दहेज़ का ठहाका
दहेज़ का ठहाका
नमित और शीना एक ही ऑफिस में काम करते थे। दोनों की पोस्ट भी एक समान ही थी। दोनों मैनेजर थे बस ब्रांच अलग थी। ऑफिस में प्रोजेक्ट्स की डीलिंग करते करते कब दिलों में एक दूसरे के लिए फीलिंग आ गई पता ही नहीं चला। रोज़ मिलने से प्यार गाढ़ा हो गया। अब दोनों के इस प्यार के रिश्ते को एक साल हो चुका था।
शीना के मम्मी पापा अब उसकी शादी करना चाह रहे थे तो शीना ने नमित से बात की। नमित के यहां भी यही हाल था तो दोनों ने अपने अपने माता पिता को अपने प्यार के बारे में बता दिया। दोनों के मम्मी पापा को कोई ऑब्जेक्शन नहीं था। सो इतवार का दिन मिलने के लिए निश्चित किया गया।
नमित इकलौता है और शीना का एक छोटा भाई भी है जो अभी पढ़ रहा है। इतवार के दिन नमित अपने मम्मी पापा के साथ शीना के घर पहुंच जाता है। शीना के पैरेंट्स को नमित और नमित के पैरेंट्स को शीना पसंद आ जाती है। शादी से जुड़ी सब बातें भी वो लोग अगले दिन फाइनल करने का सोचते है।
अगले दिन सगाई, शादी की तारीखें फाइनल करने के बाद बात लेन देन पर आ जाती है।नमित के पैरेंट्स घुमा फिरा के अच्छे खासे दहेज की मांग रख देते है। उनको सादी शादी चाहिए थी और बाकी कैश। शीना के पैरेंट्स को बुरा तो लगता है लेकिन ये सोचकर कि दहेज तो जहां भी रिश्ता करेंगे वो भी मांगेंगे, तो ऐसे में अपनी बेटी की पसंद का रिश्ता सही। घर आने पर जब शीना को ये बात पता चलती है तो वो अपने पैरेंट्स को कहती है कि उसे नमित से शादी ही नहीं करनी। जब मेरी परवरिश और पढ़ाई में नमित के जितना ही खर्च और परेशानी हुई है तो दहेज किस बात का और मैं उसके जितना ही कमाती भी हूँ। मैं अभी नमित से बात करती हूँ।
लेकिन नमित ने भी अपने पैरेंट्स की साइड ली। शीना ने उसे भी समझाने की कोशिश करी कि तुम्हारी और मेरी परवरिश एक जैसी हुई है और हमारी कमाई भी बराबर है फिर ये दहेज कैसा। लेकिन नमित बोला कि जिस समाज में हम रहते है वहां का यही दस्तूर है। थक गई शीना सब को समझाती हुई लेकिन कोई नहीं माना। तो उसने आखिर में एक शर्त रखी कि ये कैश सारा उसके पर्सनल बैंक अकाउंट में ही जमा होगा नमित या उसके पैरेंट्स के नहीं तभी वो ये शादी करेगी। नमित और उसके पैरेंट्स ने जब मानने से इंकार किया तो शीना ने शादी से इंकार कर दिया। तब वो लोग भी मान गए की पैसा आ तो घर में ही रहा है।
आखिर एक अच्छे से मुहूर्त में दोनों की शादी हो जाती है और दोनों एक महीना ऑफिस से छुट्टी लेकर घूम फिर कर आ जाते है। अगले दिन सुबह शीना को पहली रसोई बना कर अपनी गृहस्थी की शुरुआत करनी थी। शीना की सास ने उसे पहले दिन ही सब समझ दिया था और सुबह जल्दी तैयार हो कर खाना बनाने के बारे में सब बता दिया था।लेकिन अगले दिन जब उन्हें शीना जल्दी उठकर तो क्या, काफी देर तक नज़र नहीं आई तो वो उसके कमरे में गई। वहां उन्होंने देखा कि शीना जीन्स, टी- शर्ट पहने तैयार बैठी अपने लैपटॉप पर काम कर रही थी।
उनको बहुत गुस्सा आया। उन्होंने तेज़ आवाज़ शीना को बोला कि तुम्हे आज पहली रसोई तैयार करने को बोला था ना फिर यहां क्यों बैठी हो। शोर सुनकर सब आ गए। शीना ज़ोर से हँस पड़ी। कहने लगी सासू मां आपको क्या लगता है कि आपके बेटे के बराबर होकर और इतना दहेज लाकर मैं ये सब घर के काम करूंगी? ये सब चाहिए था तो बहू लाते, आप तो दहेज लाए है। वो आपको मिल गया और साथ में ही एक लड़की के शादी के सारे अरमान भी। अब आप सब को जो काम करवाना है वो अपने दहेज़ से करवाओ। आप जब बोलेंगी पैसे बैंक से निकाल कर आप को दे दूंगी। ये कहकर शीना फिर से हँस पड़ी लेकिन उसकी हँसी में टूटे हुए शीशे कि किरचें थी और आज पहली बार नमित और उसके पैरेंट्स को लगा कि मानो दहेज़ ही उन पर ज़ोर ज़ोर से ठहाका लगा रहा हो।
