दो मित्र
दो मित्र
एक गांव में दो मित्र रहते थे। दोनों में बड़ी गहरी मित्रता थी। एक बार व्यापार के सिलसिले में वे दोनों शहर को गए। रास्ते में उन्हें एक बड़ा घना और भयानक जंगल मिला। जंगल में किसी अनहोनी की आशंका को भापते हुए उन्होंने मुसीबत के वक्त एक-दूसरे का साथ देने तथा मदद करने का वचन दिया और आगे बढ़ चले।
लंबी दूरी होने के कारण चलते – चलते वे काफी थक गए थे। और धुप भी काफी तेज थी। अत: दोनों ने एक वृक्ष की छाव में कुछ देर विश्राम करना तय किया। हुआ ये कि जैसे ही वे विश्राम करने के लिए वृक्ष के नीचे लेटे उनमें से एक मित्र को गहरी आँख लग गई लेकिन दूसरा मित्र अभी भी जगा था। और तभी उसे सामने से एक रीछ आता हुआ नज़र आया और वह डर के मारे पेड़ पर चढ़ गया।
मित्र के वृक्ष पर चढ़ने की आवाज सुनकर दूसरे मित्र की भी नींद खुल गई पर जब तक वह कुछ कर पाता रीछ उसके बहुत नजदीक आ चुका था। तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह मृत व्यक्ति की भांति साँसे रोकर कर जमीन पर लेटा रहा क्योंकि उसने ऐसा सुन रखा था कि रीछ मृत व्यक्ति को कभी नहीं खाता। रीछ आया और उसके शरीर को सूंघा. लेकिन शरीर में कोई हरकत होता न देख वह वह से चला गया।
रीछ के जाने के बाद दूसरा मित्र वृक्ष से नीचे उतरा और बोला, “यार रीछ ने तुम्हारे कान में क्या कहा?” पहले मित्र ने कहा, “भाई! क्या बताऊँ! रीछ ने कहा, ऐसे मित्रों से हमेशा दूर रहो जो स्वार्थी हों और समय आने पर मित्रों की सहायता न करें।” यह सुनकर दूसरा मित्र बहुत लज्जित हुआ। और उसने अपने मित्र से क्षमा मांगते हुए ये वचन दिया कि आगे से दुबारा कभी ऐसा नहीं करेगा। और तो और अब वह मुसीबत में पड़े हर इंसान की मदद करने से पीछे नहीं हटेगा।