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Harish Bhatt

Inspirational

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Harish Bhatt

Inspirational

धुंआ

धुंआ

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मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया,

हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया.

हिंदी फिल्म हम दोनों में देवानंद पर फिल्माएं इस गीत के बोल भले ही किसी को याद न हो, पर उनकी सिगरेट के धुएं में हर फ्रिक को उड़ाने की बात पर आज की पीढ़ी जरूर अमल कर रही है. अपनी हैसियत के अनुसार धुएं में अपनी फिक्र को उड़ाने वालों को मालूम ही नहीं चलता कि खुद उन पर और उनके परिवार कब दुखों का पहाड टूट जाता है. मजेदार बात यह है बेहोशी के आलम में रहना आज स्टेटस सिंबल बनता जा रहा है. जिसकी जितनी महंगी सिगरेट, वह उतना ही अमीर व इज्जतदार. जब एक सिगरेट के धुएं में अपनी सभी चिंताएं दूर होती हो, तो फिर फेफड़ों के जलने का दर्द भी महसूस नहीं होता. फिर चाहे इस धुएं में जान जा रही हो, सांस हांफ रही हो. लहू के रंग की रंगत उड़ रही हो.परिवारों की खुशियां उजड़ रही हो. धुएं की धार में धूप धूमिल हो रही हो ये पीढ़ी खुद यूं ही अपनी कब्र खोद रही हो. इस धुएं में जान जा रही है. हर कोई जानता है, समझता है, कहता है कि सिगरेट पीना जिंदगी के लिए हानिकारक है. यहां तक सिगरेट के पैकेट पर वैधानिक चेतावनी होती है कि सिगरेट पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. लेकिन फिर भी सब पीते है, जीते है और अपनी फिक्र को धुएं में उड़ा देते है. इससे ज्यादा क्या कहा जा सकता है सिगरेट के दुष्प्रभावों पर होने वाले सेमीनारों में शामिल होने वाले डॉक्टर्स या एक्सपर्ट्स खुद अपने तनाव को इसी सिगरेट के धुएं में उड़ा कर लेक्चर देते है. अब यह दुविधा वाली बात ही तो हुई कि जब सिगरेट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, तो फिर सरकार इसके निर्माण और बिक्री पर ही रोक क्यों नहीं लगा देती, जबकि वह इसके उलट इस पर टैक्स लगाकर अपनी कमाई में बढ़ोत्तरी करने के लिए प्रयास में लगी रहती है. दूसरे अपनी आराम तलबी में खलल न पड़े, अपनी फिक्र को दूर करने के लिए कोई मेहनत न करनी पड़े, तो सिगरेट ही एक सहारा हो जाता है. क्योंकि इसके धुएं में अपनी हर फिक्र दूर जो हो जाती है. एक बहुत छोटी सी बात, जरा भी तनावपूर्ण माहौल बना नहीं, कि एक वाक्‍य सुनने को मिल ही जाता है, चलो यार जरा सिगरेट पीकर आ जाए.


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