एक तस्वीर
एक तस्वीर


"अरे यार मैंने भी पता नहीं क्या क्या इकठ्ठा करके रखा हुआ है ,आज सब चेक करके क्या काम का है और क्या ख़राब ..मैं सारा कबाड़ बहार फैक देता हू !"आज सुबह से मैं अपने रूम की सफाई में लग गया था । कितनी गन्दगी थी मेरे रूम में ,मेरी दशवीं से लेकर ग्रेजुएशन तक तक की सारी किताबे ज्यों की त्यों पड़ी थी !मैं सारी किताबें साफ़ करता चला गया ... अचानक मेरी दसवीं की एक किताब से कुछ निकल कर ज़मीन पर गिरा !
ये क्या है ?? .. ये कहते हुए मैंने उसे उठाया , ये तो एक तस्वीर थी ,इस तस्वीर में एक खरगोश साँप के करीब है , इस तस्वीर के माध्यम से ये दिखने की कोशिश की गई थी कि दो अलग अलग प्रकृति के जानवरो का एक प्यारा रिश्ता ... पर ये मेरे पास आया कहाँ से ??
अचानक मुझे याद आया ,मेरा बीता हुआ वो दिन जिस दिन ये तस्वीर मुझे मिली थी और यही नहीं इस तस्वीर के पीछे की कहानी भी याद आई !क्या ये पल पंख लगाकर यूही उड़ जाता है न ...
जब हमारे हाथ में समय होता है तो हम कितने निश्चिन्त होकर समय का उपहास करते है ,और कभी उसकी हम कदर हम नहीं करते है ,पर जब वही समय बीत जाता है तो वो समय अपनी कदर खुद करवा लेता है !
उस दिन भी तो कुछ ऐसा ही हुआ था ,आज का दिन भी रोज़ की तरह था ,बस एक चीज रोज की तरह नहीं थी ,...प्रीति मेरी दोस्त ...वो चंचल मस्त रहने वाली सबकी हेल्प करने वाली सबकी चहीती प्रीति आज रोज की तरह चुलबुली नहीं लग रही थी ! आज तो वो बहती नदी सी ना होकर एक पुराने तालाब के रुके हुए जल के सामान थी ,आज से पहले मैंने प्रीति को ऐसे नहीं देखा था !
मैं कैसे अपने मन के व्यथा को बयां करू ,कि प्रीति तो इस हालत में देख मेरे मन को कैसा एहसास हो रहा था !पर क्या प्रीति के साथ साथ मुझे भी दुखी हो जाना शोभा देता ? नहीं .. बिलकुल नहीं ...
इसलिए मैंने प्रीति को हँसाने और उसका दुःख कम करने की कोशिश की पर मेरी बातों से उसकी आँखे भर आई !उसकी आखो में मोटे मोटे मोतियों की तरह आंसुओ की बूंदो को देख मेरा मन ग्लानि से भर गया ,अब मैं खुद को अपराधी की तरह महसूस करने लगा !
पहले सिर्फ प्रीति दुखी थी ,पर अब वो रो रही थी ,क्या बताऊ उसके आँखों में आंसू अच्छे नहीं लगते उसे कैसे समझाऊ , मुझे तो उसका शांत रहना भी काटने को दौड़ता है क्यों नहीं समझती वो कि मैं उसकी इस हरकत से कितने दर्द को एक बार में जी रहा हूँ !पर मैं प्रीति को ऐसे रोते हुए नहीं छोड़ सकता था ! मैंने अपने बात करने के ढंग में बदलाव लाते हुए " प्रीति आज मेरा जन्म दिन है और तू रो रही है , चल मेरा बर्थडे गिफ्ट दे "...
प्रीति के चेहरे पर एक अनचाही सी मुस्कान उमड़ पड़ी ,वो मुस्कान उसके सारे दर्द बयां कर रही थी पर वो दर्द क्या था कौन जाने !मैंने हँसाने की एक और कोशिश में जुट गया ! इतनी छोटी गिफ्ट नहीं खुल से हंस तो मेरी गिफ्ट पूरी होगी !वो खिलखिला के हस पड़ी ,उसने अपने बैग से एक तस्वीर निकल कर मुझे दिया !
