एहसास

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15 साल की माला यू.पी.के एक कस्बे में रहने वाली बहुत ही समझदार और प्यारी सी लड़की। उसका छोटा भाई आकाश थोड़ा शरारती और थोड़ा जिद्दी पर बहुत ही मासूम। दोनों भाई-बहन आज बेहद खुश थे, कल अपनी बुआ के घर दिल्ली जा रहे थे। माला की माँ ने उसकी बुआ और उनके बच्चों के लिए बहुत सारा सामान दियाl ट्रेन में बच्चों को बैठाते हुए उनकी आँखें भर आई और बच्चों को समझाया वहाँ पर कोई ज़िद्द मत करना और न ही किसी से लड़ाई करनाl स्टेशन पर उनके फूफाजी उन्हें लेने आयेंगे रास्ते भर माला सोच रही थी, बुआ की बेटी शीना और उनका बेटा रोहन, जब छुट्टियों में बुआ के साथ उनके घर आते थे तो सब कितना मज़ा करते थेl पिछले एक-दो साल से माला की बुआ उनके घर नहीं आ पा रही थीl इसलिए उन्होंने सोचा इस बार हम बुआ के घर जायेंगे। माला और आकाश को दिल्ली गए हुए बहुत साल हो गए थे, इसलिए दोनों बच्चे बहुत खुश थे।


दिल्ली के स्टेशन पर जब ट्रेन रुकी तो दोनों बच्चे ट्रेन से उतर कर अपने फूफाजी को ढूंढ़ने लगे पर फूफाजी तो नहीं आये उन्होंने अपने ड्राइवर शम्भू को भेजा था। बच्चे शम्भू को जानते थे क्यूंकि वह बुआ के साथ उनके गाँव आता था। माला ने कहा, “शम्भू काका आप?”


शम्भू ने बताया कि उनके फूफाजी को कोई काम पड़ गया इसलिए वो नहीं आ पाए। कुछ देर बाद बच्चे अपनी बुआ के घर पहुँच गए। उनकी बुआ ने उन्हें बहुत प्यार किया। बुआ ने बताया फूफाजी ऑफिस गए हैं, उनसे शाम को मिल लेना। शीना और रोहन अपने मोबाइल में ही लगे रहे, दूर से ही हैलो कह दिया कुछ देर बाद माला की बुआ सब के लिए नाश्ता लेकर आ गई। शीना और रोहन के लिए जूस और सैंडविच लायी थी, जबकि माला और आकाश के लिए आलू की सब्जी बेड़मी और जलेबी लायी थी। तभी शीना रोहन से हँसते हुए बोली, "इतना ऑयली ब्रेकफास्ट खायेंगे, ये लोग।”


नाश्ते के बाद, माला ने उन सब को उनके गिफ्ट्स दिए। बुआ को तो अपनी साडी बहुत पसंद आई पर शीना बोली, "कुर्ती और लेग्गिंग, मामी को पता नहीं हैं क्या? मैं नहीं पहनती ये सब...” और रोहन ने कहा, “ये कितना बच्चों वाला गेम है।” माला की बुआ ने उन्हें डांटते हुए कहा, “चुप रहो।”


थोड़ी देर बाद बुआ ने कहा, “सब बच्चे तैयार हो जाओ मॉल चलते हैं।” कुछ समय बाद जब वह सब मॉल पहुँचे तो माला और आकाश को वो सब सपने जैसा लग रहा था। फर्स्ट फ्लोर पर जाने के लिए जब वह सब एस्क्लेटर के पास पहुँचे, तो आकाश ने कहा, "चलने वाली सीढ़ी।” तभी माला ने हिचकिचाते हुए कहा, "बुआ सीढ़ियों से चलते हैं।” एकदम रोहन हँसते हुए बोला "क्यों एस्क्लेटर यूज़ करना नहीं आता?” तभी उनकी बुआ ने कहा, "डरो नहीं मैं तुम्हें बताती हूँ।”


