एक सपने का सच होना
एक सपने का सच होना
बैंक रिकवरी के सिलसिले में बियाबान जंगलों के बीच बसे चुटका गांव में जाना हुआ था ।आजीवन कुंआरी कलकल बहती नर्मदा के किनारे बसे छोटे से गांव चुटका में फैली गरीबी, बेरोजगारी, निरक्षरता देखकर मन द्रवित हुआ था। वसूली हेतु बहुत प्रेशर था।
जंगल के कंकड़ पत्थरों से टकराती ..... घाट-घाट कूदती फांदती ... टेढ़ी-मेडी पगडंडियों में भूलती - भटकती मोटर साईकिल किसी तरह पहुँची चुटका गाँव ......... ।
सोचा कोई जाना पहचाना चेहरा दिखेगा तो रोब मारते हुए '' रिकवरी धमकी '' दे मारूंगा , सो मोटर साईकिल रोक कर वह थोड़ी देर खड़ा रहा , फिर गली के ओर-छोर तक चक्कर लगाया ............. वसूली रजिस्टर निकलकर नाम पढ़े ............ बुदबुदाया .......उसे साहब की याद आयी .....फिर गरीबी को उसने गालियाँ बकी.........पलट कर फिर इधर-उधर देखा ........कोई नहीं दिखा । गाँव की गलियों में अजीब तरह का सन्नाटा और डरावनी खामोशी फैली पड़ी थी , कोई दूर दूर तक नहीं दिख रहा था।
रास्ते में नर्मदा के किनारे अलग अलग साइज के गढ्ढे खुदे दिखे तो जिज्ञासा हुई कि नर्मदा के किनारे ये गढ्ढे क्यों ? गांव के एक बुजुर्ग ने बताया कि सन् 1983 में यहां एक उड़न खटोले से चार-पांच लोग उतरे थे गढ्ढे खुदवाये और गढ्ढों के भीतर से पानी मिट्टी और थोड़े पत्थर ले गए थे और जाते-जाते कह गए थे कि यहां आगे चलकर बिजली घर बनेगा। बात आयी और गई और सन् 2006 तक कुछ नहीं हुआ हमने शाखा लौटकर इन्टरनेट पर बहुत खोज की चुटका परमाणु बिजली घर के बारे में पर सन् 2005 तक कुछ जानकारी नहीं मिली। चुटका के लिए कुछ करने का हमारे अंदर जुनून सवार हो गया था चुटका में परमाणु बिजली घर का सपना पाले हमने जिले के जनसम्पर्क कार्यालय से छुटपुट जानकारी जुटाई फिर हमने सम्पादक के नाम पत्र लिखे जो हिन्दुस्तान टाइम्स, एमपी क्रोनिकल, नवभारत आदि में छपे। इन्टरनेट पर पत्र डाला सबने देखा सबसे ज्यादा पढ़ा गया..... लोग चौकन्ने हुए।
हमने नारायणगंज में "चुटका जागृति मंच" का निर्माण किया और इस नाम से इंटरनेट पर ब्लॉग बनाकर चुटका में बिजली घर बनाए जाने की मांग उठाई। चालीस गांव के लोगों से ऊर्जा विभाग को पोस्ट कार्ड लिख लिख भिजवाए। तीन हजार स्टिकर छपवाकर बसों ट्रेनों और सभी जगह के सार्वजनिक स्थलों पर लगवाए। चुटका में परमाणु घर बनाने की मांग सबंधी बच्चों की प्रभात फेरी लगवायी, म. प्र. के मुख्य मंत्री के नाम पंजीकृत डाक से पत्र भेजे। पत्र पत्रिकाओं में लेख लिखे। इस प्रकार पांच साल ये विभिन्न प्रकार के अभियान चलाये पर सपने को मरने नहीं दिया।
जबलपुर विश्वविद्यालय के एक सेमिनार में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ काकोड़कर आये तो चुटका जागृति मंच की ओर से उन्हें ज्ञापन सौंपा और व्यक्तिगत चर्चा की उन्होंने आश्वासन दिया तब उम्मीदें बढ़ीं। डॉ काकोड़कर ने बताया कि वे भी मध्यप्रदेश के गांव के निवासी हैं और इस योजना का पता कर कोशिश करेंगे कि उनके रिटायर होने के पहले बिजलीघर बनाने की सरकार घोषणा कर दे और वही हुआ लगातार हमारे प्रयास रंग लाये और मध्य भारत के प्रथम परमाणु बिजली घर को चुटका में बनाए जाने की घोषणा हुई। हमने अपने सपने को साकार होते अखबारों में देखा कि चुटका में परमाणु बिजली घर बनेगा। अभी तक जमीन का अधिग्रहण कर लोगों को जमीन के निर्धारित रेट पर पैसों का भुगतान कर दिया गया है कई लोगों को करोड़ों रुपये मिल चुके हैं सरकार ने कहा कि चुटका गांव के हर घर के एक बेरोजगार को रोजगार दिया जाएगा। चुटका गांव के लोगों को सर्वसुविधायुक्त कालोनी बना कर दी जा रही है। सपना देखो प्रयास करो तो सपने सच होते हैं।"