धनु कोष्ठक - २१
धनु कोष्ठक - २१
लेखक: सिर्गेइ नोसव
अनुवाद: आ. चारुमति रामदास
“मुख्य बात तक पहुँच ही नहीं पायेंगे.”
माइक्रोमैजिशियन अदिनोच्नी, बड़ी बो-टाई लगाए, और वैसे भी सम्माननीय व्यक्तित्व वाला, माइक्रोफोन पर कब्ज़ा कर लेता है.
“मैं बहुमत के विचारों से अंशत: और पूर्णत: सहमत हूँ, मगर, हमें ये पूरी तरह व्यक्तिगत किस्म की समस्याएँ क्यों परेशान कर रही हैं? ज़रा देखिए, कि देश में क्या हो रहा है. और प्लेनेट पर? और हममें से हरेक के भीतर? आपने कल मुझे अपनी बात पूरी नहीं करने दी, इसलिए मैं आज कह रहा हूँ. आपको प्रचलित वैधानिकता की बारीकियों की फ़िक्र है, जबकि मानवता अपनी तरह से ज़िन्दगी गुज़ार रही है! ऐसा कैसे हो सकता है? अगर समस्या की तरफ़ व्यवस्था की ऊँचाई से देखा जाए, तो हम पाते हैं कि हमारी सिस्टम को, चाहे वह कितनी ही प्रभावशाली क्यों न हो, एक चीज़ मारे डाल रही हैं: काग़ज़ात का अनियंत्रित प्रवाह. और निरंतरता की ख़ातिर हमें इससे लड़ना होगा!”
“ठीक है,” अध्यक्ष सहमति दर्शाता है, मगर, बोली गई हर चीज़ से नहीं. “काग़ज़ात का प्रवाह, हमारे कार्यक्षेत्र में नहीं है. बैठ जाईये.”
“मैं बैठ जाता हूँ! “ माइक्रोमैजिशियन अदिनोच्नी कहता है और अपनी जगह पर बैठ जाता है. “मैं बैठ गया. मगर फिर भी हमारा! हमारा कार्यक्षेत्र! हमारा!”
“दोस्तों, चार्टर के ड्राफ्ट की ओर बढ़ते हैं,” अध्यक्ष कामकाजी भाव से कागज़ों को उलट-पुलट करते हुए कहता है. “इसका मसौदा आपके हाथों में है, आप सब उससे परिचित हैं. हमारी गिल्ड के चार्टर को मंज़ूर करने का प्रस्ताव रखता हूँ. कौन पक्ष में है? कौन विरोध में? कौन अनुपस्थित है? एकमत से.”
कुछ पल के लिए हॉल में ख़ामोशी छाई रही, फिर इक्का-दुक्का तालियाँ सुनाई दीं, बस, इससे ज़्यादा कुछ नहीं.
अचानक कोई चिल्लाता है:
“ये जादू की ट्रिक है!”
“कोई ट्रिक-विक नहीं है!” अध्यक्ष गरिमापूर्वक कहता है, उसे ख़ुद भी यक़ीन नहीं था, कि ये इतनी अच्छी तरह से हो जाएगा.
“ये ट्रिक है! कृपया इसे मिनट्स में नोट करें!”
अध्यक्ष अपनी आस्तीनें दिखाते हुए हाथ ऊपर उठा देता है. उसके लिए तालियाँ बजती हैं.
“और अब - बोर्ड के चुनाव!” अध्यक्ष घोषणा करता है . चार्टर के मुताबिक़ बोर्ड में सात सदस्य होंगे. कृपया गुप्त रेटिंग की वोटिंग के लिए नामांकन प्रस्तुत करें.”
मीटिंग में उत्तेजना फ़ैल गई. कुछ लोग शोर मचा रहे हैं, कुछ नामांकन दे रहे हैं, फिर वे भी शोर बन्द किए बिना नामांकन प्रस्तुत करने लगते हैं. गुप्त रेटिंग की वोटिंग के लिए नामांकन प्रस्तुत करने की प्रक्रिया को रोकना अब असंभव है. कॉन्फ़्रेन्स द्वारा एक के बाद एक बारह नामांकन प्रस्तुत किए गए, और तेरहवें नामांकन के लिए ‘तालाब’ कपितोनव की उम्मीदवारी का प्रस्ताव पेश करता है.
