STORYMIRROR

Anshu sharma

Drama

4  

Anshu sharma

Drama

दोस्ती का बंधन

दोस्ती का बंधन

3 mins
393

एक गांव में ऋतु और सुगंधा दो सहेलियां रहती थी। घर परिवार की हालत बहुत गरीबी स्थिति की थी ।दोनों पक्की सहेलियां थी पर जैसे तैसे दसवीं की पढ़ाई पूरी की थी। ऋतु सिलाई का काम जानती थी। काम करके कुछ पैसे मिल जाते थे ।अपनी माता-पिता की सहायता करती थी। वही सुगंधा भी पास में ही रहती थी और वह कढ़ाई का काम करती। रेशम के धागों से रुमाल बनाती और किसी के कपड़ों पर ,चादरो पर कढ़ाई करती ।वह भी अपने माता पिता की सहायता के लिए लगी रहती।

एक दिन ऋतु के पिता बहुत बीमार हो गए डॉक्टरों ने बहुत बड़ी फीस लिखकर ,उनके सामने रख दी। गरीबी हालात अब कैसे फीस चुकाई जाए ,इलाज कराया जाए? यह सोचकर मां बेटी दोनों परेशान हुआ करती थी ।थोड़ा बहुत पैसा आता ।वह घर के कामकाज में ही लग जाता था। रितु को परेशान देखकर सुगंधा ने कहा क्या हुआ रितु? तेरे बाबा अभी सही नहीं हुए ? ऋतु ने अपना दिल का हाल उसे बता दिया नही सुगंधा अभी नही बहुत रूपये की जरूरत है। सुगंधा ने कहा," मुझे थोड़े से पैसे आज ही  मिले हैं तू यह रख ले। "कुछ दिन बाद मुझे दे देना। ऋतु ने उसे गले लगा लिया । शुक्रिया सुगंधा तू नही जानती मेरे लिए ये रूपये का सहारा बहुत बड़ा है। मैं और तू अलग नही है ऋतु और जोर से गले लग गयी।

।थोड़े दिन के बाद फिर सुगंधा ने थोड़े पैसों का इंतजाम करके ऋतु को दे दिए। ऋतु कहने लगी ,"सुगंधा मैं कब तक तुझसे यह लेती रहूंगी? अब तो बाबा भी काम पर नहीं आ सकते ऐसा कैसे चलेगा? सुगंधा ने कहा,"ऋतु तू सिलाई का काम जानती है और मैं कढ़ाई का तू मुझे और मैं तुझे एक दूसरे का काम सिखा देते हैं और मिलकर कुछ नया करते है, जिससे कमाई भी आसान हो जाएगी। ऋतु को सुझाव अच्छा लगा और उसने सुगंधा को अपनी सिलाई, सिखाने का फैसला किया ।सुगंधा ने भी कढ़ाई के बहुत तरीके उसको सिखाएं ।दोनों अपने काम में बहुत निपुण थी इसलिए जल्दी ही एक दूसरे का काम भी जल्दी सीख गई।

और मिलकर घर-घर जाकर उन्होंने अपने लिए काम मांगे। किसी ना किसी ने छोटा-मोटा काम पकड़ा दिया । दोनो मिलकर सिलाई कढाई करती। उससे उनको रोजगार भी मिल गया पहले अकेले इतना नही काम मिलता था कढाई किये कुर्ती,सलवार ,कपडे सब बनवाने लगे ।और जो पैसे आए उससे उन्होंने कुछ नए कपड़े खरीद के और कुर्तियां बनाई। पास मे शहर था वहाँ सावन के मेला लग रहा था। चार कुर्तियां ही बन पाई थी, दो दुप्पटे कढाई करे हुए बने । चार घाघरा बनाये थे। दोनों ने शहर जाकर मेले में ले जाकर दुगने दामों में बेच दिये ,क्योंकि काम अच्छा था और शहर के लोग भी आए हुए थे। शहर के लोगों को कम दामों में कुर्तियां मिली और सुगंधा और ऋतु के लिए वह पैसा बहुत ज्यादा था। गाँव मे इसका आधा ही मिलता था।

इससे उनका हौसला और बढ़ गया ।कुछ दिन के बाद जो शहर की महिलाएं कुर्तियां ले गयी थी, वह वापस लौट कर आयी और उन्होंने ऋतु और सुगंधा के घर का पता लगाया और वह नारी संस्थान ग्रामोद्योग की महिलाएं थी ।उन्होंने ऋतु और सुगंधा से अपने लिए काम करने के लिए कहा। और बहुत रूपये देनेत् की बात कही और कुछ कपड़े देखे गए और उन्हें तैयार करने को बोला ऋतु और सुगंधा ने दुगनी मेहनत के साथ वह कम समय में पूरा किया और वह काम उन लोगों को बहुत पसंद आया ।उससे उन दोनों की बहुत बड़ी आमदनी हुई और धीरे-धीरे वह शहर शहर भी प्रदर्शनी लगाने लगी। प्रदर्शनी में शहर के लोग आकर उनका काम बहुत पसंद किया और धीरे-धीरे उनके घर के हालात सुधर गए ऋतु और सुगंधा ने दोनों ने मिलकर एक और एक ग्यारह होते हैं यह साबित कर दिया, एक से दो भले। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama