दृश्य

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"प्यार !

लोग प्यार नही व्यापार करते है बस।

जिस्म की प्यास को भुझाने के लिए प्यार शब्द का इस्तेमाल अपने जुबान से करते है और झूठी फिक्र को दिखा कर तारीफों के पूल बांधते हुए दिल में इतनी गहरी जगह बना लेते है कि फिर कोई और नज़र ही नही आता।

और मुझ जैसी लडकिया उनकी इन चालो को समझ नही पाती है। गिफ्ट दे दे कर वो अपने जाल में हमे फांसते चले जाते है और हम प्यार समझ कर उन्हें अपना सब कुछ सौप देते है।

अपना भरोसा , अपनी उम्मीदे , अपने सपने , अपनी आज़ादी यंहा तक कि अपना घर परिवार भी त्याग देने को तैयार हो जाते है सिर्फ उस एक इंसान के लिए। लेकिन 90% मर्द सिर्फ जिस्मानी प्यास को भुझाने के लिए भावनाओ को ठेस पहुंचाते है भरोसा तोड़ते है प्यार का खेल खेलते है। जब तक दिल करता है मज़ा लेते है और फिर कोई घटिया सा बहाना दे कर दर किनार कर जाते है। "

नदी पर बनी पुल के पास बैठी मीना अपने मन मे इन खयालो को उलट पुलट कर रही थी। वो इस भयानक भावना को समझ चुकी थी क्योंकि उसके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ था।

रवि जिसे उसने दिल जान से चाहा जिसपर भरोसा किया अपना सब कुछ वार दिया उसने ही मीना को धोखा दिया।

और वजह भी इतना घटिया।

वो उस दृश्य को याद कर रही थी जो कुछ ही देर पहले उसके साथ घटी थी

रवि - "आई बाबा नही मान रहे। मैं उनके मर्ज़ी के खिलाफ जा कर तुमसे शादी नही रचा सकता। "

मीना - " क्यों? , क्यों नही मान रहे ?"

रवि - "उनका कहना है कि हम दोनों अलग अलग जाति से है इसलिए शादी नही हो सकती , और मैं उनकी बात नही टाल सकता। वो मेरी शादी अपनी ही जाति की लड़की से कराना चाह रहे है। इसलिए आज के बाद मैं तुमसे नही मिलूंगा। मुझे भूल जाओ।।

मीना - " भूल जाओ। ऐसे कैसे कह सकते हो तुम। एक झटके में भूल जाओ। अगर साथ निभाने का दम नही था तो मुझे इतने सपने क्यों दिखाये ? प्यार करने से पहले अपने माँ बाप से पूछे थे क्या ! कि प्यार करू या नही !! उस वक्त नही मालूम था तुम्हे कि हम दोनों अलग जात से है ?बोलो ?! था न मालूम।। तो फिर क्यों नही सोचे तब!! आज मा बाप ने कह दिया तो बस हो गया।

भूल जाओ।

भूल जाओ।

और ये जो तुमने मेरी कोक में छोड़ा है उसे भी भूल जाऊँ!!?? प्यार और शादी का वादा कर के तुमने सिर्फ अपनी जिस्म की भूख निभाई होगी लेकिन मैंने तो तुमसे प्यार किया था, तुमपे भरोशा किया था।

तुमने ये सिला दिया मेरे प्यार का।। "

मीना ग़ुस्से और धोके के एहसास से भर उठी थी। इसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे।

रवि - "देखो जो भी हुआ उसे अब मैं बदल नही सकता। तुमको चाहिए तो मुझसे पैसे ले लो और ..इस ..

मिना - और. . ? और क्या ..

