एक प्यार ऐसा भी
एक प्यार ऐसा भी
नेहा बहुत सुंदर थी,वैसे तो कॉलेज के सारे लड़के उस पर मरते थे पर नीरव की बात ही अलग थी वो प्रिया की सुंदरता से ही नहीं बल्कि उसकी हर अदा का दीवाना था।जिस दिन वो नेहा से मिला था उसी दिन शायद उसको ये एहसास हो गया था कि यही है उसकी वो चाहत जिसे उसने बरसों से अपने मन में संजों रखा था।नेहा नीरव की जूनियर थी।गोल चेहरा उस पर बड़ी-बड़ी आँखें।होंठ ऐसे गुलाबी मानों गुलाब की पंखुड़ियाँ हो।गोरा रंग और कमर पे लटकती चोटी उसकी सुंदरता में चाँद लगा देती थी।
जूनियर के साथ इंट्रोडक्शन पार्टी थी।नेहा गुलाबी सूट में बहुत ही खूबसूरत लग रही थी।सभी जूनियर्स को अपना नाम वा अपनी हॉबीज के बारे बारे में बताना था।एक एक करके सबने अपना परिचय दिया।
"मेरा नाम नेहा शर्मा है।मुझे पेंटिंग का और सिगिंग का बहुत शौक है।"नेहा की खनकती हुई आवाज सुनकर नीरव चहकता हुआ बोला-"फिर तो एक प्यारा सा गाना हो जाए मिस नेहा।"नीरव स्मार्ट होने के साथ साथ पढ़ाई में भी होशियार था क्लास के सभी लोग उसको चाहते थे इसलिए उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोले..हाँ भई हमारे हीरो ने कह दिया तो अब आपको गाना ही पड़ेगा..!!
पहले नेहा ने थोड़ी ना नुकुर की फिर सबके जोर देने पर उसने गाना शुरू कर दिया..आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे..!!गाना खत्म होते ही सबने तालियाँ बजाना शुरू कर दिया।नीरव तो जैसे प्रिया का गाना सुनकर पागल ही हो गया।उसके मुँह से अचानक से निकल गया-"वाह! मिस नेहा..जितनी आप खूबसूरत हैं उतनी ही आपकी आवाज भी खूबसूरत है।बहुत बढ़िया गाया आपने।"कहने को नीरव ने कह दिया फिर खुद ही शर्माने लगा।क्लास के सभी साथी उसको देखकर मुस्कुरा रहे थे।
नेहा के गाल तो शर्म से और लाल हो गए।जूनियर्स का परिचय खत्म होने के बाद अब सीनियर्स की बारी थी अपना परिचय देने की।नीरव बड़े ही रोमांटिक अंदाज में बोला-"इस नाचीज को नीरव कहते हैं।पढ़ाई लिखाई से फुर्सत मिलती है तो थोड़ा गुनगुना लेता हूँ..मतलब बाथरूम सिंगर हूँ।"नीरव का इतना कहना था कि सब उसके पीछे पड़ गए..."अब गाना सुनाने की तेरी बारी है नीरव तुझको आज गाना पड़ेगा..!!"
अंधा का क्या मांगे दो आँखे..नीरव तो आज मौका ढूँढ रहा था मन की बात कहने का तो गाना शुरू कर दिया..."तुझे देखकर जग वाले पर यकीन नहीं क्यों कर होगा..जिसकी रचना इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा...!!"
गाना गाते वक्त नीरव की नजरें प्रिया पर ही टिकी हुईं थी और प्रिया शर्म से गड़ी जा रही थी।गाना खत्म होते ही नीरव के दोस्तों ने उसे उठा लिया और बोले.. छा गया आज हमारा हीरो..!
