एक चिठ्ठी बापू के नाम
एक चिठ्ठी बापू के नाम
दिनांक 10/10 /20
प्यारे बापू,
कैसे हैं आप? आशा है कि सब कुशल मंगल ही होगा स्वर्ग में। हम भी यहां खैर बांट रहे हैं की अभी तक कोरोना की भेंट नहीं चढे़। इसे छोड़िए पहले हम आपके प्रिय भारत की बात करते हैं।
आज 72 वर्ष बीत चुके हैं हम 2020 के बीच में खड़े हैं, कुछ दिन पहले ही आपका जन्मदिन मनाया था। भारत के लिए ये दिन बहुत ही खास है , इस दिन वह आपको विशेषकर याद करते हैं और उदासीन हो जाते हैं ।
बापू आपके जाने के बाद ऐसा लगा मानो आपका बेटा लड़खड़ा - सा गया हो। एक ओर आपके जाने का गम और दूसरी ओर देश को आगे बढ़ाने का प्रण। राह बड़ी कठिन थी। लेकिन भारत ने खुद को संभाला और कहां
" मुझे बापू का प्रिय देश बनाना है। " आपकी शिक्षा को अपनी नीति और रीति बनाकर उसका बखूबी पालन किया।
भारत ने बदलाव को चुना और आगे बढ़ता गया। आज वो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। आज यहाँ 138 करोड़ जनसंख्या
है। यहां 5 से अधिक धर्म है , 20 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती है। यहां भिन्नता में भी एकता है।
बदलाव तो बहुत हुई भारत में लेकिन जो बदलाव पिछले 7 सालों में हुए, वह बीते 65 साल में नहीं हुए। सब कुछ बदल गया नोटों का रंग, शहरों के नाम, शिक्षा की नीति, और स्वच्छता का तरीका। आज हर घर में शौचालय है, बिजली है , और शुद्ध पीने का पानी है। अब तो कश्मीर से भी अनुच्छेद 370 हट गए, राम मंदिर का निर्माण भी शुरू हो गया।
भारत तेजी से नये समय का शासक बनता जा रहा है।
यहां पर आपको यह सवाल तो होगा ही की इन 7 वर्षों में ऐसा क्या हुआ? सच कहूं तो भारत को एक सच्चा साथी तथा मार्गदर्शक मिल दिय "पीएम नरेंद्र मोदी", उन्होंने आपके खोए हुए शब्दों को जिंदा कर दिया और थके हुए भारत को ऊर्जा का स्रोत बना दिया।
पत्र खत्म करने से पहले दुनिया का हाल बताना चाहूंगी । इस वर्ष इस सदी की सबसे भयंकर महामारी फैली है इसका नाम
कोविड - 19 अथवा कोरोना पड़ा। यह SARS-coV-2 नाम के विषाणु से फैलता है। यहां लाखों की सांसे छीन रहा है। सच कहूं तो दुनिया डग - मगा गाई है। लेकिन भारत अपनी लड़ाई बखूबी लड़ रहा है ।
शायद आपके सपनों जैसा भारत ना हो लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं ।
अब पत्र खत्म करना चाहूंगी, धन्यवाद ।
आपके प्रिय भारत की,
एक बेटी