घड़ी
घड़ी
आज शाम को किताब पढ़ते पढ़ते यूँही मेरी निगाहें दीवार पर लगी घड़ी की तरफ गयी।मुझे लगा कि चलती हुई घड़ी अपने सेकन्ड काटें से तेजी से चलते हुए कह रही है,"चले चलो, समय बीत रहा है... show must go on ..."
मैं खाना बनाने के लिए उठने लगी।किताब को टेबल पर रखकर उठने लगी लेकिन एक धक्के से टेबल पर रखी घड़ी गिर पड़ी।उठाने पर देखा कि घड़ी बंद पड़ी है।मुझे लगा, यह रुकी हुई घड़ी कह रही है, "चलो भई, बहुत चल दिए, अभी थोड़ा सुस्ता लेते है।बीते हुए उन सारे लम्हों की यादें ताज़ा कर लेते है।जरा थम कर आने वाले वक्त की आहट ले लेते है।
इस thought के बाद मै फिर सोचने लगी की ये रुकी हुई घड़ी भी तो कभी बहुत तेजी से दौड़ी है और इसने भी अपने दिल में कुछ ख़ास लम्हे कैद किये है,जैसे की हमारे 'इंतजार' के वे सारे लम्हे। और उस इंतजार में में बार बार टिक टिक करना।इसके जैसा ही शायद कुछ...
आप भी मानते है न, हर घडी हर पल कुछ कहती है?