रवि - " इस बच्चे को गिरा दो। अवॉशन करवा लो। लेकिन अब मुझे भूल जाओ। "

इतने में मीना उसकी और देखती है और कस कर एक तमाचा जड़ देती है।

मीना - "प्यार करने से पहले ये बात क्यों नही सोचा था। आज सब कुछ हो गया अपना मतलब निकल गया तो एक बहाना लगा कर पीछा छुड़ा लिया। जस्ट गो टू हेल..!! "

मीना नदी पर बने पुल के किनारे बैठी रोती हुई।

एक और दृश्य उसे याद आता है जब उसकी माँ ने उसे कुछ बाते बताई और समझाई थी।

माँ - मीना ये लड़का रवि .. तुम इसके साथ इतना मत घुमा करो। मैं जानती हूं कि तुम दोनों एक दूसरे को चाहते हो लेकिन शादी से पहले इतना साथ साथ घूमना मुझे ठीक नही लगता।

मीना - औफो माँ। तुम बेकार ही ज्यादा सोचती हो। रवि अच्छा लड़का है। पढ़ा लिखा आज के खयालो का समझदार लड़का है। अच्छी जॉब कर रहा है। उसका अपना घर परिवार है। कोई नशे की लत भी नही है हा कभी कबार पार्टी में पी लेता है पर इतना चलता है।

माँ - "लेकिन मुझे तुम्हारी फिक्र होती है। तुम्हारा ऐसे देर रात तक बाहर रहना उसके साथ कभी कभी डर सा लगता है।देखो बेटा, हमारे आगे पीछे कोई नही है। सिर्फ मैं और तुम। इसलिए थोड़ा सोच समझ कर फैसला करना। "

मीना के जेहन में दोनों दृश्य घूम रहे थे। उसे समझ नही आ रहा था कि अब वो क्या करे। उसे ये जिंदगी गाली सी लगने लगती है। रवि ने जो धोका दिया उससे अब मीना की ज़िन्दगी खराब हो चुकी थी। उसे एहसास हो रहा था कि रवि पे भरोसा कर उसने बहुत बड़ी गलती की है। मीना को खुद से नफरत हो रही थी उसे खुद पे गुस्सा भी आ रहा था कि क्यों मैंने माँ कि बात नही मानी।। क्यों मैं शादी से पहले रवि को अपने इतने करीब आने की इजाज़त दे दी।।

अब समाज मे मेरी क्या इज़्ज़त रह गयी। सब कुछ तबाह हो गया..।

मीना आत्मग्लानि से भर जाती है और अपनी जान देने का विचार उसके मन मे आने लगता है।

वो उठती है और पुल पर से छलांग लगा कर जान देने का फैसला कर लेती है।

वो खड़ी खड़ी सोचती है

माँ बनना कितनी सौभाग्य की बात है लेकिन क्योंकि मेरे मांग में सिंदूर नही है गले मे मंगलसूत्र नही है तो यही मेरा दुर्भाग्य बन गया है। समाज मे ऐसी माँताओ को कौन जगह देगा भला। मुझे माफ़ कर देना मेरे बच्चे ..मैं तुम्हे जन्म से पहले ही मौत दे रही हूँ ..।। मुझे माफ कर देना माँ .. मैं जा रही हूं।। मीना अपने पेट पे हाथ फेरते हुए आंसू बहाने लगती है और फिर मीना पुल पर से छलांग लगा कर गहरे पानी मे उतर जाती है झपाक...

कि अचानक उसकी आंखें खुलती है और सामने माँ नज़र आती है।

माँ - अरे कितना सोएगी ? आज ऑफिस की छुट्टी है इसका मतलब सोती ही रहेगी क्या. . चल उठ। कब से उठा रही थी आखिरकार पानी डाल कर उठाना पड़ा।। चल चल उठ न बेटा.. बाज़ार चलना है।

मीना एक पल के लिए जैसे सन रह गयी। उसने अपने चारों तरफ़ नज़र घुमाई और खुद को अपने कमरे में बिस्तर पर पाई। उसे एहसास हुआ है कि वो एक सपना था। वो चेन की सांस लेती है लेकिन इससे उसे एक अच्छी सीख मिल गयी। कभी भी किसी पर अंधा भरोसा नही करना चाहिए। प्यार में खुद को और अपने दिल को काबू में रखना चाहिए और अपनी मर्यादा को लांघना नही चाहिए। चहरे पे पानी के बीच उसकी आँखों से दो बूंद चैन की आंसू भी छलक पड़ते है।


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