“व्हाट द हेल!” कपितोनव मुड़ता है, मगर ‘तालाब’ हाथ के इशारे से बताता है, कि सब ठीक है, गरम होने की ज़रूरत नहीं है.”
“सिर्फ अपना नाम वापस मत लो,” बाईं तरफ़ का पड़ोसी कपितोनव के कान में फुसफुसाता है. “ ‘तालाब’ जानता है, कि वह क्या कर रहा है.”
“अरे, मुझे बोर्ड में काम नहीं करना है!”
“तुमको कोई चुनने वाला नहीं है, फ़िक्र न करो. ये होशियारी से चली गई चाल है.”
अध्यक्ष उम्मीदवारों के नामों की सूची पढ़ने लगता है, मगर ज़ोर की चीख़ के कारण पूरी पढ़े बिना ही रुक जाता है:
“मेरी घड़ी! मेरी घड़ी खो गई!”
वो बदनसीब चाहे कोई भी क्यों न हो, मगर पहल ख़याल सभीको उसके बारे में नहीं, बल्कि समय के बारे में आता है: कितने बजे हैं? डेलिगेट्स, चुपचाप अपने बाएँ हाथ की कलाई की ओर देखने लगे.
11.29
“मेरी घड़ी कहाँ है?”
“मेरी भी!”
कॉन्फ़्रेन्स का अध्यक्ष मुट्ठियों से मेज़ का सहारा लेकर धीरे से उठता है, अपने जिस्म को आगे की ओर झुकाकर कहता है:
“ये क्या ट्रिक्स हैं, महाशयों? जब मैंने कल त्यौहार जैसे वातावरण को बनाए रखने की गुज़ारिश की थी, तो मेरा मतलब बिल्कुल दूसरा था. वो, जो आप अभी कर रहे हैं, ये हमारे कौशल को कलंकित करना है!”...
“ये भड़का रहा है!” लोग अपनी अपनी जगह से चिल्लाते हैं.
“कॉन्फ्रेन्स को बर्बाद नहीं करने देंगे!”
कपितोनव हाथ-घड़ी नहीं पहनता, उसके लिए मोबाइल फोन ही काफ़ी है, मगर क़िस्मत से मोबाइल अपनी जगह पर ही था.
“जिसकी घड़ी खो गई है, वो मेहेरबानी से अपना हाथ ऊपर उठाए,” अध्यक्ष कॉन्फ्रेन्स से मुख़ातिब होता है.
“कृपया ध्यान दें,” माइक्रोमैजिशियन झ्दानव कहता है, “सिर्फ उन्हीं लोगों का नुक्सान हुआ है, जिन्हें उम्मीदवार बनाया गया था! – गिल्ड के बोर्ड में!... मुझे झूठा साबित कीजिए! मगर, यदि मैं सही हूँ, तो यह बड़े शर्म की बात है!”
“ये रहीं घड़ियाँ!” वस्तुओं को ढूँढ़ने वाला मिखाइल श्राम चिल्लाता है, और सब उस तरफ़ देखते हैं, जिधर श्राम इशारा कर रहा है: खिड़की की सिल पर पाँच लिटर्स वाला “पवित्र झरना” पानी का कैन रखा है, और उसकी तली में – घड़ियाँ.
उनके संभावित मालिक फ़ौरन खिड़की की ओर लपकते हैं.
“ख़ैर, शाबाश!” हॉल से एक आवाज़.
“शाबाश, शाबाश!”
“कोई ‘शाबाश-वाबाश’ नहीं! शेम!”
“कोई बड़ी शिद्दत से,” दुखी होकर अध्यक्ष कहता है, “हमारी मीटिंग को बर्बाद करना चाहता है. दोस्तों, मैं आपसे शांत रहने और व्यवस्था बनाए रखने की अपील करता हूँ! अपनी एकता बनाए रखें! वास्तविकता के एहसास को भूलें नहीं!”
“पवित्र झरने” की तली से निकाली गईं घड़ियाँ फिर से अपने अपने मालिकों के पास पहुँच जाती हैं.
हॉल से सुनाई देता है “सैबटाझ”.
कपितोनव के कान में जैसे कोई फुसफुसाकर कहता है: ब्रीफ़केस खोलो.
वह खोलता है.
उसमें कैबेज के कटलेट्स हैं. पॉलिथीन के पारदर्शक पैकेट में.
