जादुई घोड़ा
जादुई घोड़ा
बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गाँव में अमन नाम का एक गरीब लड़का रहता था। वह बहुत नेकदिल और मेहनती था, लेकिन उसकी गरीबी उसे हमेशा परेशान करती थी। एक दिन, जब अमन जंगल में लकड़ियाँ बीन रहा था, तो उसे एक बूढ़ा साधु मिला। साधु बहुत थका हुआ था और प्यासा भी। अमन ने तुरंत अपना पानी और रोटी निकालकर साधु को दे दी। साधु उसकी दयालुता से बहुत खुश हुआ और बोला, "बेटा, मैं तुम्हें एक जादुई घोड़ा देता हूँ। यह घोड़ा तुम्हें जहाँ चाहो, वहाँ ले जा सकता है, लेकिन इसे हमेशा प्यार से रखना।" अमन बहुत खुश हुआ और घोड़े पर बैठते ही उसने कहा, "मुझे सोने के महल में ले चलो!" घोड़ा हवा से बातें करने लगा और पलक झपकते ही अमन खुद को एक भव्य महल के सामने खड़ा पाया।
महल के राजा ने जब यह अनोखा घोड़ा देखा, तो वह चकित रह गया। उसने अमन से घोड़े के बदले ढेर सारा सोना और हीरे देने की पेशकश की, लेकिन अमन ने कहा, "यह घोड़ा अनमोल है, मैं इसे नहीं दूँगा।" राजा ने चुपचाप अपने सैनिकों को आदेश दिया कि रात में अमन का घोड़ा चुरा लिया जाए। जैसे ही सैनिक घोड़े के पास पहुँचे, घोड़ा अचानक बोल उठा, "मुझे छूना मत, वरना तुम्हें बड़ा नुकसान होगा!" डर के मारे सैनिक भाग खड़े हुए।
अमन को अहसास हुआ कि लालच दुनिया की सबसे बड़ी बुराई है। उसने राजा को समझाया कि धन-दौलत से ज्यादा मूल्यवान सच्ची दोस्ती और ईमानदारी होती है। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अमन को बहुत सा सोना उपहार में दिया। अब अमन के पास दौलत भी थी और एक जादुई घोड़ा भी, जिसने उसे दुनिया की सबसे बड़ी सीख दी—"सच्चाई और अच्छाई का साथ कभी मत छोड़ो।"
शिक्षा: ईमानदारी और दयालुता हमेशा हमारी रक्षा करती हैं, और लालच का कोई अंत नहीं होता।
