एक ज़िन्दगी
एक ज़िन्दगी


एक शांत सा दिन उम्मीदें भी कम रोज़मर्रा के काम मार्च के ठंडी हवायें,
गरम दोपहरी वाले ये दिन वैसे भी उदासी से भरे होते है आज पता नहीं क्यूँ उर्मी का मन किसी काम में नहीं लग रहा था।
विपिन टूर पर गए थे लाकडाउन की वजह से वो वही फँसे थे ये कहो की कम्पनी का गेस्टहाउस है वहाँ इसलिए कोई दिक्कत नहीं पर मन बेटे पर अटका हुआ है जो अमेरिका एमएस,करने गया दो दिन से उसका फ़ोन नहीं लग रहा इसलिए बेचैन है।
मन वो बेटी के साथ है उसकी वजह से वो अपनी चिंता दिखा नहीं पाती ,पूजा कर के जैसे ही उठी फ़ोन की घंटी बजी उठाते ही चिरपरचित आवाज़ माँ इतनी देर करती हो फ़ोन उठाने में हलक में फँसे शब्द और आँखो में आए आँसुओं को रोक वो हेलो ही बोल पाई, मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया ईश्वर में आस्था बढ़ गई।