Bhavna Thaker

Inspirational

2.0  

Bhavna Thaker

Inspirational

एक खास रिश्ता

एक खास रिश्ता

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सागर आज खुश था रितु की सगाई तय हो गई थी अपनी बहन की सगाई की तैयारी कर रहा था, ये करेंगे, वो करेंगे, एसे कपड़े पहनूँगा, वैसा मैन्यु रखेंगे वगैरह। रितु के पापा ने भी सारी ज़िम्मेदारी सागर को सौंप दी थी और खुद निश्चिंत हो गए। रितु की मम्मी तो कोई काम सागर से पूछे बगैर करती ही नहीं थी। सालों से पड़ोसी होने के नाते दोनों परिवार का घर जैसा नाता बन गया था, रितु विनय भाई और सरला बहन की इकलौती संतान थी, तो पड़ोस में रहते अशोक भाई और कावेरी जी के बेटे सागर को अपना भाई ही मानती थी, राखी भी बाँधती थी, और सागर रितु को अपनी सगी बहन से ज्यादा लाड़ लडाता रहता

अनजान लोगों को पता भी नहीं चलता की दोनों सगे भाई बहन नहीं इतना प्यार था दोनों में। धर्म के रिश्ते भी पाक, साफ, और गहरे होते है। 

विनय भाई ने रितु के मंगेतर विमल को अंगूठी और कपड़े पसंद करने के लिए घर बुलाया ताकि सारी चीजें उसकी पसंद की आएँ, विमल आया घर में पैर रखते ही उसके मुँह का जायका खराब हो गया, रितु और सागर झुले पर पास-पास बैठकर ऑनलाइन कुछ अंगूठीयों की डिजाईन देख रहे थे।

विमल को सागर से रितु की इतनी नज़दीकीयाँ कुछ अखर गई पर उस वक्त तो कुछ नहीं बोला,  खाना खाने के बाद विनय भाई ने सबको तैयार होने के लिए बोला।

रितु ने सागर से कहा "तुम भी तैयार होकर आओ मि. सागर जानते तो हो इस पगली का कोई काम आपके बगैर नहीं चलता", तो विमल ने झट से बोला "रितु सागर को तकलीफ़ क्यूँ दे रही हो मैं हमेशा अपनी पसंद की चीजें ही लेता हूँ और हम सब घर-घर के लोगों के बीच पड़ोसी का क्या काम।"

रितु का दिमाग हट गया कुछ बोलती उससे पहले सागर इशारे से रितु को चुप करवा कर बोला "रितु आज तुम सब शॉपिंग कर आओ मुझे थोड़ा जरूरी काम है, फिर शादी की प्लानिंग तो बाकी ही है उसकी सारी जिम्मेदारी मेरी ओके" बोलकर चला गया। 

पर रितु को ये बात बिलकुल हज़म नहीं हुई, आज तो चुप रही  पर जब-जब विमल रितु के घर आता था कोई न कोई बहाने से सागर का अपमान करता रहता था, एक दिन हद ही हो गई, विमल अचानक से घर आया तो रितु सागर के बालों में तेल मालिश कर रही थी विमल आगबबूला हो गया और सागर से बोला "आपके मम्मी पापा को बोलिए एक बहन का तोहफ़ा आपको दे दे ताकि आस पड़ोस में ऐसे भटकना ना पड़े।" 

रितु अब चुप नहीं रह सकती थी उठ खड़ी हुई और विमल का हाथ पकड़ कर बाहर का रास्ता दिखा कर बोली" मिस्टर विमल get out from here...

आप जैसे हल्के और ओछे विचारों वाले इंसान के साथ में अपनी पूरी ज़िंदगी कतई नहीं बीता सकती, जिसे रिश्तों की अहमियत और पवित्रता समझ में नहीं आती। आपने सिर्फ़ मेरे और सागर के रिश्ते को धर्म का रिश्ता मानकर शक की नज़रों से तोला, पर आप नहीं जानते जो प्यार और इज़्ज़त सागर भाई मेरी और मेरे मम्मी पापा की करते है उतना शायद कोई सगा भी नहीं करता, ये पड़ोसी नहीं है मेरा सगा भाई है बस भगवान ने एक माँ की कोख से पैदा नहीं किया इसलिए आपको ये बोलने का मौका मिल गया।  उफ्फ़ मैं आपको क्यूँ ये सब बोल रही हूँ आपकी समझ से परे है ये रिश्ता। सो प्लीज़ जाईये और अपने जैसी नीच सोच वाली कोई ढूँढ लीजिए नमस्ते।"

विनय भाई और सरला बहन ने ने ताली बजाकर रितु के फैसले का साथ दिया और विमल से कहा "बेटा रिश्ते की अहमियत को समझो, कई बार सगे रिश्तों से ज्यादा गहरे और अपनत्व से भरे धर्म के रिश्ते होते है, हमें कभी महसूस नहीं हुआ की सागर हमारा सगा बेटा नहीं।" 

विमल ने दकियानूसी विचारों की वजह से एक प्यारा रिश्ता खो दिया और नतमस्तक सा चल दिया।।



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