Sheikh Shahzad Usmani

Fantasy

4.5  

Sheikh Shahzad Usmani

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दि वर्ल्ड ऑफ़ रंजन वागले -भाग 2

दि वर्ल्ड ऑफ़ रंजन वागले -भाग 2

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रंजन वागले अजीबोगरीब जिन्नात की दुनिया में अपने ज्ञान-विज्ञान के अनुसार गहन अवलोकन करने लगा था इस ग्रह के बारे में। एक बार तो उसे वहम हुआ कि जिनको वह विशेष क़िस्म के जिन्न समझ रहा है, वे उन एलियंस में से तो नहीं हैं जिनके बारे में इन्टरनेट पर और फ़िल्मों में उसने देखा और पढ़ा था। वह इस बात से भी हैरान था कि इस ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण और चुम्बकत्व आदि किस स्तर का है और जीवन प्रणाली और वनस्पति-जीव चक्र आख़िर कैसा है। यह तो तय था कि जिन्न रूपी एलियंस यहाँ हैं, तो जीवन भी यहाँ होगा ही। लेकिन ऑक्सीजन और अन्य गैसों का सिलसिला कैसे और कितना है... यह भी परेशान कर देने वाला मुद्दा था। 

"ज़िंदा हूँ यहाँ! मतलब प्राकृतिक रूप से यहाँ भी सब कुछ व्यवस्थित है!" रंजन ने सोचा। लेकिन तभी अचानक उसे अपने उस तावीज़ का ख़्याल आया। उसे चूमते हुए वह बुदबुदाया, "तेरी बदौलत यहाँ पर हूँ। अब तू ही हर क़दम पर मेरा साथ देगा न!"

जिन्न लिलीपुट अपनी किसी विशेष तकनीक से दूर से ही रंजन वागले की गतिविधियों और सोच पर कड़ी निगरानी रखे हुए था। जब रंजन ने तावीज़ एक पत्थर के टुकड़े पर रगड़ा, तो लिलीपुट उसके सामने प्रकट हो कर बोला, "चूज़ एनी वन फ्रॉम योर फेवरिट लैंग्विज़ टू कम्युनिकेट अनटिल यू लर्न अवर कोड्स।" 

"लेकिन तुम तो हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में बात कर रहे हो, तो मुझे यहां के कोड्स सीखने की क्या ज़रूरत है लिलीपुट!" रंजन बीच में ही बोल पड़ा।

"हम तुम्हारे ग्रह के सभी ज्ञान-विज्ञान से अपडेटिड हैं। लेकिन यह तुम्हारी धरती और तुम्हारा देश नहीं है, जो वहाँ के लोग फैशन मुताबिक़ भाषाओं और चाल-चलन को अपनाते रहते हैं  अपने विशिष्ट संस्कार और संस्कृति की उपेक्षा करते हुए! यहाँ के माहौल में तुम्हें ढलना ही होगा! इसके लिए तुम्हें पर्याप्त समय दिया जायेगा। आख़िर 'आप' हमारे विशिष्ट अतिथि हैं।" अपने सुरीले स्वर में लिलीपुट ने कहा और रंजन के शरीर के आसपास यूँ मंडराने लगा जैसे कि कोई उपग्रह या सेटेलाइट चक्कर लगा रही हो। इस चक्कर से रंजन के दिमाग़ पर भी असर हो रहा था। उसने बेचैन होकर लड़खड़ाते स्वर में पूछा, "मिस्टर लिलीपुट, यहाँ में केवल तुम्हें जानता हूँ, बस! तुम्हें मेरे स्वास्थ्य और लक्ष्य का ध्यान रखना होगा! ... पहले तो यह बताओ कि जब तुम मेरे नज़दीक़ मंडराते हो, तो मुझे बेचैनी सी क्यों होने लगती है? मेरे हाथ-पैर सुन्न से क्यों हो रहे हैं?"

