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डाॅ.मधु कश्यप

Drama

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डाॅ.मधु कश्यप

Drama

दूर रहकर भी पास

दूर रहकर भी पास

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 "तुमने कहा था रोहित हम कभी अलग ना होंगे साथ जिएँगे साथ मरेंगे। फिर अमेरिका का ऑफर तुमने क्यों स्वीकार किया ? मेरे बारे में एक बार भी नहीं सोचा कि मैं कैसे रहूँगी? तीन महीने में हमारे प्यार की निशानी भी हमारे साथ होगी पर तुम.." कहते कहते सिया रो पड़ी।

"मरने जीने की बात कहाँ से आ गई ? कितनी बार कहा है मेरी प्यारी सिया के आँखों में आँसू अच्छे नहीं लगते। फिर क्यों इन आँखों में लाकर खुद को तकलीफ़ देती हो? दूर होने से क्या हम दूर हो जाएँगे सिया। बताओ तुम ही कहती हो ना कि," हम कितने भी दूर रहे हमारे दिल की धड़कन एक है, तुम उदास हो जाओगे तो मेरी आँखों में भी आँसू आ जाएँगे और मैं खुश रहूँगी तो तुम खुश हो जाओगे। फिर क्यों परेशान हो रही ? सभी तो रहेंगे ही।"

"पर तुम नहीं रहोगे ना।"

"मेरी निशानी तो है ना तुम्हारे पास और फिर मैं मिलने भी तो आता रहूँगा। बातें तो हम रोज ही किया करेंगे। ऐसे उदास होकर मेरी हिम्मत मत तोड़ो सिया। मैंने बहुत मुश्किल से यह निर्णय लिया है। उसे कमजोर मत पड़ने दो। जो भी कर रहा हूँ, अपने आने वाले बच्चे और तुम्हारे लिए ही तो कर रहा हूँ। तुम नहीं जानती मेरे लिए यह फैसला लेना कितना मुश्किल था। प्लीज मेरा साथ दो सिया... मेरा साथ दो।" रोहित की आँखें भी भींग गई।

" नहीं रोहित ऐसे मत करो। मैं तुम्हारी ताकत बनना चाहती हूँ, कमज़ोरी नहीं। मैं रह लूँगी, अपना ध्यान रख लूँगी। तुम मेरी फिक्र बिल्कुल मत करना और हाँ जल्दी आने की कोशिश करना। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। हम सपनों में मिला करेंगे।"

"हम दूर रहकर भी पास है सिया। ऐसा कभी मत सोचना कि हम अलग हैं तो हमारा प्यार भी कम पड़ जाएगा या दूर हो जाएगा। हम हमेशा एक दूसरे के साथ हैं।"और रोहित ने सिया को अपने बाँहों में भर लिया ।


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