तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे
जया आज हमेशा के लिए अपना घर छोड़कर बेटे के साथ रहने जा रही थी। पति को याद करके वो बहुत रो रही थी।रोते रोते जाने कब जया अतीत में खो गई...
पिछले साल की ही तो बात है...आज के दिन घर में कितनी रौनक लगी हुई थी। जया और सोमिल की शादी की 25वीं सालगिरह थी। सोमिल ने छोटा सा गेट-टुगेदर रखा था। बेटा भी नौकरी से छुट्टी लेकर आ गया था।
जया ने तो मना किया था कि बस घर में सत्यनारायण जी कथा करवा लेते हैं और ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है वैसे भी लोग हमारे प्यार को देखकर ईर्ष्या करते हैं। पर सोमिल नहीं माना उसने सारी तैयारियाँ करने के लिए ऑफिस से छुट्टी ले ली। जाने क्यों वो बार बार कह रहा था "जया मैं इस दिन को यादगार बनाना चाहता हूँ फिर पता नहीं ऐसा मौका मिले की नहीं मिले।"
"ऐसा क्यों कह रहे हो आप? अपने बहु बेटे और पोते पोतियों के साथ गोल्डन जुबली भी तो मनानी है।" जया मुस्कुराते हुए बोली।
"तब की तब देखी जाएगी अभी तो इन पलों को जी लें। और देखो तुम अपनी शादी वाली लाल साड़ी ही पहनना बिल्कुल वैसे ही दुल्हन की तरह सजना।"
"सोमिल अब हमारा बेटा बड़ा हो गया है मेरा ऐसे दुल्हन की तरह सजना अच्छा लगेगा क्या? और मैं दुल्हन बनकर बैठ जाऊँगी तो मेहमानों को कौन देखेगा?"
"वो सब तुम मुझपे छोड़ दो तुम्हारा काम बस मेरे लिए सजना है।" सोमिल ने तो मानो जिद ही पकड़ ली।
दिन में सत्यनारायण जी कथा के बाद जया पार्लर चली गई। एक घन्टा मेहंदी में लग गया। सोमिल की स्पेशल रिकवेस्ट थी कि मेहंदी जरूर लगवाना।घर आते आते 5 बज गए।
"पापा,माँ को तो आपने दुल्हन की तरह सजने को बोल दिया और खुद शर्ट पेंट पहनकर खड़े हो गए।आप भी अपना शादी वाला सूट पहन लो।"
"अरे बेटा मेरा वो सूट तो टाइट हो गया है मुझे तो अब फसेगा भी नहीं।"
"तो कोई और सूट पहन लो।" बेटे की बात रखने के लिए सोमिल ने भी सूट पहन लिया।
जया लाल साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी। उसपर डाइमंड का सेट जो सोमिल ने उसे इस दिन के लिए गिफ्ट किया था उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा रहा था।
सात बजते ही लोगों का आना शुरू हो गया।सोमिल ने बस अपने ऑफिस के लोगों को ही बुलाया था।सबने जया और सोमिल को गिफ्टस व बधाइयाँ दीं। सबसे पहले मेहमानों को चाय व स्नेक्स सर्व किए गए उसके बाद गाने व अन्ताक्षरी का प्रोग्राम शुरू हो गया।
"सर आज आपका एक गाना तो बनता है।" सोमिल के अंडर काम करने वाले ऑफिसर दीपक ने बोला तो सब लोग भी ऊँचे स्वर में बोलने लगे..सोमिल..सोमिल..!
सबके कहने पर सोमिल गाना गाने के लिए तैयार हो गया। जया हैरान थी क्योंकि सोमिल बस गुनगुना लेते थे ऐसे सबके सामने उन्होंने कभी गाना नहीं गाया था।
पहले सोमिल ने पानी का एक घूँट हलक से नीचे उतारा फिर गाना शुरू किया..
चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था...हाँ तुम बिल्कुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था..
सोमिल गाते समय बीच बीच में जया की ओर शरारत भरी नजरों से देख रहा था। सोमिल को देखकर जया नई दुल्हन की तरह शर्मा रही थी।
गाना खत्म होने के बाद सबने खूब तालियाँ बजाईं और कहने लगे-"वाह सर आपने आज साबित कर दिया कि आप भाभी जी से बहुत प्यार करते हैं।"
"अरे नहीं..वो तो बस ऐसे ही धुन में गा दिया।" सोमिल शर्माते हुए बोला।
अब सबकी पत्नियाँ जया के पीछे पड़ गईं..भाभी जी आपको भी भाईसाहब के लिए आज गाना गाना पड़ेगा। पहले तो जया ना नुकुर करती रही पर जब सोमिल ने उससे गाने का आग्रह किया तो वो अपने को रोक ना सकी और गाना शुरू कर दिया..
तेरा मेरा साथ रहे हो तेरा मेरा साथ रहे..धूप हो छाया हो दिन हो कि रात रहे...
जया ऐसे गा रही थी मानों कोई हीरोइन हीरो के लिए गाना गा रही हो।गाना गाने के बाद जया भावुक हो गई तो सोमिल ने सबके सामने ही उसे प्यार से अपनी बाँहों में भर लिया।
इसके बाद खाना पीना हुआ। रात के 11 बज गए सब एक एक करके अपने घर जाने लगे।जाते समय सबने जया और सोमिल से यही कहा-"आप दोनों की जोड़ी मेड फॉर ईच अदर है..ऐसे ही आप दोनों का साथ बना रहे किसी की नजर ना लगे।"
सालगिरह मनाए अभी महीना भी नहीं हुआ था कि एक दिन अचानक सोमिल की तबियत बिगड़ गई। उसे हॉस्पिटल ले जा ही रहे थे कि रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। डॉक्टर ने मौत का कारण सीवियर हार्ट अटैक बताया। सोमिल के जाने का जया को गहरा सदमा लगा। उसकी हालत पागलों जैसी हो गई थी। हर समय रोती रहती और यही कहती..सोमिल क्यों छोड़कर चले गए मुझे? आपके बिना मैं कैसे जिऊँगी..?
जया की ऐसी हालत देखकर सभी रिश्तेदारों ने जया के बेटे को यही सलाह दी कि वो माँ को अपने साथ ले जाए। बेटा भी छुट्टी लेकर ज्यादा दिन माँ के साथ नहीं रह सकता था इसलिए जैसे ही जया की मानसिक स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ तो उसने जया को अपने साथ ले जाने की तैयारी कर ली।
"मम्मी चलो कैब आ गई है।" बेटे की आवाज सुनकर जया की तंद्रा टूटी। वो बोझिल मन से उठी और हसरत भरी नजरों से उस घर को देखा जिस घर में उसने इतने वर्ष अपने पति के साथ बिताए थे। इस घर से उसकी कितनी यादें जुड़ी हुईं थी।
घर के कोने कोने से मानों यही आवाज आ रही थी..तुम मुझे यूँ भुला ना पाओगे...!!
पति की यादों की बारिश में भीगी जया कैब में बैठ गई और निकल पड़ी एक नए सफर पे।