुका है,लेकिन अभी भी फग्गू की हिम्मत बाहर निकलने की नहीं हो रही थी,तभी फग्गू का एक दोस्त भी अा पहुॅ॑चा,उसने आवाज देकर फग्गू को बुलाया।फग्गू तुरंत अपने दोस्त को पहचान गया, अपनी ऊपर वाली डोंगी को हटा कर बाहर अा गया,उसको इतना घबराया हुआ देख कर दोस्त बोला "क्या हुआ फग्गू", फग्गू ने एक सांस ने ही रात की सारी घटना को बयान कर दिया।दोस्त भी बहुत ही आश्चर्य में डूब गया।
अभी ये दोनों बातें कर ही रहे थे कि पूर्व दिशा से फिर घुॅ॑घरुओं के बजने की आवाज आने लगी,दोनों चौक गए,अब दो थे डरने की कोई बात नहीं थी,दोनों ने उस दिशा में जाने का निर्णय लिया जहाॅ॑ से घुॅ॑घरुओं की आवाज अा रही थी,दोनों चलते हुए थोड़ी दूर एक कच्छे बने हुए छोटे से मकान के पास पहुॅ॑चे,घुॅ॑घरूओं की आवाज़ें यहीं से अा रही थी।दोनों ने डरते डरते दरवाजे से अंदर झाॅ॑का अंदर दो बैल बंधे हुए थे, जिनके गले में घुॅ॑घरुओं वाले पट्टे बंधे हुए थे जो थोड़ी सी ही हरकत से बज उठते थे,अब फग्गू को रात की भूतनियों का सच सामने अा चुका था,सच में ये केवल एक भय का भूत था।