माला और आकाश डरते हुए फर्स्ट फ्लोर पर पहुँच गए। बुआ ने सबसे पूछा, “क्या खाओगे?” शीना और रोहन बोले, "चाउमीन,” माला और आकाश ने भी चाउमीन अपने गाँव में खा रखी थी उन्होंने भी कहा, "ठीक है।” माला और आकाश चम्मच से चाउमीन खा रहे थे, तो शीना ने अपनी मम्मी से कहा, "इट्स सो इंसल्टिंग, दे डॉन'ट नो हाउ टू यूज़ अ फोक!” उसे लगा माला को कुछ समझ नहीं आएगा पर माला को सब समझ आ रहा था, फिर भी वह चुप रही।


थोड़ी देर बाद बुआ ने कहा, "चलो सब बच्चों को कपड़े दिलाती हूँ।” तभी शीना ने कहा कि, "मैं इधर क्रॉप टॉप और शॉर्ट्स देखती हूँ, आप उधर माला को कुर्ती लेग्गिंग और आकाश को पैंट शर्ट दिला दो, क्यूँकि इनके गाँव में तो यही कपड़े पहनते हैं।” कपड़े दिलाने के बाद बुआ ने सबको गेम्स खिलवाये, मूवी दिखाई, फिर सब लोग घर आ गए। तब तक उनके फूफाजी आ चुके थे। उन्होंने माला और आकाश के साथ बहुत मस्ती की, फिर सबने आइसक्रीम खाई जो फूफाजी लाए थे।


कुछ देर बाद माला और आकाश अपने कमरे में सोने जा रहे थे। तभी माला ने शीना को बुआ से यह कहते हए सुन लिया की, "यह लोग यहाँ कब तक रहेंगे? कैसे झेलेंगे हम इन गंवारों को, ऐसे तो हमारी तो पूरी छुट्टियाँ ही ख़राब हो जाएँगी।” अब माला से नहीं रहा गया वह जोर से बोली, "बस कर शीना, तुम भाई -बहन कोई मौका नहीं छोड़ रहे हो हमारी बेइज़्ज़ती करने का। माना की हमारे तौर-तरीके तुमसे अलग हैं। पर जब तुम हमारे गाँव आते हो, हम तो पूरी कोशिश करते हैं, तुम्हे खुश करने की। तुम जो हमारे लिए कपड़े लाते हो, वो हमारे गाँव में भी नहीं चलते, फिर भी हम ख़ुशी-ख़ुशी रख लेते हैं। मेरी मम्मी अलग-अलग किताबों में से पढ़कर तुम्हारी पसंद का खाना बनाती हैं। तुम्हें भी मेरी तरह खाना बनाना, सिलाई-कढ़ाई नहीं आती। मैंने तो कभी तुम्हारा मज़ाक नहीं बनाया।” फिर उसने अपनी बुआ से कहा, "आप हमारी कल की टिकट करा दो, मम्मी की याद आ रही हैं।”


तभी उनकी सोसायटी की हैड, उन्हें सोसायटी में होने वाले एक प्रोग्राम के लिए इनविटेशन देने आयी। वहाँ उसने माला का बनाया हुआ करोशिये का मफलर और बैग देख लिया। उसने माला की बुआ से पूछा, “ये कहाँ से खरीदे हैं आपने?” बुआ ने हँसते हुए कहा, "ये तो मेरी भतीजी माला ने बनाये हैं।” तभी बुआ ने उनके आगे नाश्ता रखा, जिसमें माला की मम्मी के हाथ की मट्ठी, कचौड़ी और लड्डू लगाए, तो वह खाती रह गयी। फिर उन्होंने माला की बहुत तारीफ की और माला की बुआ से बोली, "आप यह सब सामान इनसे मंगा कर अलग - अलग मौकों पर लगने वाले स्टाल्स में लगा सकती हो, आपके बहुत चलेंगे।” जब तक शीना और रोहन को अपनी गलती का एहसास हो चूका था। उन्होंने माला और आकाश से माफ़ी माँगी। बाकी के दिन, वो दोनों बच्चे वहाँ बहुत खुश रहे और सब बच्चों ने साथ में बहुत मज़े किये।


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