“ये मेरे नहीं हैं! किसी ने बदल दिया है!” कपितोनव उछल पड़ा.
“आपके पास क्या है? आपके ब्रीफ़केस में क्या घुसेड़ दिया है?”
“कटलेट्स! कैबेज के!”
सब अपनी-अपनी ब्रीफ़केस खोलकर देखते हैं. मगर कोई भी परेशान नहीं होता, औरों की ब्रीफ़केसों में सब कुछ ठीक ठाक है.
“मेरी ब्रीफ़केस से एक बेहद महत्वपूर्ण चीज़ चुरा ली गई है,” कपितोनव पूरे हॉल में घोषणा करता है, “बेहद महत्वपूर्ण चीज़!”
“अगर महत्वपूर्ण चीज़ है तो उसे ढूँढ़ना चाहिए!” माइक्रो मैजिशियन मक्रानोगव (‘गीले-पैर’ – अनु.) घोषणा करता है.
“महाशय!” कालावन उठता है. “गिल्ड की कौंसिल के चुनावों के परिणामों से कोई पहले से ही अप्रसन्न है. उन चुनावों से जो अभी तक हुए ही नहीं हैं, मगर वे होंगे अवश्य!”
कुर्सियों के बीच वाले गलियारे में ख़रगोश उछल रहा था.
“माफ़ कीजिए, ये मेरा है!”
“कतोव्स्की, अपनी बेहूदगी बन्द करो!”
कतोव्स्की के हाथ में एक काली चपटी चीज़ दिखाई देती है, जले हुए पैनकेक जैसी.
“आर्थर, मेरे पास!” पैनकेक को फ़र्श पर रखकर कतोव्स्की चिल्लाता है: ख़रगोश मुड़ जाता है, और फ़ौरन उछलते हुए पीछे की ओर आने लगता है.
पलक झपकते ही पैनकेक की “ऊँचाई” का परिमाण बदलने लगता है और दर्शकों की आँखों के सामने (सब लोग कतोव्स्की की ओर देख रहे हैं) वह सिर पर पहनने वाली चीज़ में बदल जाता है, जिसे बोलचाल की भाषा में ‘सिलिण्डर’ कह सकते हैं.
कतोव्स्की ख़रगोश के सामने सिलिण्डर रखता है, और वह ज़्यादा सोचे बगैर, सिलिण्डर में ग़ायब हो जाता है.
“माफ़ी चाहता हूँ, माफ़ी चाहता हूँ, ऐसा करना नहीं चाहता था,” कतोव्स्की झुक-झुककर कहता है.
सिलिण्डर जादूगर के सिर पर दिखाई देता है, कुछ तालियाँ और हँसी सुनाई देती हैं. कुछ लोग उत्तेजित हैं:
“कतोव्स्की, अपनी सस्ती ट्रिक्स बन्द करो!”
“स्टाइल-बदलू!”
“अपना नंबर नहीं है!”
“मैं लॉबी में करना चाहता था,” कतोव्स्की सफ़ाई देता है. “मौक़ा चूक गया. बड़े दिल से माफ़ कर दीजिए.”
“इंटरवल होता है,” अध्यक्ष घोषणा करता है. “इस तरह काम नहीं चलेगा. बाद में निपट लेंगे. कॉफ़ी-ब्रेक.”
11.51
कॉफ़ी-ब्रेक. प्रवेश-हॉल.
कपितोनव ब्रीफ़केस लिए खड़ा है और कॉफ़ी नहीं पी रहा है. वह अप्रसन्नता से डेलिगेट्स की ओर देख रहा है, उसे हरेक में दुश्मन नज़र आ रहा है. इस बीच उसके साथ लोग सहानुभूति प्रकट करते हैं. कालावन ख़ुद उसके पास आकर सांत्वना देते हुए कहता है:
“आपको टार्गेट किया जा रहा है, क्योंकि हमने गिल्ड-कौंसिल में आपकी उम्मीदवारी पेश की थी. आप हौसला रखिए, हम इसे सुलझा लेंगे, यूँ ही नहीं छोड़ेंगे!”
“इसमें कुछ समय लग सकता है,” जादूगर झराप्योन्किन कहता है, “आप सिर्फ ये समझ लें : हर ट्रिक की कोई काउंटर-ट्रिक ज़रूर होती है.”
