सच्चा उपदेश
सच्चा उपदेश
एक बार एक साधु भिक्षा मांगते हुए एक घर के सामने पहुंचे। घर से बाहर एक महिला आई। उसने साधु की झोली में भिक्षा डाली और बोली कि महात्मा जी, कोई उपदेश दीजिये। साधु में कहा कि आज नहीं, कल दूंगा।
अगले दिन साधु फिर से उस महिला के घर पहुंचे और भिक्षा मांगी। उस दिन महिला ने खीर बनाई थी। वह खीर का कटोरा लेकर बाहर आई।
साधु ने कमंडल आगे कर दिया। जब महिला खीर देने लगी तो उसने देखा कि कमंडल में कूड़ा भरा हुआ था। यह देखकर वह रुक गयी और साधु ने बोली कि महात्मा जी, आपका कमंडल तो गन्दा है और इसमें कूड़ा भरा हुआ हैं।
लाईये मुझे यह कमंडल दीजिए, मैं अभी इसे साफ़ करके लाती हूँ, फिर इसमें खीर डालूंगी। इस पर साधु बोले कि मेरा भी यही उपदेश हैमन में जब चिंताओं का कूड़ा और बुरे संस्कारों का कचरा भरा है, तब तक उपदेशामृत पान करना है तो सबसे पहले अपने मन को शुद्ध करना चाहिए, कुसंस्कारों का त्याग करना चाहिए, तभी सच्चे सुख और आनंद की प्राप्ति होगी।
