Vimla Jain

Inspirational

4.5  

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घिसी चप्पल

घिसी चप्पल

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आज राघव एक जूता फैक्ट्री का मालिक बन गया है। मगर उसने अपनी और अपने पिता की वे घिसी हुई चप्पलें संभाल कर रखी हैं और एक शोकेस में बंद कर दी है। सीने में हमेशा उस दिन की याद लेकर घूमता है की किस तरह से उसने और उसके पिताजी ने अपने चप्पले घिस घिस करके पढ़ाई और फिर नौकरी ढूंढने में अपनी जी जान लगा दी। मगर पढ़ाई में इंजीनियरिंग तो हो गई मगर नौकरी ना मिल पायी। उस के लिए सब जगह कितने चक्कर काटे। जो लोग बोलते थे हम आपको नौकरी दे देंगे उनके आगे पीछे इतने चक्कर काटे मगर कुछ नहीं हुआ।

तब पिता ने बोला "बेटा तू कुछ नया सोच , यह नौकरी ओकरी तेरे को नहीं मिलने वाली है। क्योंकि नौकरियां तो सारे रिजर्व कोटा में चली गई है।

तू कुछ ऐसा कर जिससे तुझको नौकरी की तरफ ना जाना पड़े और तू दूसरों को नौकरी देने लायक हो जाए।" तब उसने बड़ा निराश होकर अपने पिता से बोला "आपने इतनी मुश्किल से मुझे पढ़ाया । छोटी सी नौकरी में मुझे यहां तक पहुंचाया। और मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पा रहा हूं। "

वे दोनों काफी निराश थे तभी तभी मोदी जी ने स्टार्टअप के लिए लोन देने की योजना शुरू करी।उसे और उसके पिता को लगा सही है। यही समय है जब हम कुछ कर सकते हैं।और उन्होंने सोचा चप्पलें बहुत घिसी है इसलिए तो जूते का ही काम कर लेते हैं।लड़का होशियार था बाप बेटे ने मिलकर के स्टार्टअप से लोन लिया थोड़ा अपनी जमीन का बेच कर पैसा डाला। और छोटे से काम धंधे से चालू करा पर आज तो उनका धंधा चल निकला। जूता मार्केट में उनका नाम हो गया। वह इसका सारा श्रेय अपने पिता को मोदी जी को और घिसी चप्पलों को देता है।

क्योंकि अगर उसके पिता का हौसला नहीं होता तो मैं कुछ नहीं कर सकता था इस चप्पल का धन्यवाद जो इतनी घिस गई नौकरी ढूंढते ढूंढते और सही समय पर मोदी जी ने जो स्टार्टअप की घोषणा करी उसका धन्यवाद ।वह हमेशा तीन फोटो साथ मे लगाता है एक चप्पल, एक मोदी जी और एक को आशीर्वाद देते हुए पिता की तस्वीर। तीनों को साथ में उसने मेन हॉल में लगा रखी ताकि कोई भी पूछे तो उनको बताता, और खुद भी कभी नहीं भूल पाता ,भूलना चाहता वह समय। और उस में बहुत लोगों को नौकरी पर लगाया। इस तरह उसने अपना सपना पूरा करा बहुत लोगों को नौकरी दी।

और उसकी फैक्ट्री चल निकली। उसके व्यवहार और पारदर्शिता के और मेहनत के कारण।

सच में मेहनत करने वाले की हार नहीं होती। हिम्मते मदद मदद ए खुदा। प्रारब्ध और पुरुषार्थ। प्रारब्ध के साथ उस ने पुरुषार्थ करा तो उसकी फैक्ट्री काम चल निकला। अगर हिम्मत हार के बैठ जाता और नौकरियां ही ढूंढता रहता । तो किसी के हाथ नीचे मुलाजिम बन के रह जाता । आज वह बॉस है । अब उसको जिंदगी से कोई शिकायत नहीं वह कहता है भगवान ने शायद इसीलिए मेरी चप्पलें घिसवाई, उन्होंने मेरे लिए कुछ और ही चुना था जो सफल हुआ वह भगवान का धन्यवाद देता है।

इतने पर भी वह अपने पिता को कभी नहीं भूला ।हमेशा उनको बहुत आदर सम्मान देता और अपने साथ रखता। सब लोग हंसी खुशी अपना जीवन जीतेहैं।



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