एक अल्फाज़
एक अल्फाज़
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जिसे मैं रखना चाहूं ज़ेहन से सदा
एक मुलायम मखमली लिबास है तू !
बारिश की पहली बूंद से निकली
मिट्टी की मादक मिठास है तू !
साग़र में मोती मिल जाए
तो पनपे जो एहसास है तू !
थोड़ी नाज़ुक थोड़ी कच्ची
जैसे दुबली सी कोई बच्ची
सुनहरे अक्षरों में लिखी हुई
एक अल्फाज है तू।