“मेरी उम्मीदवारी के पीछे क्या मक़सद है?” कपितोनव ठण्डी आवाज़ में ‘तालाब’ से पूछता है.
“”साइकोलोजिकल अटैक,” तालाब उसे जवाब देता है, “ छोटा-सा - हमारे-आपके विरोधियों पर. हमने बिल्कुल सही समय पर उनके खेल को गड्ड-मड्ड कर दिया. क्या आपने नहीं देखा कि जब मैं आपका नाम पेश कर रहा था, तो वे कितने परेशान हो रहे थे? आप किसी बात से परेशान हैं? वर्तमान परिस्थिति में आपके जीतने का कोई चान्स नहीं है, और आप ख़ुद भी तो बोर्ड में नहीं जाना चाहते हैं, मैं आपको ठीक समझ रहा हूँ? मगर इफ़ेक्ट...ज़बर्दस्त रहा, इफ़ेक्ट.”
मिखाइल श्राम, चीज़ों को ढूँढ़ने वाला जादूगर क़रीब आया:
“तब, हॉटेल में, आप मुझे सुनना नहीं चाहते थे, मगर ब्रीफ़केस तो खोलना चाहिए था...”
अब कपितोनव ब्रीफ़केस से दूर नहीं हटता है, उसे हाथ में पकड़े हुए है. ब्रीफ़केस – कम से कम एक सुबूत तो है. कपितोनव की शक भरी निगाहें चेहरों से फ़िसलती हैं, इस उम्मीद में कि किसी गुनहगार को ढूँढ़ लेंगी. पकड़ो-तो, कोशिश तो करो. नहीं पकड़ पाओगे.
कॉन्फ्रेन्स के डेलिगेट्स का मूड़ उखड़ा-उखड़ा सा है.
सामान्य तौर से, सीमा के भीतर रहकर ही बातें कर रहे हैं.
अधिकारियों से, मौसम से, पक्के दोस्त और साथी का मुखौटा लगाए इन्सानियत की चालाकियों से परेशान कोई अपने कप में चाय का पैकेट डाल रहा है, तो कोई इन्स्टेन्ट कॉफ़ी का एकाध चम्मच. प्यालों में बॉयलर से उबला हुआ पानी डाल रहे हैं.
प्लेटों से कोई रस्क, कोई वेफ़र्स, कोई क्रीम-जैम बिस्किट्स उठा रहा है.
कुछ लोग कपितोनव से उन नासपीटे कटलेट्स को दिखाने की विनती करते हैं, और जब पब्लिक का मूड देखकर वह तत्परता से ब्रीफ़केस में रखे हुए कटलेट्स दिखाता है, तो लोगों को याद आता है, कि ऐसे ही कटलेट्स तो बुफ़े की मेज़ पर थे, और कई लोगों की प्लेटों में से वे ग़ायब हो गए थे.
वराब्योव कहता है:
“हम आपके साथ एक ही मेज़ पर बैठे थे, और आपको, बेशक इस बारे में याद है...मैं मानता हूँ, कि आपको मेरी प्रतिष्ठा पर मन ही मन संदेह हो रहा है, और मैं ये घोषणा करना चाहता हूँ, कि मेरा न तो इस लफ़ड़े से कोई संबंध है, बल्कि, मैं ख़ुद भी, कटलेट्स से महरूम होकर, इस ट्रिक की निंदा करने के लिए तैयार हूँ.”
“और मैं मेज़ से पहले ही उठ गया था,” सीज़र ने याद दिलाया. “आपसे ईमानदारी से कहता हूँ, मैं अपना कटलेट खा चुका था, मगर इससे कुछ फ़र्क नहीं पडता. टेक्निकल पॉइंट ऑफ़ व्यू से, ये ज़रा भी मुश्किल नहीं है – एक साथ, मतलब, एक ही समय पर, पब्लिक से कोई छोटी-मोटी चीज़ छीन लेना. किन्हीं दूसरी परिस्थितियों में मैं भी ये कर सकता था, मगर मैं कभी भी सारे के सारे कटलेट्स आपके मत्थे नहीं मढ़ देता.”