"डोन्ट वरी मिस्टर रंजन, ट्राई टू बी हैप्पी! तुमने अपने ग्रह में सिखाई-पढ़ाई जाने वाली 'सीमित साइंस' में यह तो सीखा-पढ़ा ही होगा कि अनुकूलन और एवोल्यूशन वग़ैरह कैसे होता है?"

"हाँ, अच्छी तरह जानता हूँ! लेकिन तुम्हारे कहने का मतलब क्या है लिलीपुट!"

"यही कि थोड़ा समय ज़रूर लगेगा... लेकिन तुम इस ग्रह के साथ अनुकूलन करने लगोगे। उस प्रक्रिया के दौरान तुम्हारा यह 'ढोंगी नखरीला' शरीर हमारी तरह होने लगेगा। ... मतलब 'अपडेटिड' होता जायेगा तुम्हारा 'फ़िजिकल और मेन्टल सिस्टम'। इस बीच बेचैनी और पीड़ाओं से तुम्हें दो-चार होना ही होगा... नेचुरली!"

यह सुनकर रंजन वागले की घबराहट बढ़ने लगी। उसने अपने शरीर को हरक़त देकर उसकी वर्तमान स्थिति का जायज़ा लेने की कोशिश की। पता नहीं किस तकनीक से लिलीपुट और उसके स्टाफ़ को रंजन की सभी क्रिया-प्रतिक्रियाएं गोपनीय प्रक्रिया से सम्प्रेषित हो रहीं थीं।

"दि सूनर, दि बेटर! ... धीरज धरो! जितनी ज़ल्दी तुम्हारा अनुकूलन और अपडेशन होगा, उतनी ही ज़ल्दी तुम्हें यह ग्रह 'स्वर्ग से सुन्दर' लगने लगेगा और तुम्हारे 'लक्ष्य' सधने लगेंगे। ... वैसे तुम्हें भूख-प्यास और शौच जैसी 'बकवास' प्रणाली से तो मुक्ति अब तक मिल ही गई होगी!"  लिलीपुट जिन्न ने रंजन के सिर के चक्कर लगाते हुए कहा, "अच्छा, अब अपनी पहली इच्छा बताओ! क्या चाहते हो अभी!"

कुछ पल चुप रहने के बाद रंजन वागले ने लिलीपुट जैसी ही सुरीली आवाज़ बनाते हुए विनम्रतापूर्वक उससे कहा, "क्या एलियन 'जादू' और 'पीके' इसी ग्रह को बिलॉन्ग करते हैं?"

"कैसे जानते हो तुम उन्हें?" लिलीपुट ने एकदम चौंकते हुए पूछा।

"धरती पर मैंने ऋतिक रोशन की फ़िल्म 'कोई मिल गया' में एलियन 'जादू' को देखा ओर जाना था और आमिर ख़ान की फ़िल्म 'पीके' में पी.के. को!"

"अच्छा.. अच्छा.. तुम लोग नेताओं और फ़िल्मों से ही तो सब कुछ सीखते हो। वैसे वे दोनों फ़िल्में हमारे एक इंटरप्लेनेट्स मिशन के एंटरटेनमेंट प्रोजेक्ट्स के जूनियर प्रोडक्शन्स थे। थैंक्स टू देअर प्रोड्यूसर्स, डायरेक्टर्स, एक्टर्स एण्ड ऑडियंस! हम क़ामयाब रहे!" लिलीपुट ने अब वर्टिकल मूवमेंट्स करते हुए रंजन से कहा, "वैसे मिस्टर रंजन आपने 'जादू' और 'पीके' को याद क्यों किया अभी यहाँ?"