अब नीरव किसी ना किसी बहाने से नेहा से रोज कॉलेज में मिलने लगा।उसे नेहा की बातें नेहा का साथ सब भाने लगा।नेहा भी प्यार के एहसास से अछूती नहीं रही वो भी मन ही मन नीरव को चाहने लगी।धीरे धीरे ये मुलाकातें प्यार में बदल गईं।एक दिन मौका देखकर नीरव ने नेहा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा तो नेहा बोली-"नीरव,मुझे पहले अपनी पढ़ाई पूरी करनी है फिर उसके बाद जॉब करनी है।फिर शादी के बारे में सोचूँगी।"
"नेहा मैं तुम्हारा पढ़ाई पूरी होने तक इंतजार कर सकता हूं ज्यादा नहीं।तुम्हारे बिना मेरा एक एक दिन काटना मुश्किल हो गया है तुम क्या जानो?नौकरी तो तुम शादी के बाद भी कर सकती हो।"नीरव बच्चों सा मचलता हुआ बोला।नेहा ने नीरव की बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुस्कुराकर रह गई।
बातों मुलाकातों में कब साल बीत गया पता ही नहीं चला।हमेशा की तरह नीरव ने इस बार टॉप किया।नेहा भी अच्छे नम्बरों से पास होकर फाइनल में पहुँच गई थी।जैसा की नीरव ने नेहा से वादा किया था कि वो उसकी पढ़ाई पूरी होने का इंतजार करेगा उसने अपने पापा का बिजनेस जॉइन कर लिया।घरवाले जब भी उसकी शादी की बात करते तो वो टाल देता।धीरे धीरे नीरव बिजनेस में इतना व्यस्त हो गया कि उसे नेहा से मिलने का समय ही नहीं मिलता बस फोन से बात कर लेता था।
नेहा ने भी अपनी एम.एस सी.कंप्लीट कर ली।जिस दिन उसका रिजल्ट आया तो उसने सबसे पहले नीरव को ही फोन करके बताया था।नीरव भी बहुत खुश हुआ और फोन पर नेहा को बधाई दी-"नेहा !मेनी मेनी काँग्रेचुुलेशन्स..अब बहुत ही जल्द मैं तुम्हारे घर आऊँगा और तुम्हारे मम्मी पापा से तुम्हारा हाथ माँग लूँगा।"
प्रिया बस शर्माते हुए यही बोली-"मैं तुम्हारा इंतजार करूँगी नीरव।"
इससे पहले की नीरव अपने व नेहा के घरवालों से शादी की बात करता उसे बिजनेस के काम से एक साल के लिए विदेश जाना पड़ा।नीरव ने जब नेहा को ये बात बताई तो वो उदास हो गई।नीरव ने जाते समय उसे यही दिलासा दिया कि एक साल है जैसे तैसे कट जाएगा।फिर फोन से तो हम बात करते ही रहेंगे।
नीरव विदेश चला गया।वहाँ जाकर बिजनेस के काम में व्यस्त हो गया।जब भी समय मिलता नेहा से बात कर लेता।नेहा को भी छोटी मोटी नौकरी मिल गई।वो भी उसमें व्यस्त हो गई।इधर कुछ दिनों से नीरव को महसूस हो रहा था,कि नेहा उससे बात करने से कट रही है।क्योंकि जब भी वो फोन करता वो यही कहती कि.."मैं अभी बिजी हूँ बाद में बात करूँगी..!!"
नेहा में आए इस बदलाव को नीरव समझ नहीं पा रहा था।उसकी बेचैनी दिन प्रति दिन बड़ती जा रही थी।वो देश वापिस लौटने का बेसब्री से इंतजार करने लगा।नीरव का काम जैसे ही खत्म हुआ उसने अपना वापसी का टिकिट करा लिया।एक साल बाद नीरव घर आया तो उसके मम्मी पापा बहुत खुश हुए।नीरव भी खुश था क्योंकि एक तो इतने समय बाद घर वालों से मिला था दूसरा नेहा से मिलने की भी खुशी थी।
नीरव ने नेहा को फोन लगाया-"हेलो नेहा!कैसी हो? मैं इंडिया आ गया हूँ।आज शाम को तुमसे मिलने आ रहा हूं।"नीरव को लगा नेहा उसके आने की खबर सुनकर झूम उठेगी पर ऐसा नहीं हुआ।नेहा बस इतना ही बोली "ठीक है तुम आ जाओ।"
शाम को नीरव नेहा के घर गया। डोर बेल बजाई तो नेहा की माँ ने दरवाजा खोला।नीरव को देखकर बोलीं-"बेटा मैने तुम्हें पहचाना नहीं।"
"आंटी जी मैं नेहा का दोस्त नीरव हूँ कल ही विदेश से लौटा हूं इसलिए नेहा से मिलने चला आया।"
"आओ अंदर आओ।"
नीरव अंदर आकर सोफे पर बैठ गया।उसकी नजरें नेहा को ढूँढ रहीं थीं।
नेहा की माँ नीरव की बैचेनी भाँप गई।बोली-"नेहा को ढूँढ रहे हो ना?"
