Neha Sharma

Abstract Children Stories

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एक पेड़ की कहानी

एक पेड़ की कहानी

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प्रतिदिन की तरह ही रामदीन तड़के सुबह कुल्हाड़ी को अपने कंधे पर रखकर जंगल की तरफ चल पड़ता है। रामदीन लकड़हारा अपने जीविकोपार्जन के लिए पेड़ों की लकड़ी काटता है। और उनको बेचता है। आज रामदीन अपने ठीक सामने उस घने हरे-भरे पीपल के पेड़ को अपनी कुल्हाड़ी से छलनी करने की सोचता है। रामदीन किसी फुर्तीले सिंह की भांति पेड़ पर चढ़ जाता है। और अपनी नुकीली कुल्हाड़ी से उस पर वार करता है। रामदीन लकड़हारा लगाता पेड़ को कुल्हाड़ी से काट रहा था। रामदीन को अब पेड़ काटते हुए दोपहर हो चली थी। और अब रामदीन पेड़ से नीचे उतर कर बचे हुए आधे घने पेड़ की छांव में सुस्ताने लगता है। 

तभी लकड़हारे रामदीन को कोई दर्द भरी आवाज में पुकारता है। 

"लकड़हारे रामदीन तुम यह क्या कर रहे हो? तुम रोज हम पेड़ों पर अपनी कुल्हाड़ी से वार कर कर हमारी छांव में आराम करते हो।"

रामदीन- "कौन कौन है जो इतना दुखी••••। "

"रामदीन मैं वही लाचार पीपल का पेड़ जिसे तुमने अपनी कुल्हाड़ी से घायल कर दिया है। हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है रामदीन, जो तुम रोज एक नई पेड़ का बलिदान लेने चले आते हो। हम निरंतर तुम मनुष्य को अपना सब कुछ भेंट स्वरूप दे देते हैं।लेकिन बदले में हमें क्या मिलता है रामदीन बस यह नुकीली कुल्हाड़ी का प्रहार, जो हमारी हरियाली को कुछ क्षणों में उजाड़ देती है। और बचता है तो सिर्फ एक निर्जीव लकड़ी का ठूठ। रामदीन तुम रोज अपने स्वार्थ के लिए इस ईश्वर रुपी प्रकृति को नष्ट कर रहे हो। तुम हम हरे- भरे पेड़ों को काटकर अपनी जीविका चलाते हो ना। इससे तो अच्छा यह होगा रामदीन कि तुम फलदार वृक्ष लगाओ और उनके फलों को बेचकर अपना जीविकोपार्जन करो। इससे तुम रोज जो वृक्षों को काटकर प्रकृति विनाश के भागीदारी बन रहे हो। उस पाप से बच सकते हो। रामदीन तुम्हारी इस कुल्हाड़ी ने हमें बहुत कष्ट पहुंचाया है। अब बस करो रामदीन।"

यह कहते हुए पूरे जंगल में सिसकियो की ध्वनि गूंज उठती है ।

रामदीन तत्काल विस्मित होकर नींद से उठ खड़ा होता है और अपने द्वारा प्रतिदिन काटे हुए वृक्षों के ठूठ को देखने लगता है। मानो आज समस्त जंगल उससे कह रहा हो कि बस अब रुक जाओ रामदीन।

रामदीन कुल्हाड़ी उठाकर चुपचाप घर की तरफ चल पड़ता है। अगली सुबह ने रामदीन को एक नया जीवन दे दिया था। जिसमें रामदीन लकड़हारा रामदीन की जगह पेड़ों का संरक्षक रामदीन बन गया था।


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