एक मर्डर ऐसा भी....
एक मर्डर ऐसा भी....
रात का समय वियर बार में......
क्या हुआ डिटेक्टिव अर्जुन? बहुत दिनों से नजर नहीं आए!!
मिस्टर सिंघानिया ने डिटेक्टिव अर्जुन से पूछा।
क्या बताऊं? सिंघानिया साहब, एक बहुत ही अजीब केस में फंस गया था, इतना उलझा केस था कि समझ ही नहीं आ रहा था कि किसने किसको मारा? डिटेक्टिव अर्जुन ने कहा।
ऐसा क्या केस था? जरा हम तो सुने, सिंघानिया साहब बोले।
तो सुनिए, आप भी उलझ जाएंगे, अर्जुन ने कहा।
और डिटेक्टिव अर्जुन ने हत्या से जुड़ी कहानी सुनानी शुरू की।
प्रोफेसर कश्मीरा जो एक बोटनिस्ट थीं, दिल्ली के एक कॉलेज में पढ़ाती थी और कॉलेज में पढ़ाते पढ़ाते ऊब चुकी थीं, अब उसे एक छुट्टी की जरूरत थीं, अपने काम से कुछ दिन का ब्रेक चाहिए था उसे, उसके कोई भी रिश्तेदार नहीं थे और जो थे उनसे उसने बनाकर नहीं रखी थी और मां बाप तो बहुत पहले ही चल बसे थे, एक छोटा भाई था तो वो अपने परिवार के साथ विदेश जा बसा था।
तब कश्मीरा ने अण्डमान जाने का प्रोग्राम बनाया, एक हफ्ते का टूर था तो पहले ही होटल की बुकिंग वगैरह करवा ली।
और दिल्ली से हवाई जहाज चला और अण्डमान के पोर्टब्लेयर हवाई अड्डे पर जाकर रूका, कश्मीरा ने हवाई अड्डे से टैक्सी पकड़ी और सीधी होटल पहुंचीं, उस होटल का नाम भी अण्डमान था, वहां उससे कुछ कागज़ी कार्रवाई के बाद होटल के कमरे में पहुंचा दिया गया।
पोर्टब्लेयर ज्यादा बड़ा नहीं था तीन दिनों में कश्मीरा ने अण्डमान की आसपास वाली जगह भी घूम ली, एक दिन सेल्यूलर जेल और एक दिन जारवा आदिवासी भी देखने गई और एक दिन रॉस आयलैंड देखने के बाद उसे हैवलॉक भी घूमने जाना था, फेरी से हैवलॉक पहुंची, हैवलॉक उसे बहुत ही खूबसूरत लगा, छोटी सी सुंदर जगह, मन को शांति देने वाली।
हैवलॉक के काला पत्थर बीच का सूर्योदय देखने के बाद उसने शाम को राधानगर बीच का सूर्यास्त देखा, शाम तक वो बहुत थक गई, दूसरे दिन उसे एलीफेंटा बीच जाना था, मौसम बहुत ही अच्छा था उसने वहां जाने के लिए फेरी की बुकिंग नहीं की सोचा की इस बार ट्रैक करके जाएगी, जंगल से होते हुए।
उसने एक छोटा सा बैग पीठ पर टांगा, पानी बोतल और कुछ खाने पीने का सामान रख चल पड़ी, बीच के इस पार जाने के लिए उसने किराए पर स्कूटी ली, स्कूटी वहीं पर खड़ी करके जंगल के अंदर निकल पड़ी।
वहां उसे एक दो कपल और भी दिखे, जिन्हें वो स्माइल पास करके आगे बढ़ गई, उसे अकेले घने जंगल में डर तो लग रहा था लेकिन वो अकेले रहना चाहती थी इसलिए किसी के साथ ना चलकर अकेले ही आगे आगे बढ़ गई, कुछ दूर चलने पर उसे एक और अपने जैसी अकेली महिला मिली, उसने उसे देखकर भी स्माइल पास कर दी और उसके पीछे-पीछे चलने लगी लेकिन कुछ दूर जाकर वो महिला फिसल कर गिर पड़ी, क्योंकि रात को बारिश हुई थी तो उस जगह की जमीन फिसलन भरी हो गई थी ऊपर से घने पेड़, सूरज की रोशनी भी कम ही आ पाती थी।
कश्मीरा ने इंसानियत के नाते उसे उठाया और अपने बैग से उसके घुटनों पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगाई चूंकि उसने शॉर्ट्स और स्ट्रीप वाला टॉप पहना था इसकी वजह से उसके कुहनी और घुटनों पर काफी खरोंच आ गई थी।
अब दोनों की जान पहचान हुई, उसने कश्मीरा को थैंक्यू बोलकर उससे हाथ मिलाते हुए कहा__
हाय!!आय एम ईनाया।
हैलो!!आय एम कश्मीरा!!