"जब दूसरे ग्रहों की सैर करा ही रहे हो, तो उन दोनों से मिलना ज़रूर चाहूँगा। मिलवाओगे न!" इस बार भी रंजन ने सुरीले स्वर में कहा।

"... तो... उसके लिए तुम्हें प्रतीक्षा करनी होगी। अभी केवल यह जान लो कि 'जादू' इसी ग्रह की मशहूर हस्ती है और 'पीके' एक दूसरे ग्रह से महत्वपूर्ण इन्टर्पलेनेट-डील्स के तहत यहाँ केज़ुअल विज़िट करता है। तुम्हारे अनुकूलन में यदि सही प्रगति रही, तो तुम केवल उन दोनों से ही नहीं... उन जैसी सैंकड़ों हस्तियों से मिल सकोगे, जस्ट हेव पेशंस!" यह कहते हुए जिन्न लिलीपुट ने जब रंजन के शरीर को छुआ, तो उसे अजीब सा सुख और ठण्डक महसूस हुई।

अपने सुन्न पड़े हाथ-पैरों की झुनझुनी दूर करने की कोशिश करते हुए रंजन वागले ने लिलीपुट से कहा, "तुम बार-बार अनुकूलन ओर अपडेशन की बात क्यों कर रहे हो? साफ़-साफ़ कहो न!"

"हाँ... हाँ... क्यों नहीं! ... मतलब यह कि तुम हमारे जैसे होते जाओगे। तुम्हारे हाथ और पैर सिकुड़ कर, सूख कर सूखे पत्तों की तरह झर जायेंगे... तुम हल्के-फुल्के सफ़ेद से होने लगोगे।" लिलीपुट ने इतना ही कहा था कि रंजन वागले की आँखों से पहली बार आँसू छलक पड़े।

तभी लिलीपुट चौंकते हुए बोला, "तुम्हारा 'जादू' इसी तरफ़ आ रहा है। लगता है कि सूचना प्रणाली के सिग्नल तीव्र हो उठे हैं और तुम्हारे यहाँ आ पहुँचने की सूचना 'जादू' तक डिलीवर हो चुकी है।

यह सुनकर रंजन को तनिक राहत सी मिली। 

"कोई मिल गया!" रंजन ख़ुशी से बोल पड़ा।

"लेकिन तुम अपने 'जादू' से यहाँ नहीं मिल पाओगे, समझे न! ... तुम्हें हमारे कम्युनिटी हॉल की भव्य असेम्बली में दर्शक दीर्घा से ही उसे देखना होगा और वहीं से सवाल-जवाब होंगे। उम्मीद है कम से कम इस ग्रह की गाइडलाइंस को तो तुम अवश्य फॉलो करते रहोगे, ओके!" यह कहकर अचानक लिलीपुट वहाँ से चला गया।

कुछ घण्टों बाद रंजन वागले ने स्वयं को एक असेम्बली हॉल की दर्शक दीर्घा में पाया। वह स्वयं तो एक विचित्र पिरामिड आकार की चट्टान पर विराजमान था। बाक़ी सब तरफ़ सफ़ेद भूत से नज़र आ रहे थे। कुछ ज़मीन पर, तो कुछ हवा में।

तभी वहाँ मधुर संगीत सा सुनाई दिया। एक पंक्ति में ढेर सारे एलियंस आते हुए दिखाई दिये। रंजन वागले की आँखें मानो बाहर निकलने ही वाली थीं आश्चर्य से। दरअसल वे 'जादू' को पहचानने की कोशिश कर रहीं थीं।

लिलीपुट ने रंजन के नज़दीक़ आकर कहा, "अब जो भाषण देता दिखेगा, वही तुम्हारा 'जादू' है।"

कुछ मिनटों पश्चात भाषण शुरू हुआ। अब जादू कह रहा था, "हमें इस बात पर बड़ी ख़ुशी है कि एक 'वेल क़्वालिफ़ाइड धरतीवासी अधेड़' स्वेच्छा से हमारे ग्रह में माइग्रेट कर चुका है। हमें अपने जिन्न स्टाफ़ पर गर्व है। .......



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