एक चिंगारी
एक चिंगारी
एक चिंगारी
(प्रेरणादायक लघु कहानी)
गाँव के एक कोने में एक छोटा-सा मिट्टी का घर था। वहाँ रहता था "अर्जुन" — एक गरीब किसान का बेटा। पिता के साथ खेतों में काम करता, माँ के साथ चूल्हा फूँकता, लेकिन उसकी आँखों में कुछ अलग था — एक सपना... एक आग... एक चिंगारी।
अर्जुन को पढ़ना बहुत पसंद था, पर स्कूल जाने के लिए पैसे नहीं थे। फिर भी, वो रोज़ शाम को गाँव के स्कूल की टूटी खिड़की से झाँक कर पढ़ाई सुनता, और जो भी सुनता, उसे अपनी मिट्टी की दीवार पर कोयले से लिख कर याद करता।
लोग हँसते थे —
"अरे, ये किसान का बेटा क्या अफ़सर बनेगा?"
पर अर्जुन नहीं रुका।
एक दिन गाँव में एक सरकारी अफसर आया, जिसने देखा कि अर्जुन अंग्रेज़ी में उसे पत्र पढ़कर सुना रहा है — वो भी बिना स्कूल गए। अफसर ने पूछा,
"कहाँ सीखा ये सब?"
अर्जुन बोला —
"खिड़की के पीछे से..."
अफसर चुप हो गया। उस दिन अर्जुन की कहानी दिल्ली तक पहुँची। सरकारी छात्रवृत्ति मिली। उसने पढ़ाई की, दिन-रात की मेहनत रंग लाई —
अर्जुन एक दिन IAS अफ़सर बना।
वो लौटा उसी गाँव में — जहाँ लोग चिंगारी बुझा देना चाहते थे। लेकिन वो चिंगारी अब अलाव बन चुकी थी — रोशनी देने वाला।
सीख:
"अगर भीतर जुनून हो, तो दीवारें भी दरवाज़े बन जाती हैं। एक चिंगारी भी आग बना सकती है, बस उसे हवा देने की हिम्मत होनी चाहिए।"
