Gulafshan Neyaz

Tragedy Inspirational

5.0  

Gulafshan Neyaz

Tragedy Inspirational

दिल का फैसला

दिल का फैसला

2 mins
289


दिल और दिमाग़ मैं लगातार बहस हो रही थी। दोनों एक दूसरे को जितने नहीं दे रहा था। दिल कुछ और दिमाग़ कुछ और। दोनों एक दूसरे को किसी भी कीमत पर जितना देना चाहते थे।


रीमा ने जल्दी से आँख बंद कर खुद को बेड पर निढाल कर दिया, तभी कमरे की खिड़कियाँ पट पट की आवाज़ करने लगी और तेज़ हवाओं के साथ पूरा रूम गरदे से भर गया। वो जल्दी से उठ के खिड़की की तरफ बढ़ी बाहर तेज़ बिजली कड़क रही थी। लग रहा था की बहुत तेज़ आंधी आने वाली हो। रीमा ने दोनों हाथों से जल्दी से खिड़की बंद की। और धड़ाम से अपने सोफे पर आकर बैठे गई। पता नहीं कल क्या होगा उसने अपनी ख्यालों को झटकने की कोशिश की। रीमा सो गई क्या बिटिया, नहीं माई, बिटिया मत सोचो इतना। कैसे ना सोचो माँ, बिटिया अभी सरपंच साहेब आए थे कह रहे थे की गाँव का मामला गाँव में ही सलट ले, बात कोर्ट कचहरी गई तो बदनामी होगी जवान बेटी है बदनामी के बाद कौन ब्याह करेगा। हम पंचायत में कड़ी सजा देंगे और मुआवज़ा दिलवायेंगे उन पैसों से अपने बिटिया की शादी किसी अच्छे घर मैं कर देना। वो लोग कोई भी कीमत देने को तैयार हैं। कोर्ट कचहरी मैं चाची ऐसा ऐसा सवाल पूछेंगे की आप को खुद ही अफ़सोस होगा गाँव की बदनामी होगी सो अलग। माँ खामोश हो गई। तुम क्या चाहती हो माई, बिटिया जिसमे तुम को खुशी मिले माँ उन्होंने मेरे जिस्म का नहीं मेरे रूह को अपनी गन्दी निगाहों से अपनी हाथों से छुआ हैं कैसे माफ़ कर दूँ। पैसा लेने पर मुझ में और वैश्या मैं क्या अंतर बात यहाँ गाँव के सम्मान की नहीं एक लड़की के स्वाभिमान की हैं जिनको उन दरिंदों ने नोचा है। इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ता की दुनिया और समाज मेरे बारे मैं क्या सोचती है।

कल उन दरिंदों को मैं जेल पहुंचा कर रहूँगी। जितना उन्होंने मेरी इज़्ज़त बंद कमरे मैं उछाली उतना मैं भरे कोर्ट में। माँ चुप चाप कमरे से चली गई उसने फैसला में दिल को जितने दिया क्योंकि दिल का फैसला बुरा नहीं होता है और दिल कह रहा था मत छोड़ो उन दरिंदों को जिसने खुद शर्मिंदा होने वाला काम कर तुम्हें शर्मिंदा करने की कोशिश की।  


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy