नई शुरुआत
नई शुरुआत
नई शुरुआत
रवि का जीवन एक मोड़ पर आकर ठहर सा गया था। पिछले कुछ सालों में उसने बहुत कुछ खोया था—करियर, आत्मविश्वास, और सबसे ज्यादा खुद को। वह एक बड़ी कंपनी में अच्छी नौकरी करता था, लेकिन अचानक आई मंदी में उसकी नौकरी चली गई। उसके बाद कई जगह कोशिश की, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। धीरे-धीरे उसने खुद को कमरे तक सीमित कर लिया।
एक दिन, उसकी पुरानी दोस्त, नंदिता, उससे मिलने आई। उसने रवि को देखा और कहा, "तुम्हारा असली नुकसान नौकरी नहीं, बल्कि तुम्हारा आत्मविश्वास है। अगर तुम खुद को एक मौका नहीं दोगे, तो कोई और क्यों देगा?"
रवि को यह बात दिल में चुभ गई। उसने सोचा, "क्या वाकई मैं हार मान चुका हूँ?" उस रात उसने एक नई योजना बनाई। वह हमेशा से फ्रीलांसिंग करना चाहता था, लेकिन कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया था। अगली सुबह, उसने अपनी पुरानी स्किल्स पर काम करना शुरू किया और एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपनी प्रोफाइल बनाई।
पहले कुछ हफ्ते मुश्किल थे। कोई काम नहीं मिला। लेकिन वह रुका नहीं। उसने और मेहनत की, नए तरीके सीखे, और धीरे-धीरे छोटे-छोटे प्रोजेक्ट मिलने लगे। कुछ महीनों में उसकी आमदनी फिर से होने लगी। लेकिन इस बार, वह किसी पर निर्भर नहीं था—वह खुद अपना बॉस था।
एक साल बाद, रवि की खुद की एक कंपनी थी। उसने न केवल खुद को संभाला बल्कि औरों को भी नौकरी दी। जब नंदिता दोबारा उससे मिलने आई, तो उसने मुस्कुराकर कहा, "तुम सही कहती थी, असली नई शुरुआत बाहर से नहीं, अंदर से होती है!"
रवि की कहानी हमें यही सिखाती है कि हारना समस्या नहीं है, हार मान लेना समस्या है। हर अंत, एक नई शुरुआत की तरफ पहला कदम हो सकता है—बस हमें हिम्मत करनी होगी।
