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Dinesh Divakar

Drama

3  

Dinesh Divakar

Drama

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 5

दिव्य दृष्टि- एक रहस्य 5

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इस कहानी के पिछले चार भाग प्रकाशित हो चुका है इस कहानी को समझने के लिए उन चारों भाग को पढ़े


अब तक.....


प्रेम इंटरव्यू के लिए जाता है जाहा उसकी मुलाकात दिव्या से हुई फिर एक दिन अचानक दिव्या ने प्रेम को शादी करने के लिए मंदिर में बुलाया जहां शादी के समय एक और दिव्या आ जाती है ।


अब आगे.....


दिव्या अगर तुम हो तो ये कौन हैं- प्रेम हैरानी से पूछा


वो मेरी बहन है दृष्टि, हम दोनों जुड़वां बहनें हैं दृव्या और दृष्टि - दिव्या लगड़ाते हुए प्रेम के पास आकर बोली


प्रेम- एक मिनट अगर ये दृष्टि है तो ये मुझसे शादी करना क्यो चाहती है ?


दिव्या- याद है उस दिन जब मेरा फोन आता था जिसे तुमने मेरा ब्वायफ्रेड समझा था दरअसल वो दृष्टि थी, दृष्टि मानसिक रूप से थोड़ी कमजोर है इसलिए उसे हम घर में ही रखते थे और वहीं उसका इलाज करवाते थे


हम दोनों के जुड़वां होने के कारण हम दोनों एक दूसरे के संवेदनाओं को महसूस कर सकते हैं इसलिए मैं उससे कुछ नहीं छिपाती थी यहां तक कि मैंने तुम्हारे बारे में भी कुछ नहीं छिपाया।


प्रेम- और जो हम चैट करते थे वो तुम्हीं थी या...


एक मिनट एक मिनट कौन सा चैट मैंने तो तुम्हें कभी चैट नहीं किया- दिव्या बीच में बोल पड़ी


तब दृष्टि मुस्कुराते हुए बोली- वो मैं थी जो तुमसे चैट करती थी मेरे सपनों के राजकुमार


प्रेम- लेकिन क्यो !


दृष्टि- क्योंकि मैं तुमसे प्यार करती हूं जब दिव्या ने तुम्हारे बारे में बताया तो मैंने तुम्हें फेसबुक पर देखा तुम्हें देखते ही मुझे तुमसे प्यार हो गया और चैट के जरिए मैं तुम्हें जानने लगी।


प्रेम- लेकिन मैं दिव्या से प्यार करता हूं तुमसे नहीं।


दृष्टि- नहीं तुम सिर्फ मेरे हो


प्रेम- और दिव्या तुम्हें ये चोट कैसी लगी


दिव्या- आज जब मैं दृष्टि के कमरे में गई तो वह दुल्हन की गेटम में भी लेकिन मुझे देख कर चौंक गई जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो।


मैंने पूछा- ये सब क्या है दृष्टि तुम और दुल्हन के लिबास में?


तब दृष्टि ने बहाना बनाते हुए बोली- अरे कुछ नहीं, आज नाटक में मुझे दुल्हन का रोल मिला है इसलिए, अच्छा मैं वाशरूम से आती हूं।


लेकिन मुझे उसके बातों पर यकीन नहीं हुआ और जब मैंने उसका मोबाइल चेक किया तो उसने तुम्हें शादी करने के लिए मंदिर में बुलाया है।


तभी दृष्टि बाहर आ गई , मैंने उसे समझाया- देखो दृष्टि प्रेम मुझसे प्यार करता है तुमसे नहीं, हम दोनों के जुड़वां होने के कारण वह तुम्हें दिव्या समझ रहा है।


दृष्टि- तो समझने दो मैं दिव्या बनकर ही जी लूंगी


ऐसा कहकर वह गमले से मेरे सिर पर वार किया और मैं बेहोश हो गई और दृष्टि हंसते हुए वहां से निकल गई