कश्मीरा ने हाथ मिलाते हुए कहा_
अब दोनों साथ साथ बातें करतीं हुई, जंगल पार करने लगीं, चूंकि कश्मीरा बोटनिस्ट थी तो जंगल के सभी पेड़ पौधों के बारे में वो ईनाया को बताती जा रही थी।
ये केवड़े का पेड़ है, ये पदुआक का पेड़ है, ये पाइन है तब ईनाया ने भी एक पौधे के बारे में पूछा__
ये बहुत ही जहरीला पौधा है, इसकी एक बूंद से इंसान की जान पल भर में चली जाती है, कश्मीरा ने कहा।
कश्मीरा ने ईनाया से पूछा_
और आप भी अकेली ही आई है शायद यहां।
ईनाया बोली, हां..
ईनाया ने कश्मीरा से पूछा और शायद आप भी अकेली ही हैं__
कश्मीरा बोली , हां...
ईनाया ने पूछा, आर यू मैरिड?
कश्मीरा बोली, नहीं, लेकिन हां एक प्रेमी था, जिसकी पत्नी ने उसे अभी कुछ दिनों पहले मरवा दिया।
ओह.. सॉरी... आई एम् वेरी वेरी सॉरी, ईनाया बोली।
कश्मीरा बोली और आप मैरिड है कि नहीं?
ईनाया बोली, अभी कुछ दिनों तक तो शादीशुदा थी लेकिन अब विधवा हूं, मेरे पति को उनकी प्रेमिका ने मरवा दिया।
ओह ये तो बड़े दुःख वाली बात है, कश्मीरा बोली।
ईनाया बोली कोई बात नहीं, शायद किस्मत को यही मंजूर था।
कश्मीरा बोली, सच कहा, ये सब तो किस्मत की बात है।
ईनाया बोली, व्हीस्की पीती हो।
कश्मीरा बोली, आदत नहीं है लेकिन कभी कभार पार्टी वगैरह में चलती है।
ईनाया बोली, तो चलो पार्टी करते हैं।
ऐसी अंजान जगह पर कहां व्हीस्की मिलेगी, कश्मीरा ने पूछा।
ईनाया बोली, जबसे मेरे पति मुझे छोड़ कर गए हैं, तब से बैग में एक दो बोतल डालकर ही चलती हूं।
कश्मीरा बोली, चलो फिर मुझे कोई एतराज़ नहीं।
और दोनों को आगे जाकर एक पेड़ के नीचे साफ-सुथरी जगह भी मिल गई, डिस्पोजल ग्लास में जाम बनाएं गए।
एकाएक ईनाया ने अपना फोन खोला और अपने पति की तस्वीर देखकर रो पड़ी और कश्मीरा से बोली, देखो ये मेरे पति हैं।
कश्मीरा बोली, ये तो अथर्व है, ये तुम्हारा पति है।
ईनाया बोली, तुम कैसे जानती हो, अथर्व को।
अरे, यही तो है वो जिसे मैं प्यार करती थीं।
एकाएक तभी डिटेक्टिव अर्जुन चुप हो गए।
सिंघानिया साहब बोले, फिर क्या हुआ?
फिर दोनों उस जगह मृत पाई गई, डिटेक्टिव अर्जुन बोले।
कारण क्या था? सिंघानिया साहब ने पूछा।
तो आगे सुनिए, डिटेक्टिव अर्जुन बोले।
डिटेक्टिव अर्जुन ने बोलना शुरू किया___
हुआ यूं, दोनों ही अथर्व को बेवफा समझतीं थीं, दोनों ही अथर्व से बदला लेना चाहतीं थीं और दोनों ने ही एक ही आदमी को अथर्व के मारने की सुपारी दी लेकिन किलर ने दोनों में से किसी को ये नहीं बताया कि अथर्व के मारने की सुपारी मिल चुकी है, उसे तो फायदा हुआ, दो लोगों से पैसे मिले और मारना एक को था लेकिन अब किलर पकड़ा जा चुका है।
लेकिन कश्मीरा और ईनाया को किसने मारा, सिंघानिया साहब ने पूछा।
दोनों ने एक-दूसरे को, अर्जुन बोला।
वो कैसे? सिंघानिया साहब ने पूछा।
अर्जुन ने फिर कहना शुरू किया__
चूंकि कश्मीरा को पता चल चुका था कि ईनाया, अथर्व की पत्नी हैं और ईनाया को ये पता चल चुका था कि कश्मीरा ही अथर्व की प्रेमिका हैं इसलिए दोनों ही एक-दूसरे के खून की प्यासी हो गई थी, ईनाया ने कश्मीरा को ज्यादा नशा करा दिया था चूंकि कश्मीरा रोज रोज नहीं पीती थी तो उसे जल्दी चढ़ गई और ईनाया के पास जो चाकू था उसने उसके हाथ की नस काट दी।
लेकिन ईनाया कैसे मरी? सिंघानिया साहब ने पूछा।
अर्जुन फिर बोला__
चूंकि कश्मीरा एक बोटनिस्ट थीं तो उसने ईनाया की नजर बचाकर जहरीले पौधे की कुछ बूंदें ईनाया की शराब की दूसरी बोतल में मिला दी थी पहली बोतल तो पहले ही खत्म हो चुकी थी, ईनाया ने दूसरी बोतल की शराब पी और मर गई।
बड़ी ही गजब गुत्थी थी, सिंघानिया साहब बोले, शाबाश...
शाबास .. डिटेक्टिव अर्जुन।