प्रीति जैसी चंचल स्वभाव की थी वैसे ही उसकी बनाई हुई तस्वीरें भी बहुत कुछ बोलती थी , और हर तस्वीर में छुपा हुआ एक गुण रहस्य होता था ,वो या तो प्रीति को पता होता था या कोई उसके सामान तस्वीरों का प्रेमी हो उसे ...उसने वो तस्वीर मुझे गिफ्ट में देते हुए "पवन ये है तुम्हारा बर्थडे गिफ्ट ।इसमें जानते हो जो दिख रहा है कि दो अलग अलग प्रकृति के दो जानवर आपस में प्रेम कर रहे है ,एक खरगोश एक साप से प्रेम कर रहा है !यही आज के समाज का आइना है ,हम प्रेम तो किसी से भी कर लेते है पर इस प्रेम में एक निरीह खरगोश होता है और दूसरा शिकारी सांप !एक न एक दिन ये सांप दोस्ती और प्रेम की आड़ में खरगोश रूपी अपने साथी का फ़ायदा उठता है ,और उसे खा जाता है ,जब तक साप अपने असली रूप में नहीं आता तब तक वो दोस्त ही नज़र आता है !आज के समाज में भी ऐसा ही है , एक खूबसूरत रिश्ते में एक दूसरे पर हावी होने की कोशिस करते है ! चंद रिश्ते है ,जो खरगोश और सांप की तरह है , इनका अंत खुशियों से भरा नहीं होता है !इनका अंत होता है ..दर्द धोखा आंसुओ के सैलाब में डूबकर ( ये कहकर प्रीति की आँखे डबडबा गई )
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं प्रीति को कैसे मनाऊं,उसकी हालत देख कर मेरा मन तो कर रहा था कि उसके सारे दुःख मैं ले लूँ पर यह संभव ही कहाँ होता है !
प्यार और दोस्ती में हर इंसान अपनी प्रकृति को छोड़ किसी दूसरे प्रकृति के लोगो का चयन करता है ,क्युकी वो दूसरे प्रकृति का इंसान ज्यादा आकर्षित करता है ,और ये सब परेशानियाँ शुरू होती हैं..
मैंने प्रीति को हँसाने के लिए कई जतन किये गाने सुनाये चुटकुले सुनाये पर प्रीति पर कोई खास असर नहीं हुआ !धीरे धीरे प्रीति क्लास की बातों में बिजी हो गई ,पर शांत ही थी ,फिर मैंने प्रीति की सहेली से प्रीति के दुखी होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि प्रीति किसी लड़के से प्यार करती थी ,पर वो लड़का गलत निकला ,इस कारण प्रीति दुखी है ! ये सुनकर के मेरे दिल में बहुत तेज़ दर्द हुआ ...क्या....???
प्रीति किसी से प्यार करती थी और मुझे पता भी नहीं था ,मेरे आँखों में आंसू आ गए ,अब मुझे प्रीति के दर्द का एहसास होने लगा !मैं तो प्रीति का अच्छा दोस्त था ,फिर भी उसने ये बात छिपाई ,क्या ये दर्द इस कारण था या कोई और बात थी ,क्या प्रीति से बातों ही बातों में मेरा कोई रिश्ता जुड़ गया था !
अब तो मेरे शांत हृदय में मानो किसी ने कंकड़ मार दिया हो ,अब जो बेचैनी मेरे मन में थी कि ना मैं किसी से कुछ कह सकता था और ना ही अपने सीने में दबा कर रख सकता था !ये दर्द किसी एसिड की तरह मेरे सीने को जलाये जा रहा था !कभी मेरा मन ये सोचता की प्रीति के साथ उस सांप रूपी लड़के ने गलत किया ,तो कभी मैं ये सोचता कि प्रीति ने मुझ जैसे निरीह खरगोश के साथ गलत किया .....
पर कुछ ही पल में एहसास हुआ कि नहीं ...मैं स्वार्थी नहीं हूँ , ये सब भुला देना है ! मैंने प्रीति की कितनी हेल्प की थी कि वो भी सब भूलकर फिर से वही चंचल प्रीति बन जायेऔर मेरी मेहनत रंग लाई,प्रीति के चेहरे की हसी धीरे धीरे वापस आ गई !
हमें भी समझ में आ गया कि दो अलग अलग प्रकृति के लोगो के विचार अलग ही होते है !
मैं इस तस्वीर को देखता हुआ मैं अपने अतीत से मिल आया था , तभी माँ की आवाज आई
"पवन ...ओ पवन ...कहा गया तू ...चाय बनवाकर पिया भी नहीं ..."
मैंने चिल्लाते हुए कहा - "माँ चाय गर्म कर दो मैं आ रहा हूँ चाय पीने..."
मैंने उस तस्वीर को उसी दसवीं की क़िताब में रख कर चाय पीने चला गया......