प्रेम- अब समझ में आया जब तुम मुझसे बात करती थी तो मुझे बहुत अच्छा लगता लेकिन जब चैट करता हो कोई और है लगता।


दृष्टि- चाहे जो भी हो मैं तुम्हें पाकर ही रहूंगी


ऐसा कहकर वह अपने साथ लाये बंदूक से दिव्या के सिने पर वार किया, दिव्या जमीन पर गिर पड़ी, प्रेम दौड़ते हुए उसके पास गया


प्रेम- दिव्या दिव्या ये क्या हो गया, नहीं तुम मुझे छोडकर नहीं जा सकती


दिव्या- मैं तुम्हें छोड़ कर कहा जाउंगी, मैं तो हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी, तुम मुझे आवाज देना 


फिर धीरे धीरे दिव्या की सांसें थम गई, प्रेम उसके पास बैठ कर रोता रहा और दृष्टि खड़े मुस्कुरा रही थी।


तभी प्रेम गुस्से से बोला- पागल हो गई हो अपने ही बहन को मार डाला।


दृष्टि- तुम्हें पाने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं, अब हम आराम से शादी कर सकते हैं


प्रेम- मै और तुमसे शादी करूंगा कभी नहीं मैं सिर्फ दिव्या से प्यार करता हूं।


प्रेम रोते हुए वहां से जाने लगा तभी दृष्टि पीछे से बोली- रूक जाओ प्रेम नहीं तो मैं भी अपनी जान दे दूंगी


प्रेम- मर जाओ जिसने अपनी बहन को मार डाला उसे जीना का कोई हक नहीं।


दृष्टि - ठीक है प्रेम अगर मैं तुम्हारी नहीं हो सकती तो मैं जी कर क्या करूंगी लेकिन याद रखना प्रेम मैं वापस आउंगी।


फिर एक चीख सुनाई दिया प्रेम पिछे मुड़कर देखा, दृष्टि दौड़कर खाई में जा समाई


प्रेम वहीं बैठ कर रोता रहा उसे लग रहा था इन सब का जिम्मेदार वह खुद है , अगर वो उनकी जिंदगी में नहीं आता तो ऐसा नहीं होता।


present-day


अब कुछ याद आया मैं कौन हूं मैंने कहा था ना मैं वापस आउंगी लो मैं आ गई- दृष्टि कठोर स्वर में बोली


प्रेम- मैंने कहा था ना कि मैं तुम्हारा नहीं हो सकता फिर क्यो मेरा पीछा नहीं छोड़ रही हो।


दृष्टि- मैंने इतने दिनों में जो दर्द सहा है तुम्हारे प्यार पाने के लिए, लेकिन पा नहीं सकी वैसे ही मै भी चाहती हे की तुम भी प्यार में तड़पो अपने प्यार के लिए भिख मांगों तब मेरा प्रतिशोध पुरा होगा, इसलिए मैं पहले तुम्हें दर्द देना चाहतीं थीं लेकिन वह हमेशा तुम्हें बचा लेती थी लेकिन जब तुम इस लड़की से प्यार करने लगे तो मुझे मेरा बदला लेने का मौका मिल गया, अब मैं इसे इतना तडपाऊगी कि इसके साथ तुम्हारी भी रूह कांप जाए, तब मुझे सुकुन मिलेगा।


प्रेम- नहीं छोड़ दो जैसिका को


प्रेम जैसिका के पास गया लेकिन जैसिका के अंदर घुसी दृष्टि ने उसे जोर से मारा जिससे प्रेम दीवार पर जा टकराया और उसके सिर से खून निकलने लगा और इधर दृष्टि ने जैसिका को भी दिवाल और जमीन पर पटक पटक कर अधमरा कर दिया फिर उसकी नजर एक धारदार चाकू पर पड़ी वह मुस्कुराते हुए उस चाकू को हाथ में ले लिया और फिर जैसिका को मारने के लिए चाकू को जोर से उपर उठाया और...........


   


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