ए मंज़िल तू गले लगा ले

ए मंज़िल तू गले लगा ले

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इस बार का बेस्ट सिंगर अवार्ड जाता है, स्वरा घोष को। 

झनक - झनक बाजे पायल मेरी

आ बसा लूँ आँखों में सावरिया सूरत तेरी। 


चटाक!!!! स्वरा ने पास रखा फूलदान टीवी पर दे मारा, आवाज़ सुन सब अचानक उसके कमरे में आ गए। चीखना चाहती थी पर उसकी आवाज़.....

उसकी मीठी और मोहिनी आवाज़ तो अब उसके कंठ से कभी निकल ही नहीं सकती, नजर लग गई शायद उसे उसके चाहने वालों की और 1 महीने पहले एक दुर्घटना में अपनी आवाज़ खो बैठी। 

कल तक जो सबके लिए मिसाल थी आज सबके बीच दया और सहानुभूति का पात्र है, जो उससे मिलने आता कह के जाता होनी को जो मंज़ूर था, क्या कर सकते हैं!! हिम्मत रखो । कुछ प्रतिद्वंदी के मन में लड्डू फूट रहे थे कि आखिर ईश्वर ने हम पर दया की और इसे हमारे रास्ते से दरकिनार कर दिया। 


सबकी अपनी सोच, अपने कथन अपनी सलाह अपनी बातें। 

पर जिस पर ये विपत्ति आई है उसकी मनोदशा का क्या? कैसे संभाले खुद को, कैसे जा के लेती अपनी मेहनत से कमाया पहला सम्मान सबके सामने, जो आखिरी होने जा रहा था। क्यों ईश्वर कभी कभी इतना निर्दयी हो जाता है। 

कूकती कोयल मौन कभी भली लगी है, फिर मैं इतना बड़ा आघात कैसे सह लूँ पन्नों पे लिखने से, चीजों को तोड़ने फोड़ने से भी मेरा दर्द खत्म तो दूर कम भी नहीं हो पा रहा, आँखों के मेघ को बरसने से बंद पलकों का आवरण भी रोक नहीं पा रहा। नैनों की भाषा प्यार की परिभाषा जताने के लिए सबसे उत्तम है, पर मैं अपने दैनिक जीवन में इस भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहती। 


ऐसी जिन्दगी से क्या मौत भली नहीं! घुट - घुट के मरने और दूसरों की दया भरी नज़रों के कारण बेचैन सी रहने से भला क्या एक बार में चैन की नींद सो जाना बेहतर नहीं? यही सब सोचते - सोचते ऊहापोह की स्थिति में उसके कदम अपने आप मम्मी पापा के कमरे की तरफ चल पड़े। 

पापा मम्मी के कमरे का दरवाज़ा खोलते ही सामने मम्मी बैठी दिख गयी, स्वरा आ बेटा इधर आ मम्मी भरे मन से स्वरा को अपने पास बुला रही थी तरस गयी थीं अपनी बेटी को गले लगाने के लिए, माँ के आँचल में समाते ही स्वरा के दुखों का सैलाब आँखों से बह पड़ा, मम्मी ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा, जिन्दगी में उतार चढ़ाव आते हैं कभी कभी बहुत कठिन परीक्षा देनी पड़ती है इंसान को, हिम्मत रख बेटा, अपने मम्मी पापा की तो जिन्दगी तू ही है। 

अब स्वरा क्या बताती उन्हें की वो अपनी जिन्दगी खत्म करने जा रही है, आखिरी बार माँ के सर के गोद में रख सुकून से थोड़ा रो लेना चाहती है, चाय बना लाती हूँ बेटा पी लेगी तो तुझे थोड़ा आराम मिलेगा, सर हिलाकर हल्का सा मुस्कुरा दी स्वरा माँ के हर दुख और परेशानी की दवा चाय होती है, माँ के कमरे के जाते ही उसने अलमारी खोली जहाँ पापा की दवाईयों का डिब्बा रहता था, नींद की गोलियाँ लेने ही तो आई थी वो यहाँ अचानक उसकी नजर उस जगह पर गयी जहाँ मम्मी ने उसकी बचपन की चीजें सहेज कर रखी थी। 


उसके द्वारा की गई कुछ पेंटिंग्स, और जैसे ही लाल डिब्बा खोला अपने बचपन में पहुंच गयी। 

"स्वरा, स्वरा देखो बेटा पापा क्या लाए आपके लिए?

क्या लाए पापा? पहले अपनी आँखें बंद करो

आँखें खोलने पर घुँघरू की मीठी आवाज़ से छुन - छुन करती पाजेब उसकी हाथों में थी, मेरी रानी बेटी जब इसे पहन स्टेज पर नृत्य करेगी तो सारी दुनिया उसे देखती रह जाएगी मेरी प्यारी सी गुड़िया को, पर पापा आपको पता है न मैं सिंगर बनना चाहती हूँ, बेटा मैं सोच रहा था कि तुम बड़ी होकर मेरी डांस क्लास संभालती, नहीं पापा मैं तो सिंगर ही बनना चाहती हूँ वर्ल्ड बेस्ट सिंगर। 

"ठीक है बेटा तू तो हमारी जान है जिसमें तेरी खुशी"

देखा ना पापा आपकी बेटी बेस्ट सिंगर बन गयी कुछ ही पलों के लिए सही पर मैंने अपना सपना साकार कर लिया, अब आपकी इच्छा का मान रखने की बारी है, माँ चाय की ट्रे लिए कमरे में आयी तो देखा उनकी प्यारी बेटी पागलों की तरह रोते हुए पाजेब को चूमे जा रही है, आँचल से अपनी आँखें पोंछते हुए बोली की देख चाय के साथ तेरी मन पसंद पनीर सैंडविच भी बना दी है, मुस्कुराते हुए उसने माँ को देखा और पाजेब की छुन छुन का मीठा संगीत सुनाते हुए आँखों से अपनी नयी मंज़िल की और इशारा कर दिया। 



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