"जी आँटी।"
"वो अपने कमरे में है जाओ तुम उससे मिल लो।"नेहा की माँ उसके कमरे की ओर इशारा करते हुए बोली।
नीरव तेजी से उठा और नेहा के कमरे की ओर चल दिया।
नेहा बिस्तर पर लेटी हुई थी।नीरव को देखते ही उसकी आँखों में आँसू आ गए।नीरव को लगा नेहा की तबियत ठीक नहीं है इसलिए वो लेटी हुई और इतने दिनों बाद उसने उसे देखा है इसलिए शायद रो रही है।वो बिल्कुल सामान्य बना रहा।पहले जो तोहफा नेहा के लिए लाया था वो उसे दिया फिर उसके सिरहाने बैठकर उसे सहलाते हुए बोला-"नेहा! अब मैं आ गया हूँ फिर क्यों रो रही हो।तुम्हें तो खुश होना चाहिए।तबियत का क्या है?ठीक हो जाएगी थोड़े दिन में।क्यों चिंता करती हो?"नीरव की बात सुनकर नेहा रोते रोते बोली-"नीरव अब कुछ नहीं सकता..मैं कभी नहीं ठीक हो पाऊँगी..सब खत्म हो गया।"
"ऐसा क्या हो गया?तुम इतनी नेगेटिव कैसे हो गई?"
जवाब में नेहा कुछ बोली नहीं बस अपने पैरों पर डली चादर को हटा दिया।नीरव का ध्यान जैसे ही प्रिया की टाँगों पर गया तो उसने देखा नेहा की एक टाँग कटी हुई है और उस पर पट्टी बँधी है।पहले तो उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ फिर हिम्मत जुटाकर वो बोला-"ये कैसे हुआ?कब हुआ?"
नेहा ने नीरव को सारी कहानी सुनाई कि कैसे वो ऑफिस जा रही थी और एक बच्चे को गाड़ी के नीचे आने से बचाते बचाते उसका ही एक्सीडेंट हो गया और एक टाँग कटवानी पड़ी।
"मुझे माफ कर दो नीरव अब मैं तुम्हारे लायक नहीं रही।तुमने जिस लड़की से प्यार किया था अब मैं वो वाली नेहा नहीं हूँ।मैं अब जिंदगीभर के लिए अपाहिज हो गईं हूँ।मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती।हो सके तो मुझे भूल जाओ और जिंदगी में आगे बढ़ो।" नेहा फूट-फूटकर रोने लगी।
नीरव नेहा को सीने से लगाते हुए बोला -"इतने सालों में बस इतना ही जान पाई हो मुझे।मेरे लिए बाहरी सुन्दरता कोई मायने नहीं रखती नेहा मैंने हमेशा तुम से प्यार किया है तुम्हारे तन से नहीं।ऐसा कहकर मेरे प्यार को छोटा मत बनाओ।मैं अभी भी तुम्हे उतना ही चाहता हूँ।अगर ये हादसा मेरे साथ हुआ हुआ होता तो क्या तुम मुझे छोड़ देतीं?और अब तो विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है।कृत्रिम अंग लगाकर इंसान अपना जीवन सामान्य तरीके से जी सकता है।"नीरव के इन अनमोल शब्दों से नेहा के चेहरे पे मुस्कान लौट आई।
नीरव रोज नेहा से मिलने आता था।जैसे ही नेहा के जख्म ठीक हुए तो नीरव ने अपने वा नेहा के घरवालों से शादी की बात की।नेहा के घरवाले तो जैसे तैसे सहमत हो गए किन्तु नीरव के घरवालों ने साफ मना कर दिया।
नीरव अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं थी।नीरव के लिए एक से एक बढ़कर रिश्ते आ रहे थे।पर नीरव ने नेहा से सच्चा प्यार किया था इसलिए घर वालों के खिलाफ जाकर नेहा से शादी की।उसकी बहुत सेवा की फिर कृत्रिम टाँग लगवाकर उसे सामान्य जीवन जीने के लायक बनाया।
माता-पिता कब अपने बच्चों से ज्यादा दिन दूर रह पाते हैं नीरव का अपने जीवनसाथी के प्रति प्यार व समर्पण देख नीरव के माता पिता का भी दिल पिघल गया।उन्होंने नेहा को अपनी बहु के रूप में स्वीकार कर लिया।नेहा ने भी अपने व्यवहार से सास ससुर का दिल जीत लिया।नेहा और नीरव की जिंदगी में नन्हीं आन्या के रूप में खुशियाँ लौट आईं।नीरव ने अपने त्याग व समर्पण से प्रेम की एक नई परिभाषा रच दी।