’तालाब’ फिर से टपकता है:
“मुँह न लटकाओ, प्यारे! मैं आपको ख़ुश कर देता हूँ. मिलिए. नीनेल. आपके प्रोग्राम की डाइरेक्टर. जैसा कि मैंने वादा किया था. ये आपके प्रोग्राम का आयोजन करेगी. बढ़िया रहेगा!”
“बड़ी ख़ुशी हुई, नीनेल,” कपितोनव क़रीब चालीस साल की, साँवली महिला से कहता है. “और आप,” (तालाब से) कहता है, “किसी और को क्यों नहीं ढूँढ़ लेते, जो इस प्रोग्राम को पेशेवर तरीक़े से प्रस्तुत कर सके?”
“आपके बग़ैर?” नीनेल व्यंग्य को समझ नहीं पाई.
“माफ़ कीजिए, मुझे फ़ोन करना है,” कपितोनव सीढ़ी से ऊपर जाता है.
वहाँ वह खिड़की के पास रुक जाता है, ब्रीफ़केस खिड़की की सिल पर रख देता है और सोचने लगता है, कि वह मरीना से क्या कहेगा. बर्फ़ के फ़ाहे गिर रहे हैं, मगर वे इतने कम हैं कि बर्फ जैसे प्रतीत नहीं होते. और, वे भी रुक जाते हैं. कपितोनव इस बात की पुष्टि करने के लिए तैयार नहीं है, कि क्या उसे आभास हुआ था, या वे सचमुच में गिर रहे थे. सड़क के दूसरी तरफ़ वह कैफ़े देखता है – जल्दी ही उन्हें लंच के लिए वहाँ ले जाएँगे.
उसने फ़ैसला कर लिया कि फ़ोन नहीं करेगा – मैसेज भेज देता है:
छोटी सी प्रॉब्लेम. नोटबुक बाद में लौटाऊँगा. सब ठीक है.
12.05
निचली मंज़िल के टॉयलेट से बाहर निकलकर नीले चोग़े में ईवेंट्स-आर्किटेक्ट बोझिल क़दमों से ऊपर आ रहा है. कपितोनव को उसकी एकटक नज़र चुभने लगती है, वह ख़ुद भी तन जाता है, जैसे कि उसके और सीढ़ियों से ऊपर आने वाले के बीच कोई डोर खींच दी गई हो. ईवेंट्स-आर्किटॆक्ट ने पास आकर कहा:
“ एड्स, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, पहचान खो देना, युद्ध, और आपको, देख रहे हैं ना, किन्हीं कटलेट्स के खो जाने का दुख. मानव-विज्ञान के स्थिरांक ख़तरे में हैं, और आप कटलेट्स के बारे में परेशान हो रहे हैं. क्या आपका कोई दृष्टिकोण है? आपका क्या दृष्टिकोण है, क्या जान सकता हूँ?”
वह ऊपर आकर गहरी-गहरी सांसे लेने लगा.
“अभी आपने कुछ कहा था,” कपितोनव ने फ़ोन हटा लिया. “मगर क्या आपको यक़ीन है, कि जो कहा था, उसे समझ रहे हैं?”
एक दूसरे की आँखों में देखते हैं.
“और आप... क्या आप जो कर रहे हैं, उसमें यक़ीन करते हैं?” सूँ-सूँ करते हुए ईवेंट्स-आर्किटेक्ट कहता है.
“इसमें एक नोटबुक थी,” कपितोनव नज़र हटाए बिना कहता है, “एक इन्सान की मैनुस्क्रिप्ट, जो अब इस दुनिया में नहीं है. उसकी मुझे नहीं, बल्कि किसी दूसरे इन्सान को ज़रूरत है. वह उसे बहुत प्यारी है. और बड़े विश्वास के साथ उसे मुझे दिया गया था. और मेरे पास उसे कटलेट्स से बदल दिया गया! मगर आप ये नहीं समझ पाएँगे, आप बस ब्ला-ब्ला-ब्ला ही कर सकते हैं! ज़रा बताइये तो, आप कौन से ईंवेट्स के आर्किटेक्ट हैं?”
“क्या आप इस बात का इशारा कर रहे हैं, कि इस मामले में मेरा हाथ है?” कपितोनव की तरफ़ से मुँह मोड़ते हुए ईवेंट्स-आर्किटेक्ट कहता है. “मेरे लिए ये मामूली है, बेहद मामूली,” और जाते जाते फ़ब्ती कस गया: “मत सोचिए.”

