समय का यात्री
समय का यात्री
रात के घने अंधकार में, जब पूरी दुनिया गहरी नींद में थी, डॉ. अरविंद अपनी प्रयोगशाला में बैठे समय की सीमाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। वर्षों की मेहनत के बाद, उन्होंने एक ऐसी मशीन तैयार की थी, जो इंसान को समय में आगे या पीछे ले जा सकती थी।
एक रात, उन्होंने हिम्मत जुटाई और मशीन में प्रवेश किया। उन्होंने वर्ष 3025 को चुना और एक बटन दबाया। अचानक, उनके चारों ओर रोशनी का तूफान उमड़ा, और जब उनकी आँखें खुलीं, तो वे एक अजीब सी दुनिया में खड़े थे। चारों ओर गगनचुंबी इमारतें थीं, हवा में उड़ती गाड़ियाँ, और रोबोट इंसानों के साथ चल रहे थे।
यहाँ के लोग उनके कपड़ों को अजीब नज़रों से देख रहे थे। तभी, एक रोबोट उनके पास आया और बोला, "आपका स्वागत है, समय यात्री। हमें आपकी प्रतीक्षा थी।" डॉ. अरविंद चौंक गए। "तुम्हें कैसे पता कि मैं समय यात्री हूँ?" रोबोट मुस्कुराया।
"हमारे पूर्वजों ने भविष्यवाणी की थी कि एक दिन कोई अतीत से आएगा और हमें हमारी सबसे बड़ी समस्या से छुटकारा दिलाएगा।" "कैसी समस्या?" डॉ. अरविंद ने उत्सुकता से पूछा। "हमने विज्ञान में इतनी प्रगति कर ली कि हमने प्रकृति को पीछे छोड़ दिया।
अब हमारी नदियाँ सूख गई हैं, जंगल खत्म हो गए हैं, और इंसानों की संवेदनाएँ भी रोबोट जैसी हो गई हैं। हमें फिर से प्रकृति और भावनाओं को जागृत करने की आवश्यकता है।" डॉ. अरविंद ने सोचा, "अगर भविष्य में यह हाल है, तो हमें वर्तमान में ही इसे सुधारना होगा!"
उन्होंने फैसला किया कि वे वापस अपने समय में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे, ताकि भविष्य को बचाया जा सके। उन्होंने तुरंत अपनी मशीन को दोबारा सक्रिय किया और साल 2025 में लौट आए। अब उनका लक्ष्य था—लोगों को प्रकृति के महत्व के बारे में समझाना, ताकि भविष्य भयावह न हो।
